देहरादून/अल्मोड़ा: असत्य पर सत्य की विजय और बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देने को लेकर हर साल दशहरा पर्व मनाया जाता है. इस दौरान अहंकारी रावण और उसके भाइयों का पुतला दहन किया जाता है. देहरादून के ऐतिहासिक परेड ग्राउंड में भी दशहरा पर्व की तैयारियां पूरी हो चुकी है. देश की आजादी के समय से यानी 1947 से ही बन्नू बिरादरी दशहरा कमेटी देहरादून में दशहरा पर्व का आयोजन कर रही है.
परेड ग्राउंड में जलेगा 121 फीट ऊंचा रावण: बता दें कि बन्नू बिरादरी दशहरा कमेटी की ओर से इस साल 78 वां दशहरा पर्व का आयोजन किया गया है. जिसके तहत देहरादून परेड ग्राउंड में इस बार 121 फीट ऊंचा रावण और 70 फीट ऊंचा कुंभकरण और 75 फीट ऊंचा मेघनाद का पुतला लगाया गया है. ऐसे में दशहरा पर्व पर यानी 2 अक्टूबर को रावण का दहन कर बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश दिया जाएगा. जिसकी तैयारियां परेड ग्राउंड में पूरी हो चुकी है.
देहरादून में होगा 121 फीट ऊंचे रावण का दहन (वीडियो- ETV Bharat)
वीवीआईपी और वीआईपी के लिए अलग से व्यवस्थाएं: सुरक्षा व्यवस्था के लिहाज से परेड ग्राउंड में बरकत लगाए गए हैं. साथ ही वीवीआईपी और वीआईपी के लिए अलग से व्यवस्थाएं की गई है. परेड ग्राउंड में रावण, कुंभकरण और मेघनाद का पुतला लगाए जाने के बाद से ही लोगों में काफी उत्साह दिख रहा है. लोग ग्राउंड में अपने पूरे परिवार संग पहुंचकर इंजॉय कर रहे हैं.
देहरादून में दहन होने के लिए पुतले तैयार (फोटो- ETV Bharat)
वहीं, ईटीवी भारत से बातचीत में बन्नू बिरादरी दशहरा कमेटी के अध्यक्ष संतोख नागपाल ने बताया कि वो पिछले 78 साल से दशहरा पर्व का आयोजन कर रहे हैं. ऐसे में इस साल 78वां दशहरा पर्व का आयोजन परेड ग्राउंड में किया गया है. इस बार खास बात ये है कि रावण का पुतला 121 फीट ऊंचा, कुंभकरण और मेघनाथ का पुतला 70 और 75 फीट ऊंचा बनाया गया है.
पंजाब का पाइप बैंड, नासिक का ढोल और शिव बारात होगी खास: उन्होंने बताया कि पहले पुतलों को ऊंचाई 60 फीट तक होती थी, लेकिन इस बार 121 फीट का रावण बनाया गया है. प्रशासन के साथ व्यवस्थाओं के संबंध में बैठक की जा चुकी है. इस बार पंजाब का पाइप बैंड, नासिक का ढोल और भगवान शिव की बारात समेत तमाम कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना है.
रावण दहन को लेकर लोगों में उत्साह (वीडियो- ETV Bharat)
इस बार शोभायात्रा से ट्रैफिक नहीं होगी बाधित: दशहरा कमेटी की ओर से निकाले जाने वाले शोभायात्रा से ट्रैफिक बाधित नहीं होगा. क्योंकि, शोभायात्रा को लेफ्ट साइड से निकल जाएगा और ट्रैफिक के लिए कमेटी के वालंटियर पुलिस के साथ मिलकर ट्रैफिक को सुचारू रखने में मदद करेंगे. वहीं, असामाजिक तत्वों पर नजर रखने के लिए पुलिस बल तैनात किया गया है.
