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उत्तराखंड में बिहार के 10 हजारी फार्मूले की गूंज, युवाओं-महिलाओं पर फोकस हुआ 2027 का चुनाव


2027 के विधानसभा चुनाव में महिलाओं और युवाओं पर फोकस (ETV Bharat Graphics)

नवीन उनियाल

देहरादून: उत्तराखंड में बिहार चुनाव के परिणाम राजनेताओं के लिए बड़ी टेंशन की वजह बन गए हैं. दरअसल बिहार में महिलाओं के खाते में 10 हजार रुपए भेजने के फैसले को NDA का तुरुप का इक्का माना गया और एनडीए के भारी बहुमत के साथ वापसी की यही वजह बताई गई. हालांकि यह सब बिहार में हुआ लेकिन इसकी गूंज उत्तराखंड तक भी सुनाई दे रही है.

उत्तराखंड में बिहार फार्मूले की गूंज: बिहार विधानसभा चुनाव के ताज़ा नतीजों ने उत्तराखंड की राजनीति में हलचल मचा दी है. बिहार में एनडीए की भारी जीत के पीछे सबसे प्रभावशाली कारक माना जा रहा है, महिलाओं को चुनाव से पहले मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत 10 हजार रुपये की आर्थिक सहायता देना. माना जा रहा है कि महिलाओं के वोट ने बिहार में एनडीए को निर्णायक बढ़त दिलाई, जिसके चलते महागठबंधन को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा. हालांकि यह सब बिहार में हुआ, लेकिन उसकी राजनीतिक गूंज अब उत्तराखंड में भी सुनाई देने लगी है.

NITISH KUMAR DUS HAZARI SCHEME

उत्तराखंड में 2027 में विधानसभा चुनाव होने हैं (ETV Bharat Graphics)

युवाओं-महिलाओं पर फोकस हुई राजनीति: उत्तराखंड के राजनीतिक मंचों पर इन दिनों चर्चा का प्रमुख विषय बिहार चुनाव में महिला वोटों की भूमिका बन गई है. दिलचस्प यह है कि जहां बिहार में महिलाओं को आर्थिक सहायता देकर चुनावी माहौल बदला गया, वहीं उत्तराखंड की सियासत में भी महिलाओं को लेकर रणनीतियां खुलकर सामने आने लगी हैं. हाल ही में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष की ताजपोशी का कार्यक्रम इसका बड़ा उदाहरण बना. मंच पर मुख्य मुद्दा संगठन निर्माण और 2027 में सत्ता वापसी की रणनीति होनी चाहिए थी, लेकिन चर्चा का केंद्र बिहार बन गया.

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मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना ने बिहार में एनडीए को फिर से सत्ता में लौटा दिया (ETV Bharat Graphics)

उत्तराखंड कांग्रेस को बिहार चुनाव जैसे हश्र का डर: कांग्रेस के नव नियुक्त प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने मंच से ही खुलकर आशंका जाहिर की कि भाजपा सरकार उत्तराखंड में भी बिहार की तर्ज पर महिलाओं के खातों में चुनाव से ठीक पहले 10 हजार रुपये देने का दांव खेल सकती है. गोदियाल ने कहा कि यदि सरकार वास्तव में महिला हितैषी है, तो चुनावी माहौल बनने का इंतजार क्यों? अभी से प्रति माह 10 हजार रुपये महिलाओं के खाते में जमा कराने की शुरुआत कर दे. अन्यथा माताओं–बहनों को भ्रमित करने और ठगने का काम न करे.

कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष ने ये कहा: गणेश गोदियाल ने तो यहां तक कह दिया कि-

भाजपा यदि अपनी 5 साल की सरकार के हिसाब से प्रत्येक महिला को 50 हजार रुपये देती है, तो कांग्रेस उसका स्वागत करेगी. लेकिन यदि ऐसा नहीं होता है, तो कांग्रेस सरकार में आने पर महिलाओं के बैंक खातों में राशि भेजने का वादा आज ही करती है.
-गणेश गोदियाल, प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस-

महिलाओं और युवाओं को साधने की कोशिश में कांग्रेस: इतना ही नहीं, कांग्रेस ने महिलाओं के साथ युवाओं को साधने की भी शुरुआत कर दी है. रक्षाबंधन पर महिलाओं को गारंटी कार्ड देने की घोषणा की गई है, जिसमें किसी भी बेरोजगार भाई को सरकारी नौकरी दिलवाने का वादा शामिल है.

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बिहार चुनाव में 10 हजार रुपए वाली मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना कारगर साबित हुई (ETV Bharat Graphics)

बिहार में महिलाओं ने दिया एनडीए का साथ: बिहार के चुनावी आंकड़े बताते हैं कि 2025 के चुनाव में महिलाओं की मतदान प्रतिशतता 70% से अधिक रही, जो पुरुषों की तुलना में लगभग 5–7% ज्यादा थी. महिला मतदाताओं के झुकाव ने एनडीए को स्पष्ट बहुमत दिलाने में निर्णायक भूमिका निभाई. यही वजह है कि उत्तराखंड में भी राजनीतिक दल अब महिलाओं और युवाओं को इस चुनाव का टर्निंग प्वाइंट मानने लगे हैं.

बीजेपी ने कांग्रेस पर बिहार की आड़ में बहानेबाजी का लगाया आरोप: हालांकि कांग्रेस की चिंताओं को भाजपा ने सिरे से खारिज किया है. कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि-

गणेश गोदियाल का बयान खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे जैसा है. कांग्रेस हर चुनाव में हार के बाद कभी ईवीएम तो कभी वोट चोरी का बहाना बनाती है. अब बिहार की आड़ लेकर भी बहानेबाज़ी की जा रही है. जनता कांग्रेस को नकार चुकी है और भाजपा विकास के मुद्दों पर चुनाव लड़ेगी.
-सुबोध उनियाल, कैबिनेट मंत्री उत्तराखंड-

बिहार से उत्तराखंड तक सुनाई दे रही मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना की धमक: स्पष्ट है कि बिहार का चुनाव परिणाम उत्तराखंड की सियासत को काफी हद तक प्रभावित कर चुका है. चुनाव अभी अपेक्षाकृत दूर हैं, लेकिन राजनीतिक रेखाएं खिंच चुकी हैं. आने वाले समय में महिलाएं और युवा ही उत्तराखंड की चुनावी राजनीति के केंद्रीय पात्र होंगे और सभी दल इन्हें साधने में पूरी ताकत झोंकते नजर आएंगे. बीजेपी के पास बिहार वाला जीत का फॉर्मूला है तो कांग्रेस इस फॉर्मूले से डरी मालूम पड़ रही है.
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