देहरादून (धीरज सजवाण): “वन्स ए सोल्जर ऑलवेज ए सोल्जर”. कहा जाता है कि एक फौजी किसी भी परिस्थिति में हो, उसके जज्बे से उसे पहचाना जा सकता है. ऐसा ही एक किस्सा है रिटायर्ड सूबेदार ओम प्रकाश चौधरी का. चौधरी, मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए आतंकी हमले के दौरान पाकिस्तान के इस्लामाबाद में मौजूद थे. वहां पर उन्होंने कुछ ऐसा कर दिखाया कि पाकिस्तान के सैन्य अफसर को पाक झंडे से ऊपर तिरंगा फहराना पड़ा. देहरादून आए रिटायर्ड सूबेदार ओम प्रकाश चौधरी से एक्सक्लूसिव बातचीत.
गाड़ी के लिए की 1947 या 1931 नंबर की मांग: रिटायर्ड सूबेदार ओम प्रकाश चौधरी इन दिनों भारतीय शूटिंग टीम के कोच हैं. भारतीय शूटिंग टीम का कैंप देहरादून में लगा था. इस सिलसिले में वो राजधानी में थे. 26/11 मुंबई अटैक के बदले की कहानी बताने से पहले इनके पहले के सफर की बात करते हैं.
26/11 मुंबई आतंकी हमला (Photo-ETV Bharat)
एनसीसी से शूटिंग करने का आया जज्बा: रिटायर्ड सूबेदार ओम प्रकाश चौधरी आज भारतीय निशानेबाज टीम के कोच हैं तो वहीं 2020 में भारतीय सेना की जाट रेजिमेंट से रिटायरमेंट के बाद राजस्थान पुलिस में सब इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत हैं. भारतीय सेना में रहे रिटायर्ड सूबेदार ओम प्रकाश चौधरी का देश प्रेम और उनके देश प्रेम से जुड़े किस्से बेहद रोचक हैं. उन्होंने बताया कि-
मैं स्कूल टाइम पर एनसीसी में था. इस दौरान मैंने 2002 में राष्ट्रपति से भी सम्मान प्राप्त किया. 26 जनवरी 2004 को जाट रेजीमेंट ज्वाइन की. एक तरफ 26 जनवरी को भारतीय सेना में ज्वाइनिंग की डेट बेहद खास थी. दूसरी तरफ जब गाड़ी के नंबर के लिए आवेदन किया, तो उसमें च्वाइस में 1947 या 1931 की मांग की थी. 1947 का ज्यादातर लोगों को पता है देश की आजादी का वर्ष है. 1931 क्यों, थोड़ी देर परिवहन अधिकारी भी अचरज में पड़ गए. फिर उन्हें बताया कि 1931 सरदार भगत सिंह के बलिदान का वर्ष है.
-रिटायर्ड सूबेदार ओम प्रकाश चौधरी-
26/11 आतंकी हमले के दौरान पाकिस्तान गई भारतीय शूटिंग टीम की कहानी: इसी तरह से उन्होंने भारतीय सेना में रहते हुए जब नवंबर 2008 में पाकिस्तान के इस्लामाबाद में हुई 4th साउथ एशियन शूटिंग चैंपियनशिप में भारतीय निशानेबाजी टीम का हिस्सा बनकर भाग लिया, तो उस दौरान का किस्सा भी रोंगटे खड़े कर देने वाला है. भारत ने इस प्रतियोगिता में 17 गोल्ड मेडल के साथ पहला स्थान प्राप्त किया था. उन्होंने ईटीवी भारत के साथ वो किस्सा साझा किया.
साथी फौजी अफसरों के साथ (Photo- ETV Bharat)
मुंबई आतंकी हमले के समय इस्लामाबाद में थे सूबेदार ओम प्रकाश: ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए रिटायर्ड सूबेदार ओमप्रकाश चौधरी ने बताया कि भारतीय सेना में रहते हुए उन्होंने निशानेबाजी में अपना हाथ आजमाया. उन्होंने बताया कि उनके अंदर सैनिक वाले जज्बे का सफर स्कूल में NCC के साथ शुरू हो गया था.

