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कर्मचारी संगठनों के विरोध के बाद बैकफुट पर आया शासन, अब बदलेगा ₹5 हजार खर्च का नियम!


देहरादून: उत्तराखंड में राज्य कर्मियों द्वारा 5 हजार रुपए से अधिक की चल-अचल संपत्ति से जुड़े नियम में बदलाव होने जा रहा है. दरअसल, नियमावली में दिए गए इस बिंदु को लेकर सरकार और शासन की खूब फजीहत हुई है और राज्य कर्मियों ने भी इस पर अपना विरोध दर्ज कराया है. जानिए राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली से जुड़ा यह मामला क्या है और राज्य कर्मी इस नियम से क्यों नाराज थे.

हाल ही में उत्तराखंड के मुख्य सचिव आनंद वर्धन ने एक आदेश जारी करते हुए लोक सेवकों द्वारा खरीदी जाने वाली चल अचल संपत्ति पर उन नियमों की याद दिलाई थी जो पूर्व से ही लागू है. राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली के तहत, सरकारी लोक सेवकों के लिए किसी भी चल अचल संपत्ति को लेकर नियम तय है. न केवल ऐसी चल अचल संपत्ति की खरीद की जानकारी लोक सेवकों को शासन को देनी होती है, बल्कि इसके लिए जुटाई गई रकम का सोर्स भी बताना होता है. इस मामले में यह आदेश तब चर्चाओं में आया जब इसमें दिए गए एक बिंदु के तहत 5000 से ज्यादा खर्च करने पर भी लोक सेवकों को इसकी जानकारी शासन को देने से जुड़ी शर्त रखी गई.

उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड को मिली: उत्तराखंड में राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली 2002 लागू है और यह नियमावली उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड ने अडॉप्ट की है. जबकि उत्तर प्रदेश में भी यह नियमावली पिछले कई सालों से लागू थी. नया राज्य होने के चलते उत्तराखंड में भी इस नियमावली को लागू करवाया. खास बात यह है कि इस नियमावली का एक बिंदु तब चर्चाओं में आ गया जब कर्मचारियों ने इसे अव्यवहारिक बताते हुए इसका विरोध शुरू कर दिया.

शासन को देनी होती है खर्च और सोर्स की जानकारी: दरअसल, इस बिंदु के तहत लोक सेवकों की एक माह की सैलरी या 5 हजार रुपए से ज्यादा, जो भी कम हो, चल अचल संपत्ति के रूप में खर्च करने पर इसकी जानकारी शासन को देनी होती है. यही नहीं, इतने पैसे लोक सेवक ने कहां से जुटाए? सोर्स को भी शासन को बताना होता है. राज्य कर्मियों का मानना था कि आज के समय में 5 हजार रुपए की रकम बेहद कम है और इतनी कम रकम का खर्चा छोटे से छोटे सामान में भी हो जाता है. ऐसे में इसकी जानकारी शासन को देना किसी भी लिहाज से व्यावहारिक नहीं है.

समय के साथ नहीं बदला नियम: शासन स्तर पर किया गया यह आदेश लापरवाही पूर्ण भी लगता है. क्योंकि नियमावली में जो बिंदु दिया गया है, वह पिछले कई साल पुराने हालातों को देखते हुए बनाया गया था. उसे समय 5 हजार रुपए की रकम काफी ज्यादा होती थी और इससे भी कम लोक सेवकों को वेतन मिल पाता था. लेकिन समय बदलने के साथ लोक सेवकों का वेतन बढ़ा और 5 हजार की वैल्यू भी कम हुई. बावजूद जिसके सरकारी सिस्टम में नियमावली में कोई बदलाव नहीं किया.

जानें नए आदेश में कितनी बढ़ सकती है रकम: मुख्यमंत्री कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, अब 5 हजार रुपए की रकम से जुड़े इस नियम में कुछ संशोधन होने जा रहा है और इस रकम को बढ़ाकर 1 लाख या इससे ज्यादा करने की तैयारी है.

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