उत्तराखंड में मंत्रिमंडल विस्तार की सुगबुगाहट (फोटो- ETV Bharat)
रोहित कुमार सोनी
देहरादून: बिहार चुनाव नजदीक आने के साथ ही उत्तराखंड के नेताओं के दिल की धड़कनें बढ़नी तेज हो गई है. बताया जा रहा कि बिहार चुनाव के बाद उत्तराखंड में मंत्रिमंडल का विस्तार होने की संभावना है. ऐसे में उत्तराखंड विधायकों की दिल्ली दौड़ अभी से ही शुरू हो गई है. इतना ही नहीं लालबत्ती की आस में नेता एड़ी से चोटी तक का जोर लगा रहे हैं. हालांकि, आगामी साल 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव में अब महज सवा साल का ही वक्त बचा है.
पद की आस में एड़ी से चोटी तक का जोर लगा रहे नेता: ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले मंत्रिमंडल का विस्तार होना कई मायने में बेहद खास मानी जा रही है. आखिर आगामी विधानसभा चुनाव से पहले मंत्रिमंडल का विस्तार क्यों है महत्वपूर्ण, बेहद कम समय बचने के बावजूद भी नेता क्यों पद की आस में एड़ी से चोटी तक का जोर लगा रहे हैं? ईटीवी भारत आपको इसकी विस्तार से जानकारी देगा.
उत्तराखंड में साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद से ही मंत्रिमंडल के तमाम पद खाली चल रहे हैं. हालांकि, समय-समय पर मंत्रिमंडल के खाली पदों को भरने की सुगबुगाहट भी उठती रही है, लेकिन उत्तराखंड में मंत्रिमंडल विस्तार की स्थिति बीरबल की खिचड़ी की तरह हो गई है, जो पकने का नाम ही नहीं ले रही. जबकि, हर कुछ महीने बाद ही प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा में तूल पकड़ लेती हैं.

दिल्ली में बीजेपी प्रदेश प्रभारी संग सीएम धामी समेत तमाम सांसद (फाइल फोटो- X@pushkardhami)
बीजेपी विधायकों के बढ़ी हुई है दिल की धड़कनें: ऐसे ही कुछ स्थिति उत्तराखंड में इन दिनों देखी जा रही है. दरअसल, कुछ समय पहले बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने इस बात को कहा था कि बिहार चुनाव के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार किया जा सकता है. इसके बाद से ही बीजेपी विधायकों के दिल की धड़कनें बढ़ी हुई है. साथ ही नेता मंत्री पद पाने के लिए दिल्ली दौड़ के साथ ही एड़ी से चोटी तक का जोर लगा रहे हैं.
उत्तराखंड में साल 2027 में विधानसभा का चुनाव होना है, उससे पहले मंत्रिमंडल का विस्तार काफी महत्वपूर्ण भी माना जा रहा है. बीजेपी के रणनीतियों पर बात करें तो साल 2022 में विधानसभा चुनाव से पहले यानी साल 2021 में नेतृत्व परिवर्तन कर दिया गया था. ताकि, एंटी इनकंबेंसी को दूर किया जा सके. ऐसे में आगामी 2027 से पहले 2026 में मंत्रिमंडल का विस्तार की चर्चाएं काफी ज्यादा तेज है.
क्योंकि, अगर विधानसभा चुनाव से पहले मंत्रिमंडल का विस्तार होता है तो ऐसे में समय-समय पर नेतृत्व परिवर्तन की उठने वाली सुगबुगाहट पर न सिर्फ विराम लगेगी. बल्कि, नाराज चल रहे नेताओं को भी मनाने में सरकार कामयाब हो जाएगी. जो आगामी विधानसभा चुनाव में संगठन के लिए काफी फायदेमंद भी साबित हो सकती है.

देहरादून स्थित विधानसभा भवन (फोटो- ETV Bharat)
धामी मंत्रिमंडल में पांच सीटें चल रही खाली: दरअसल, धामी मंत्रिमंडल में पांच सीटें खाली चल रही है. क्योंकि, साल 2022 में सीएम धामी के नेतृत्व में सरकार का गठन होने के बाद से ही तीन सीटें खाली चल रही थी, लेकिन साल 2023 में कैबिनेट मंत्री चंदन रामदास का निधन हो गया. जिसके चलते धामी मंत्रिमंडल की एक और सीट खाली हो गई थी.
इसके बाद पहाड़ और मैदान विवाद में फंसे कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल को 16 मार्च 2025 को अपना इस्तीफा देना पड़ा. जिसके चलते वर्तमान समय में धामी मंत्रिमंडल में कुल पांच सीटें खाली चल रही है. यही वजह है कि उत्तराखंड में समय-समय पर मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाएं उठती रही हैं, लेकिन अभी तक मंत्रिमंडल विस्तार नहीं हो पाया है. जबकि, आगामी विधानसभा चुनाव में अब महज सवा साल का ही वक्त बचा है.
साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने 8 मंत्रियों के साथ शपथ लिया था. उस दौरान धामी सरकार ने मंत्रिमंडल के तीन पदों को खाली रखा था, लेकिन कुछ समय बाद ही खाली पड़े मंत्रिमंडल के पद को भरने की सुगबुगाहट उठने लगी. हालांकि, सरकारी कामकाज चलता रहा और साल 2023 में तात्कालिक परिवहन मंत्री चंदन रामदास का निधन हो गया. इसके बाद मंत्रिमंडल के विस्तार की चर्चाएं तेज हो गई.
इतना ही नहीं साल 2025 में पहाड़ और मैदान के विवाद में फंसे कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा. उस दौरान भी मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाओं ने काफी ज्यादा तूल पकड़ा, लेकिन अभी तक मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो पाया. हालांकि, साल 2025 में भी कई बार मंत्रिमंडल विस्तार के चर्चाओं का बाजार काफी गर्म रहा तो वहीं, बिहार चुनाव संपन्न होने के बाद एक बार फिर उत्तराखंड में मंत्रिमंडल विस्तार की संभावना जताई जा रही है.

कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना (फोटो- ETV Bharat)
वहीं, मामले में उत्तराखंड के वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत का कहना है कि बिहार चुनाव का उत्तराखंड के मंत्रिमंडल विस्तार से कोई लेना देना नहीं है. जबकि, कैबिनेट विस्तार के लिए केंद्रीय नेतृत्व के निर्देशों का इंतजार है. जैसे ही केंद्रीय नेतृत्व से हरी झंडी मिलेगी, उसके बाद ही उत्तराखंड में मंत्रिमंडल का विस्तार हो जाएगा.
“वर्तमान समय में मंत्रिमंडल की तमाम सीटें खाली हैं. ऐसे में मंत्रिमंडल विस्तार की संभावना बनी हुई है, लेकिन उन्हें नहीं लगता कि अभी मंत्रिमंडल का विस्तार होगा. यही वजह है कि विधायक मंत्री बनने की जुगत में जुटे हुए हैं. क्योंकि, राज करने के लिए ही लोग राजनीति में आते हैं. ऐसे में जब तक मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो जाता, तब तक कैबिनेट विस्तार और नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें लगाई जाती रहेंगी.“- जय सिंह रावत, वरिष्ठ पत्रकार
उन्होंने कहा कि अगर मंत्रिमंडल का विस्तार हो जाता है तो इससे नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें पर पूरी तरह से विराम लग जाएगा. हालांकि, मंत्रिमंडल के पदों को खाली इसलिए भी रखा जाता है. ताकि, विधायकों को अपने साथ जोड़कर रखा जा सके. जिससे मंत्री पद की लालसा उनमें बनी रहे और वो संगठन के साथ एक्टिव होकर काम करते रहें. हालांकि, ऐसा भी देखा गया कि चुनाव से कुछ समय पहले मंत्रिमंडल का विस्तार करते हैं.
ऐसा ही कुछ उत्तराखंड में इन दिनों दिखाई दे रहा है. क्योंकि, साल 2022 में विधानसभा चुनाव के बाद करीब साढ़े तीन साल का वक्त बीत चुका है, लेकिन अभी तक मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो पाया है. साथ ही कहा कि विधायक इस वजह से भी हाथ पैर मार रहे हैं. क्योंकि, भले ही कुछ ही समय बचा हो, लेकिन एक बार मंत्री बनने के बाद उनके नाम के पीछे पूर्व कैबिनेट मंत्री शब्द जुड़ जाता है, जिसे उनका कद बढ़ता है.

बीजेपी विधायक विनोद चमोली (फोटो- ETV Bharat)
धामी मंत्रिमंडल विस्तार के सवाल पर क्या बोले बीजेपी विधायक? वहीं, धामी मंत्रिमंडल विस्तार के सवाल पर बीजेपी विधायक विनोद चमोली का कहना है कि मंत्रिमंडल का विस्तार न होने से सरकार के कामकाज पर ज्यादा असर नहीं पड़ रहा है. जो चल रहा है, उसे उसी तरह से चलाया जा सकता है. इसके अलावा मंत्री पद की जुगत में लगे लोगों को लेकर भी उन्होंने अपना जवाब दिया है.
“सरकार का कामकाज ठीक तरह से चल रहा है. वर्तमान मंत्रिमंडल की टीम ने इन साढ़े तीन सालों के कार्यकाल के दौरान तमाम बड़े और महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं. ऐसे में मंत्रिमंडल का विस्तार न होने से सरकार के कामकाज पर कोई असर नहीं पड़ रहा है. फिलहाल, मंत्रिमंडल विस्तार की कोई आवश्यकता दिखाई नहीं दे रही है. जैसा चल रहा है, उसको उसी तरह से चलाया जा सकता है. जो लोग मंत्री पद के लिए हाथ पैर मार रहे हैं, उसका जवाब वही लोग दे सकते हैं कि आखिर वो क्यों हाथ पैर मार रहे हैं?“- विनोद चमोली, विधायक, बीजेपी
2027 में बीजेपी की विदाई करेगी जनता: उत्तराखंड में अक्सर मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर उठने वाली चर्चाओं के सवाल पर कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने सरकार को घेरा है. उनका कहना है कि बीजेपी के भीतर काफी असंतोष है. जिसके चलते सरकार का काम ठीक से नहीं हो रहा है. साथ ही कहा कि मंत्रिमंडल का विस्तार जनता की नजर में जरूरी नहीं है, लेकिन बीजेपी विधायकों को मंत्री पद चाहिए. ऐसे में साल 2027 में जनता बीजेपी की विदाई करेगी.
“राज्य सरकार विधायकों को लंबे समय से लॉलीपॉप दे रही है, लेकिन अभी तक मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो पाया है. ऐसे में सरकार ने विधायकों को लॉलीपॉप देकर के शांत किए हुए हैं. जबकि, प्रदेश के भीतर बीजेपी विधायकों में काफी ज्यादा असंतोष है, जिसे चलते सरकार काम नहीं कर पा रही है. सरकार लकवाग्रस्त हो रखी है. जिसके चलते जनता त्राहिमाम-त्राहिमाम कर रही है.“- सूर्यकांत धस्माना, प्रदेश उपाध्यक्ष, कांग्रेस
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