रिटायर्ड सूबेदार ओम प्रकाश चौधरी (Photo- ETV Bharat)
NCC में मैं राइफल चलाया करता था. जब आर्मी की जाट रेजिमेंट में इनरोल हुआ तो पिस्टल शूटिंग शुरू की. सेना की शूटिंग टीम में शामिल हुए. पहले साल नेशनल खेल कर मेडल हासिल किया. फिर भारतीय शूटिंग टीम में शामिल हुए. जूनियर में जर्मनी, चेकोस्लोवाकिया, श्रीलंका सहित कुछ देशों में खेलने गए और अपना अच्छा परफॉर्मेंस दिया.
-रिटायर्ड सूबेदार ओम प्रकाश चौधरी-
पाकिस्तान गए शूटर की रोमांचक कहानी: इसी दौरान 2008 में पाकिस्तान के इस्लामाबाद में हुई 4th साउथ एशियन शूटिंग चैंपियनशिप के दौरान भारतीय शूटिंग टीम के साथ पाकिस्तान जाना हुआ. उन्होंने बताया कि 2008 में पाकिस्तान के इस्लामाबाद में जिन्ना स्टेडियम में वहां की आर्मी की ओर से 20 नवंबर से 28 नवंबर 2008 तक फोर्थ साउथ एशिया शूटिंग चैंपियनशिप आयोजित की गई थी. उसमें भारतीय शूटिंग टीम भी हिस्सा ले रही थी. उन्होंने बताया कि इस दौरान उनकी शूटिंग टीम में 80 फीसदी पिस्टल, राइफल और शॉटगन शूटर भारतीय सेना के थे. यानी वह सारे भारतीय सेना के जवान और अफसर थे.

ओम प्रकाश चौधरी ने 26 जनवरी 2004 को जाट रेजीमेंट ज्वाइन की थी (Photo- ETV Bharat)
शूटिंग प्रतियोगिता को लेकर थे उत्साहित: उनकी टीम में एक मेजर विक्रम सिंह और उनके अलावा कुछ हवलदार कुछ सिपाही थे, जिनसे मिली जुली टीम थी. उन्होंने बताया कि सेना से होने की वजह से उनकी टीम बेहद एक्साइटेड थी, क्योंकि अब तक उन सब लोगों ने सीमा पर से ही पाकिस्तान को देखा था. शूटिंग प्रतियोगिता के बहाने वह पाकिस्तान को अंदर जाकर देखना चाहते थे.

भारतीय टीम की किट में रिटायर्ड सूबेदार ओम प्रकाश चौधरी (Photo- ETV Bharat)
फाइनल मैच की तैयारी के दिन हो गया मुंबई टेरर अटैक: उस इंटरनेशनल चैंपियनशिप की यादें ताजा करते हुए रिटायर्ड सूबेदार ओम प्रकाश चौधरी बताते हैं कि हमारी टीम का 20 नवंबर को अराइवल था. 28 को डिपार्चर था. इस तरह से जब हम 20 नवंबर को इस्लामाबाद पहुंचे तो प्रतियोगिता को लेकर उत्साहित थे. पूरी शूटिंग टीम के मैच अच्छे से चल रहे थे. कई मैच जीते गए. कई रिकॉर्ड बनाए गए. सभी लोग अच्छे से प्रैक्टिस कर रहे थे. हर प्रतियोगिता की तरह यह भी एक सामान्य प्रतियोगिता लग रही थी.

तत्कालीन राजस्थान सरकार ने भी ओम प्रकाश चौधरी को सम्मानित किया था (Photo- ETV Bharat)
26/11 के आतंकी हमले ने बदल दिया माहौल: लेकिन ऐसा केवल 25 नवंबर तक चला. 26 नवंबर को अचानक सब कुछ बदल गया. 26 नवंबर 2008 का दिन याद करते हुए रिटायर्ड सूबेदार ओमप्रकाश चौधरी बताते हैं कि-
हमारी पूरी भारतीय शूटिंग टीम इस्लामाबाद के जिन्ना स्टेडियम में प्रैक्टिस कर रही थी. अचानक प्रैक्टिस के बीच में ही हमारे कोच आए. सभी खिलाड़ियों की प्रैक्टिस रोककर वो हमें होटल वापस चलने को बोलने लगे. 26 तारीख के दिन का वह किस्सा बयान करते हुए आज भी हमारे रोंगटे खड़े हो जाते हैं. हमें बिल्कुल समझ नहीं आया कि आखिर हुआ क्या है. कोच को थोड़ा बहुत जानकारी थी कि भारत में क्या हुआ है.