“विजयदशमी का पर्व अधर्म पर धर्म और असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है. यह पर्व हम सभी को अपने भीतर की बुराइयों को त्याग कर जीवन में सदाचार की राह पर चलने की प्रेरणा भी देता है. आज जरूरत इस बात की है कि हम अपने जीवन में अहंकार से मुक्त होकर सच्चाई के रास्ते पर चलें और प्रदेश व देश की सामाजिक समरसता के लिए मिलजुल कर काम करें. भगवान श्रीराम की शिक्षाओं को आत्मसात कर जीवन को सार्थक बनाएं.“- पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री, उत्तराखंड
अल्मोड़ा में दशहरा महोत्सव की दिख रही धूम: उत्तराखंड की सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा का दशहरा महोत्सव पूरे देश में प्रसिद्ध है. इस दशहरे को देखने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों समेत विदेशी पर्यटक भी यहां पहुंचते हैं. रामलीला में अल्मोड़ा के मोहल्लों में बनाए जाने वाले रावण परिवार के विशालकाय पुतले लोगों के आकर्षण का केंद्र रहते हैं. जहां रावण परिवार के इन पुतलों को स्थानीय कलाकार बनाते हैं.
दशहरा पर हिंदू-मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते हैं. जो सौहार्द का प्रतीक भी है. कुमाऊं की पहली कुमाऊंनी रामलीला साल 1860 में अल्मोड़ा नगर के बद्रेश्वर मंदिर में हुई थी. माना जाता है कि इसके बाद अल्मोड़ा में साल 1865 के दशहरे से रावण का पुतला बनाया जाने लगा.

अल्मोड़ा में पुतले का निर्माण (फोटो- ETV Bharat)
पुतला निर्माण में लगता है करीब एक महीना: दशहरे से एक महीने पहले से ये पुतले बनने शुरू हो जाते हैं. शुरुआत में नगर में केवल रावण का पुतला बनता था, लेकिन आज रावण परिवार के दर्जन से ज्यादा पुतले यहां बनाए जाते हैं. जिसको देखने के लिए लोगों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है.
कारखाना बाजार में रावण परिवार के अक्षय कुमार का पुतला बनाया गया है. पुतला बनाने वाले स्थानीय कलाकार हिमांशु गुप्ता ने बताया कि इस पुतले का निर्माण साल 1984 से उदय लाल शाह ने शुरू करवाया था. उन्हें इस पुतले को बनाते हुए 40 साल हो गए हैं.
इस बार पुतले का निर्माण जुलाई से शुरू कर दिया था. वेस्ट मेटेरियल से पुतला बनाया गया है. हिमांशु गुप्ता ने बताया कि उन्होंने भी इस पुतला बनाने की कला को बुजुर्गों से सीखा था. अल्मोड़ा की संस्कृति को देन रही है कि वर्तमान में वो कला के शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं.

बाल कलाकार तैयार कर रहा पुलता (फोटो- ETV Bharat)
बच्चे ने पॉकेट मनी से बनाया छोटा दूषण का पुतला: अल्मोड़ा की रामलीला हो या फिर रावण परिवार के पुतलों का निर्माण, इसको लेकर बच्चे काफी उत्साहित रहते हैं. अल्मोड़ा में संगीत, नाटक और कला तीनों पीढ़ी दर पीढ़ी एक दूसरे को हस्तांतरित होते आ रही है. इसका उदाहरण ये है कि अल्मोड़ा के थाना बाजार में दूषण का पुतला बनाया जा रहा है.
वहीं, क्षेत्र के एक बच्चे लक्की भट्ट ने इस दशहरा के लिए अपनी पॉकेट मनी लगाकर अकेले छोटा दूषण का निर्माण किया है. जिसे लोग सराह रहे हैं. लक्की भट्ट ने बताया कि वो बड़े लोगों को पुतला बनाते देखता था और उसमें सहयोग करता था. जिसके बाद उसने भी पुतला बनाने की सोची और अपनी पॉकेट मनी से पुतला बना डाला. जिसे दशहरा महोत्सव में प्रदर्शित कर उसका दहन किया जाएगा.
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