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राष्ट्रीय पोषण सप्ताह: डॉक्टरों ने कहा, स्वाद के बजाए स्वास्थ्य पर दें ज्यादा ध्यान


नई दिल्ली, 1 सितंबर (आईएएनएस)। भारत में राष्ट्रीय पोषण सप्ताह 2025 का आयोजन 1 से 7 सितंबर तक किया जा रहा है। इस वर्ष की थीम है- ‘ईट राइट फॉर ए बेटर लाइफ’ (बेहतर जीवन के लिए सही खानपान अपनाएं)। इसका उद्देश्य लोगों को संतुलित आहार, सही खानपान की आदतें अपनाने, कुपोषण रोकने और जीवनशैली संबंधी बीमारियों से बचाव के प्रति जागरूक करना है।

समाचार एजेंसी आईएएनएस ने इस अवसर पर कई डॉक्टरों से बातचीत की, जिन्होंने पोषण और सही जीवनशैली पर अपने विचार साझा किए।

डॉ. एम.के. दीक्षित ने कहा कि आजकल बच्चे या तो बहुत कमजोर हो रहे हैं या फिर मोटापे का शिकार हो रहे हैं। इसका कारण है कि वे ज्यादातर जंक फूड और बाहर का खाना पसंद करते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे पारंपरिक खाने जैसे दाल, चावल, सब्जी और रोटी में लगभग सभी जरूरी पोषक तत्व मिल जाते हैं। अगर साथ में मौसमी फल और सलाद भी शामिल किया जाए तो आहार संतुलित हो जाता है। स्वाद के बजाए स्वास्थ्य पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। घर की दाल, रोटी और मौसमी सब्जियां-फल रोजाना के भोजन का हिस्सा होना चाहिए।

डॉ. अंकित ओम ने बताया कि स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मस्तिष्क के लिए संतुलित आहार अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि शिशु अवस्था से लेकर किशोरावस्था, गर्भावस्था और वृद्धावस्था तक सभी के लिए संतुलित पोषण जरूरी है। सही आहार लेने से डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और यहां तक कि कैंसर जैसी बीमारियों से भी बचाव किया जा सकता है। राष्ट्रीय पोषण सप्ताह का मुख्य उद्देश्य ही है कि लोगों को जागरूक कर उन्हें संतुलित आहार अपनाने के लिए प्रेरित किया जाए।

डॉ. मीरा पाठक ने बताया कि राष्ट्रीय पोषण सप्ताह का उद्देश्य लोगों में पौष्टिक भोजन, स्वस्थ खानपान की आदतों और बेहतर जीवनशैली के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। इस साल की थीम ‘ईट राइट फॉर बेटर लाइफ’ संतुलित आहार, माइंडफुल ईटिंग, प्रोसेस्ड फूड का कम उपयोग और पोषण शिक्षा को बढ़ावा देती है, ताकि कुपोषण और मोटापा, हाइपरटेंशन, डायबिटीज जैसी जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों से बचा जा सके। उन्होंने स्वस्थ जीवन के लिए पांच सुझाव दिए- पहला, नाश्ता न छोड़ें, भोजन का समय नियमित रखें और रात का खाना सोने से दो घंटे पहले लें। दूसरा- दिन में तीन बड़े और तीन छोटे भोजन लें। तीसरा- भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के ‘माई प्लेट’ मॉडल के अनुसार, थाली का आधा हिस्सा फल और सब्जियों, 25 फीसदी प्रोटीन (दाल, अंडा, मछली, पनीर आदि) और 25 फीसदी साबुत अनाज (ब्राउन राइस, किनोआ, बाजरा, रागी) से भरें, साथ ही दूध और दही शामिल करें। उन्होंने रिफाइंड फूड, जैसे चीनी, कार्बोनेटेड ड्रिंक्स, अधिक तेल और नमक से बचने की सलाह दी।

दिल्ली एम्स में पूर्व रेसिडेंट डॉ. राकेश ने कहा कि हर साल यह सप्ताह किसी थीम के साथ मनाया जाता है ताकि लोगों को बेहतर स्वास्थ्य के लिए सही खानपान का महत्व समझाया जा सके। उन्होंने कहा कि बच्चों में कुपोषण रोकने के लिए जरूरी है कि जन्म के बाद पहले छह महीने तक उन्हें केवल मां का दूध ही दिया जाए। इससे न सिर्फ कुपोषण की संभावना घटती है बल्कि निमोनिया और डायरिया जैसी गंभीर बीमारियों से भी बचाव होता है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि बड़े बच्चों और वयस्कों को संतुलित आहार में फल, हरी सब्जियां, दाल, पनीर, सोयाबीन, अंडा और मछली शामिल करनी चाहिए। साथ ही, नमक का कम सेवन, अधिक पानी पीना और तैलीय भोजन और बार-बार इस्तेमाल किए गए तेल से परहेज करना भी आवश्यक है।

वहीं, डॉ. निर्माल्य ने राष्ट्रीय पोषण सप्ताह को एक इंटरनेशनल हेल्थ केयर इवेंट बताते हुए कहा कि इस वर्ष की थीम ‘बेहतर जीवन के लिए सही खानपान’ का मतलब पेट भरने पर नहीं, सही खानपान पर जोर देने का है। सही खानपान से डायबिटीज, हृदय रोग, स्ट्रोक और किडनी की बीमारियों को रोका जा सकता है।

उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्रीय पोषण सप्ताह के अवसर पर मेरा संदेश है: कम तेल, कम नमक और कम चीनी का उपयोग करें।

–आईएएनएस

पीएसके/एएस

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