-रिटायर्ड सूबेदार ओम प्रकाश चौधरी-
कोच आतंकी हमले के बारे में बताने से हिचक रहे थे: उन्होंने बताया कि उस समय टीम एक तो मैदान में थी, ऊपर से इस समय मोबाइल का चलन इतना नहीं था. डाटा भी काफी महंगा हुआ करता था. इसलिए बिल्कुल भी पता नहीं चल पाया कि आखिर हुआ क्या है. इसके बाद जैसे-जैसे टीम आगे बढ़ने लगी अचानक से उनके आसपास सुरक्षा कर्मियों की संख्या भी बढ़ा दी गई. वह मोमेंट ऐसा था कोच आपस में बातें कर रहे थे कि भारत में जो हुआ उसके बारे में खिलाड़ियों को बताया जाए या नहीं. क्या इससे खिलाड़ियों की परफॉर्मेंस पर असर पड़ेगा.

रिटायर्ड फौजी ओम प्रकाश चौधरी अब भारतीय शूटिंग टीम के कोच हैं (Photo- ETV Bharat)
फिर काफी विचार विमर्श के बाद कोच ने फैसला लिया कि शूटिंग टीम में ज्यादातर भारतीय सेना के जवान हैं. वो इस तरह की परिस्थितियों से निपटना जानते हैं. इसलिए फैसला लिया गया की पूरी वस्तुस्थिति के बारे में खिलाड़ियों को बता दिया जाए. तब जाकर जो कुछ जानकारी उपलब्ध थी, वह खिलाड़ियों को बताई गई. मुंबई पर आतंकी हमले की बात सुनकर खिलाड़ी भी स्तब्ध थे.
रिटायर्ड सूबेदार ओम प्रकाश चौधरी बताते हैं कि-
ग्राउंड से प्रैक्टिस छोड़कर सभी खिलाड़ी होटल पहुंचे. होटल में खिलाड़ियों ने अपना टीवी ऑन किया. टीवी पर ताज होटल की जलती हुई तस्वीर दिखाई जा रही थी. हालांकि वहां पर टीवी में जो टैक्स्ट चल रहे थे वो उर्दू में थे इसलिए समझ नहीं आ रहा था. तभी टीवी पर एक बाइट फ्लैश हुई जो कि बाला साहेब ठाकरे की थी. उसमें शिवसेना के नेता बाला साहेब ठाकरे ने सबसे पहले मुंबई आतंकी हमले के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया था. इस्लामाबाद में मौजूद भारत के हर एक खिलाड़ी खासतौर से सैनिक बैकग्राउंड से आने वाले खिलाड़ियों के जीवन का यह पल बेहद क्रोधित करने वाला था.
-रिटायर्ड सूबेदार ओम प्रकाश चौधरी-
आतंकी हमले के बीच जिन्ना स्टेडियम में प्रतियोगिता: सेना में सूबेदार रहे ओमप्रकाश चौधरी बताते हैं कि उस एक पल में उनके जेहन में कई तरह की चीज एक साथ चल रही थीं. सभी खिलाड़ी एक दूसरे से इंटरकॉम पर आपस में मुंबई में हुए आतंकी हमले पर चर्चा कर रहे थे. हमला इतना वीभत्स था, कि शहर में अंदर घुसकर आतंकियों ने हमला किया था. ताज होटल के जलने की तस्वीर फ्लैश हो रही थी. एक के बाद एक बम धमाके हुए थे. कई लोगों को गोली मार का छलनी कर दिया गया था. वाकई में पहली दफा भारत के अंदर इतना बड़ा आतंकी हमला हुआ था.

