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सतत विकास लक्ष्य सूचकांक में दिखी पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास की मजबूत तस्वीर, 'फ्रंट रनर' जिलों का अनुपात बढ़कर 85 प्रतिशत हुई


नई दिल्ली, 13 जुलाई (आईएएनएस)। बेहतर डेटा सिस्टम, व्यापक स्तर पर जिलों की कवरेज और राज्यों की अधिक भागीदारी के कारण नॉर्थ ईस्ट रीजन का सतत विकास लक्ष्य सूचकांक का 2023-24 संस्करण पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास की सही तस्वीर पेश करता है।

नॉर्थ ईस्ट रीजन के सतत विकास लक्ष्य सूचकांक के 2023-24 संस्करण में बताया गया कि पूर्वोत्तर के इलाकों में काफी अच्छा विकास हुआ और मिजोरम, सिक्किम और त्रिपुरा के सभी जिलों ने ‘फ्रंट रनर’ स्टेटस हासिल कर लिया है।

मिजोरम का हनाहथियाल शीर्ष प्रदर्शन करने वाला जिला बनकर उभरा है। नागालैंड और त्रिपुरा जैसे राज्यों ने विभिन्न लक्ष्यों पर संतुलित और मजबूत प्रदर्शन किया है।

पहले संस्करण की तुलना में, अग्रणी श्रेणी में जिलों का अनुपात 2021-22 में 62 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में 85 प्रतिशत हो गया है।

यह सुधार राष्ट्रीय फ्लैगशिप योजनाओं, राज्यों द्वारा बेहतर स्थानीयकरण और आकांक्षी जिला कार्यक्रम जैसी पहलों के तहत किए गए प्रयासों का परिणाम है।

नीति आयोग और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय द्वारा संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के सहयोग से 7 जुलाई को जारी किया गया यह सतत विकास लक्ष्य सूचकांक का दूसरा संस्करण है, जो अगस्त 2021 की पहली रिपोर्ट पर आधारित है।

यह नवीनतम संस्करण आठ पूर्वोत्तर राज्यों के जिलों द्वारा 17 सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) में से 15 पर किए जा रहे प्रदर्शन पर नजर रखता है।

इसमें 131 में से 121 जिलों को शामिल किया गया है, जो पहले संस्करण के 103 जिलों से अधिक है। इस सूचकांक के आंकड़ों में भी सुधार हुआ है, जिसमें 84 संकेतकों (41 केंद्रीय और 43 राज्य) का उपयोग किया गया है, जो बेहतर समन्वय और रिपोर्टिंग को दर्शाता है।

संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2015 में अपनाए गए सतत विकास लक्ष्यों का उद्देश्य गरीबी कम करना, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा में सुधार, स्वच्छ जल और रोजगार सुनिश्चित करना और 2030 तक एक अधिक न्यायपूर्ण एवं समान विश्व का निर्माण करना है।

भारत में नीति आयोग राष्ट्रीय प्रयासों का नेतृत्व करता है, इन वैश्विक लक्ष्यों को सरकारी योजनाओं से जोड़ता है और सभी मंत्रालयों के साथ मिलकर काम करता है।

भारत में संयुक्त राष्ट्र की टीम समावेशिता और मजबूत वित्तीय सहायता सुनिश्चित करके इस प्रक्रिया का समर्थन करती है।

यह सूचकांक न केवल जिलों को रैंक करता है, बल्कि राज्यों के भीतर और उनके बीच मौजूद कमियों, चुनौतियों और असमानताओं को भी उजागर करता है।

इसका उद्देश्य प्रतिस्पर्धी संघवाद को प्रोत्साहित करना, स्थानीय नियोजन का समर्थन करना और डेटा प्रणालियों में सुधार करना है।

–आईएएनएस

एबीएस

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