शेख हसीना. (File) (IANS)
ढाकाः बांग्लादेश की एक अदालत ने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को फांसी की सजा सुनायी है. उन्हें मानवता के विरुद्ध अपराध का दोषी ठहराया गया था. रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, महीनों तक चले मुकदमे में उन्हें पिछले वर्ष छात्रों के नेतृत्व में हुए विद्रोह पर घातक कार्रवाई का आदेश देने का दोषी पाया गया.
अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून पर भेदभाव-विरोधी छात्र आंदोलन के बाद जुलाई-अगस्त में हुई अशांति के दौरान मानवता के विरुद्ध अपराध करने का आरोप लगाने वाले मामले में फैसले की घोषणा से पहले अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) के बाहर सुरक्षा बढ़ा दी गई है.
फैसले से पहले बांग्लादेश में स्थिति तनावपूर्ण हो गई है. शेख हसीना की बांग्लादेश अवामी लीग ने रविवार सुबह से पूरे देश में दो दिन के बंद की घोषणा की थी. इससे सामान्य जनजीवन प्रभावित रहा. राजधानी ढाका में यातायात अपेक्षाकृत कम रहा है, जबकि कुछ इलाकों में पटाखों के फटने की भी खबरें आई.
बता दें कि जुलाई 2024 में छात्रों के नेतृत्व में हुए विद्रोह ने शेख हसीना की सरकार को गिरा दिया. 5 अगस्त, 2024 को वह भागकर भारत आ गईं और मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार का गठन हुआ. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार जुलाई के विरोध प्रदर्शनों के दौरान लगभग 1,400 लोग मारे गए थे.
#WATCH | Dhaka, Bangladesh | Security heightened outside the International Crimes Tribunal (ICT) ahead of the announcement of the verdict in the case accusing ousted Prime Minister Sheikh Hasina, former home minister Asaduzzaman Khan Kamal, and former Inspector General of Police… pic.twitter.com/JlE4hkZF0K
— ANI (@ANI) November 17, 2025
शेख हसीना प्रशासन ने शुरुआत में पाकिस्तान के खिलाफ बांग्लादेश के 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान किए गए मानवता के विरुद्ध अपराधों पर मुकदमा चलाने के लिए अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण की स्थापना की थी. इस न्यायाधिकरण ने पहले हसीना के कार्यकाल के दौरान युद्ध अपराधों के आरोपी जमात-ए-इस्लामी के कई नेताओं पर मुकदमा चलाया था.
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