रि. सू. ओम प्रकाश चौधरी 2002 में राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित हुए थे (Photo- ETV Bharat)
26/11 आतंकी हमले के दिन डिनर नहीं किया: शाम को डिनर के लिए ज्यादातर खिलाड़ी नहीं गए. खिलाड़ियों में एक तरफ पाकिस्तान को लेकर गुस्सा था. दूसरी तरफ पाकिस्तान की जमीन पर उनकी मौजूदगी. इसके अलावा अगले दिन होने वाला निशानेबाजी का फाइनल मैच. सूबेदार रहे ओमप्रकाश चौधरी आज भी उस दिन को याद करके सिहर उठते हैं. उन्होंने बताया कि जो अब तक सब कुछ सामान्य लग रहा था, वहां अचानक बहुत कुछ बदल चुका था. उनके रूम के बाहर कई कमांडो एक साथ खड़े कर दिए गए. लगभग यह तय माना जा रहा था कि अब आगे मैच नहीं होंगे. खासतौर से भारतीय टीम तो नहीं खेलेगी.
यह एक बड़ी अचीवमेंट के पास पहुंचकर उस से चूक जाना जैसा भी था. लेकिन उस समय सिचुएशन कुछ भी समझ में नहीं आ रही थी. उन्होंने बताया कि-
उस समय अन्य भारतीय लोगों में मुंबई में हुए आतंकी हमले को लेकर काफी दुख था. लेकिन आर्मी बैकग्राउंड से आने वाले हर एक खिलाड़ी की आंखों में अंगारे थे. ऐसा इसलिए भी था क्योंकि सभी आर्मी बैकग्राउंड के खिलाड़ियों ने पाकिस्तान की हरकत बॉर्डर पर देखी थी. अब देश के अंदर घुसकर इस तरह की कायराना हरकत देखकर हर एक फौजी का खून खौल उठा था.
-रिटायर्ड सूबेदार ओम प्रकाश चौधरी-
इस्लामाबाद के जिन्ना स्टेडियम में पाक अफसर के हाथों तिरंगा फहराकर लिया प्रतिशोध: रिटायर्ड सूबेदार ओम प्रकाश चौधरी बताते हैं कि 26 नवंबर 2008 को मुंबई हमले के बाद इस्लामाबाद में मौजूद उनकी टीम के बीच हालत अजीब कशमकश वाली हो गई थी. उनके 27 नवंबर को 10 मीटर एयर पिस्टल के टीम और इंडिविजुअल दो फाइनल इवेंट होने थे. भारत में हमला कितना बड़ा हुआ है, इसका भी अंदाजा नहीं लग पा रहा था. फाइनल मैच नहीं होता तो अच्छी परफॉर्मेंस के बावजूद भी उनका मेडल रह जाता. काफी डिस्कशन के बाद कोच और टीम ने मिलकर फैसला लिया कि इस सिचुएशन से लड़ेंगे. फाइनल खेलने के लिए सूबेदार ओमप्रकाश को उनके कोच ने तैयार किया.
शांत खेल के दौरान गुस्से से उबल रहे थे शूटर: निशानेबाजी के खेल में मन बिल्कुल शांत होना चाहिए. खिलाड़ी को फोकस करना पड़ता है. निशानेबाजी के खेल में गुस्से से काम नहीं चलता है, उसे छोड़ना पड़ता है. लेकिन उस दिन भारतीय खिलाड़ियों की रगों में गुस्से की लहर दौड़ रही थी. इसलिए रणनीति बनाई गई और लक्ष्य तय हुआ कि पाकिस्तान की भारत में की गई नापाक हरकत का बदला पाकिस्तान की सरजमीं पर कुछ अलग और नए तरीके से लिया जाएगा जो खिलाड़ियों के सीने को ठंडक पहुंचाए.
