Homeउत्तराखण्ड न्यूज117 साल की विरासत का अंत, कलकत्ता स्टॉक एक्सचेंज शेयर बाजार से...

117 साल की विरासत का अंत, कलकत्ता स्टॉक एक्सचेंज शेयर बाजार से लेगा विदाई


सांकेतिक फोटो (IANS)

कोलकाता: देश के सबसे पुराने स्टॉक एक्सचेंजों में से एक कलकत्ता स्टॉक एक्सचेंज (CSE) अब शेयर बाजार संचालन से बाहर निकलने की अंतिम प्रक्रिया में है. इस वर्ष 20 अक्टूबर को पड़ने वाली काली पूजा और दिवाली, संभवतः इस ऐतिहासिक संस्थान के सक्रिय स्टॉक एक्सचेंज के रूप में अंतिम उत्सव होंगे.

1908 में स्थापित CSE ने एक समय बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) को व्यापारिक मात्रा में टक्कर दी थी. लेकिन 2001 के केतन पारेख घोटाले के बाद निवेशकों और नियामकों का भरोसा हिल गया. भुगतान संकट के चलते कई ब्रोकर निपटान दायित्व नहीं निभा सके और CSE की गिरावट शुरू हो गई. अप्रैल 2013 में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने नियामकीय उल्लंघनों के कारण CSE में ट्रेडिंग पर रोक लगा दी थी.

पिछले एक दशक से CSE ने अपने परिचालन को दोबारा शुरू करने की कोशिश की और SEBI के फैसलों को अदालत में चुनौती दी. लेकिन दिसंबर 2024 में, CSE के निदेशक मंडल ने कलकत्ता उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय से सभी लंबित मुकदमे वापस लेने और स्वैच्छिक रूप से लाइसेंस वापस करने का निर्णय लिया.

शेयरधारकों की मंजूरी और सेबी को आवेदन
25 अप्रैल, 2025 को आयोजित असाधारण आमसभा (EGM) में शेयरधारकों से भी स्वैच्छिक निकासी के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई. इसके बाद 18 फरवरी 2025 को SEBI को औपचारिक रूप से आवेदन सौंपा गया. नियामक ने राजवंशी एंड एसोसिएट को अंतिम मूल्यांकन का कार्य सौंपा है, जिसके पूरा होने के बाद अंतिम स्वीकृति दी जाएगी.

ब्रोकिंग कंपनी के रूप में रहेगा अस्तित्व
CSE के चेयरमैन दीपांकर बोस के अनुसार, SEBI की स्वीकृति के बाद, CSE एक होल्डिंग कंपनी में बदल जाएगा और उसकी 100% स्वामित्व वाली CSE कैपिटल मार्केट्स प्राइवेट लिमिटेड (CCMPL), NSE और BSE की सदस्य के रूप में ब्रोकिंग कार्य करती रहेगी.

संपत्ति बिक्री और कर्मचारियों की योजना
SEBI ने CSE की EM बायपास पर स्थित तीन एकड़ संपत्ति को ₹253 करोड़ में सृजन समूह को बेचने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है. साथ ही, सभी कर्मचारियों के लिए ₹20.95 करोड़ की एकमुश्त राशि वाली VRS योजना लागू की गई, जिससे भविष्य में ₹10 करोड़ वार्षिक बचत की उम्मीद है. सभी कर्मचारियों ने योजना स्वीकार की है और कुछ को अनुबंध पर रखा गया है.

गौरवशाली इतिहास
CSE के पास 1,749 लिस्टेड कंपनियां और 650 पंजीकृत ट्रेडिंग मेंबर थे. एक समय लायंस रेंज की ट्रेडिंग हॉल में चहल-पहल रहती थी. वरिष्ठ ब्रोकर सिद्धार्थ थिरानी के अनुसार, “हर दिन लक्ष्मी पूजा से ट्रेडिंग की शुरुआत होती थी. इस दिवाली के साथ एक युग का अंत हो रहा है.”

CSE की यह विदाई भारतीय पूंजी बाजार के इतिहास का एक भावनात्मक अध्याय है, जो 117 वर्षों की वित्तीय विरासत को पीछे छोड़ जाएगा.

यह भी पढ़ें- दिवाली पर सोना-चांदी खरीदने की है तैयारी? यहां देखें आपके शहर में 22-24 कैरेट गोल्ड का ताजा भाव

एक नजर