एक तरफ मुंबई टेरर अटैक का दर्द, दूसरी तरफ शूटिंग फाइनल: 27 नवंबर को इस्लामाबाद में हुए उस रोमांचक शूटिंग मैच का वर्णन करते हुए ओम प्रकाश चौधरी बताते हैं कि उस दिन का मैच उनकी लाइफ का सबसे अलग मैच था. जहां एक तरफ सभी को लग रहा था कि भारतीय टीम अब दबाव में है. अच्छा परफॉर्म नहीं कर पाएगी. दूसरी तरफ सूबेदार ओम प्रकाश चौधरी कुछ और ही सोच रहे थे. उनकी नजरें उस लक्ष्य पर थीं, जो उन्होंने अपने कोच के साथ तय किया था. वो लक्ष्य केवल मैच जीतने या गोल्ड मेडल लाने तक सीमित नहीं था, बल्कि उस लक्ष्य की नजरों में सामने विनिंग डायस के पास खड़ा पाकिस्तानी सेना का वो सूबेदार मोहम्मद भुट्टा था, जो मेडल सेरेमनी के दौरान गोल्ड मेडल जीतने वाले खिलाड़ी के देश का झंडा फहराता था.
पाकिस्तानी सैन्य अफसर ने फहराया तिरंगा: भारतीय निशानेबाजी टीम ने तय किया था कि हमें अपने देश का झंडा आज पाकिस्तान की सेना के अफसर के हाथों फहराना है बस. अब मैच आगे चला तो सूबेदार ओमप्रकाश ने अपने हार्ट बीट को स्टेबल किया. भारत की तरफ से उन्होंने अच्छा परफॉर्मेंस किया. वहीं इसके साथ-साथ श्रीलंका और पाकिस्तान भी पीछे-पीछे अच्छा परफॉर्मेंस कर रहे थे. इस तरह से आधे समय तक श्रीलंका पाकिस्तान और भारत के बीच 19-20 का फर्क रहा. रिटायर्ड सूबेदार ओम प्रकाश चौधरी ने उस पल के बारे में बताया कि-
आखिर में 20 निशाने लगाने थे. मैंने तय कर लिया कि अब एक भी निशाना इसमें से चूकना नहीं है. इस तरह से मैंने 20 में से 17 निशाने लगाए. साथ-साथ चल रहा पाकिस्तानी खिलाड़ी 20 में से केवल 8 निशाने मार पाया. इस तरह से हमने एक लंबी लीड ले ली. मैच पाकिस्तान में हो रहा था तो पूरे मैच में पाकिस्तान की तरफ से ज्यादा लोग थे. उनकी तरफ से ज्यादा हौसला अफजाई पाकिस्तान के खिलाड़ियों की हो रही थी.
जब भारतीय टीम ने पाकिस्तान के साथ-साथ सभी टीमों को पछाड़ दिया, तब मौका भारतीय खिलाड़ियों का था. उस पल को जीने का था जिसका लक्ष्य रणनीति के तहत मैच से पहले बनाया गया था. वह पल था पाकिस्तानी सैन्य अफसर के हाथों भारत के के तिरंगे को फहराना.
-रिटायर्ड सूबेदार ओम प्रकाश चौधरी-
26-11 के अगले दिन पाकिस्तान से लिया बदला: भारत ने 4th साउथ एशियन चैंपियनशिप में निशानेबाजी के टीम इवेंट में गोल्ड मेडल हासिल किया. इंडिविजुअल इवेंट में सिल्वर मेडल हासिल किया. इन दोनों इवेंट में पाकिस्तान को पछाड़ा. प्रतियोगिता में 17 गोल्ड मेडल जीतकर पहला स्थाना हासिल किया. खासतौर से गोल्ड मेडल जीतने के बाद 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले के ठीक दूसरे दिन 27 नवंबर 2008 को पाकिस्तान के इस्लामाबाद में मौजूद जिन्ना स्टेडियम में भारत का राष्ट्रगान बजा तो कलेजे को ठंडक मिली. भारत का झंडा तिरंगा पाकिस्तान के सूबेदार मोहम्मद भुट्टा ने अपने ही देश पाकिस्तान के झंडे से ऊपर फहराया. वह पल जी तो केवल उसे समय वहां मौजूद भारतीय निशानेबाजी टीम के खिलाड़ी रहे थे, लेकिन यह पल पूरे भारत देशवासियों के लिए एक गौरव का पल था.
ये भी पढ़ें: