25 सालों के उत्तराखंड में मोबाइल क्नेक्टिविटी का हुआ महा’विस्तार’ (PHOTO-ETV Bharat)
रोहित सोनी…
देहरादून: उत्तराखंड राज्य गठन को 25 साल पूरे हो रहे हैं. ऐसे में राज्य सरकार, राज्य गठन की 25वीं वर्षगांठ को रजत जयंती वर्ष के रूप में मना रही है. जिसके तहत प्रदेश भर में तमाम कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. इन 25 सालों में राज्य के भीतर तमाम विकास के काम हुए हैं. इसमें प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों तक नेटवर्क कनेक्टिविटी पहुंचाने की पहल भी शामिल है. हालांकि, प्रदेश के कुछ ग्रामीण क्षेत्रों को छोड़ दें, तो लगभग प्रदेश के हर क्षेत्र में मोबाइल कनेक्टिविटी की सुविधा उपलब्ध कराई जा चुकी है. लेकिन अभी भी खासकर दूरस्थ क्षेत्रों में कई बार नेटवर्क कनेक्टिविटी की समस्या देखने को मिलती है. इसके चलते स्थानीय लोगों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
भारत देश, डिजिटलाइजेशन के क्षेत्र में तेजी से काम कर रहा है. वर्तमान स्थिति यह है कि अधिकतर विभाग डिजिटल हो गए हैं. इससे आम जनता को काफी अधिक सहूलियत हो रही है. लेकिन उत्तराखंड जैसे विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले राज्य में मोबाइल कनेक्टिविटी की समस्या हमेशा से ही देखने को मिलती रही है. देश भर में अधिकांश जगहों पर 4G की कनेक्टिविटी की सेवा मिल रही है. इसके साथ ही देश के अधिकतर शहरों में 5G कनेक्टिविटी की सुविधा मिल रही है. जिससे ना सिर्फ इंटरनेट की कनेक्टिविटी बेहतर हुई, बल्कि मोबाइल फोन से बातचीत के दौरान आने वाली समस्या भी काफी हद तक कम हो गई है.

उत्तराखंड में मोबाइल नेटवर्क की स्थिति (PHOTO-ETV Bharat)
पर्वतीय क्षेत्रों में विकास बड़ी चुनौती: लेकिन आज भी उत्तराखंड के कुछ गांव ऐसे हैं, जहां नेटवर्क कनेक्टिविटी की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाई है. जिसकी मुख्य वजह पर्वतीय क्षेत्रों की भौगोलिक परिस्थितियां बताई जा रही हैं. उत्तराखंड राज्य की बात करें तो, प्रदेश की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण खासकर पर्वतीय क्षेत्रों में विकास करना हमेशा से ही एक बड़ी चुनौती रही है. यही वजह है कि 9 नवंबर 2000 को राज्य गठन के बाद से अभी तक राज्य को जिस मुकाम पर पहुंचना था, वो मुकाम अभी तक हासिल नहीं हो पाया है. किसी भी क्षेत्र में विकास को उस क्षेत्र की मूलभूत सुविधाओं से जोड़कर देखा जाता है. लेकिन प्रदेश के तमाम पर्वतीय क्षेत्र ऐसे हैं, जहां मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं, जिसके चलते पलायन का सिलसिला जारी है.

राज्य में 39 हजार 741 बीटीएस संचालित (PHOTO-ETV Bharat)
96 फीसदी से अधिक गांवों में 4G सुविधा: भारत सरकार के दूरसंचार विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, उत्तराखंड राज्य के 17 हजार 334 गांवों में से 323 गांव ऐसे हैं, जहां ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल कम्युनिकेशन (GSM) यानी 2G की सुविधा उपलब्ध नहीं है. जबकि इन 334 में से ही कुछ गांवों में 4G की सुविधा उपलब्ध मिल रही है.

96 फीसदी से ज्यादा गांवों में 4G नेटवर्क (PHOTO-ETV Bharat)
आंकड़ों पर गौर करें तो उत्तराखंड राज्य में मोबाइल नेटवर्क कनेक्टिविटी के अनुसार 17 हजार 334 गांव हैं जिसमें से 16 हजार 807 गांवों में 4G की सुविधा उपलब्ध है. यानी उत्तराखंड के करीब 96.96 फीसदी गांवों में रहने वाले लोगों को 4G नेटवर्क की सुविधा मिल रही है. इसी तरह 17 हजार 334 गांवों में से 17 हजार 11 गांवों में 2G नेटवर्क कनेक्टिविटी की सुविधा मिल रही है. ऐसे में जिन गांवों में 4G नेटवर्क कई बार नहीं मिल पाता है, उन गांव में 2G नेटवर्क कनेक्टिविटी की सुविधा उपलब्ध रहती है.

उत्तराखंड में 40 हजार से अधिक बीटीएस (PHOTO-ETV Bharat)
40 हजार से अधिक बीटीएस: उत्तराखंड के तमाम शहरों में 5G कनेक्टिविटी उपलब्ध कराए जाने को लेकर 5,902 बेस ट्रांसीवर स्टेशन (BTS) लगाए गए हैं. ताकि प्रदेश के अधिकतर शहरों को 5G कनेक्टिविटी से जोड़ा जा सके. इसके अलावा प्रदेश भर में 4G कनेक्टिविटी के लिए 26,332 बेस ट्रांसीवर स्टेशन, 3G कनेक्टिविटी के लिए 2,105 बेस ट्रांसीवर स्टेशन और 2G कनेक्टिविटी के लिए 6,127 बेस ट्रांसीवर स्टेशन मौजूद हैं. हालांकि, ये सभी बीटीएस तमाम नेटवर्क सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों के हैं. यानी प्रदेश भर में कुल 40 हजार 466 बीटीएस मौजूद हैं, जिनके जरिए लोगों को मुख्य रूप से 5G, 4G और 2G की सुविधा उपलब्ध हो रही है.

1.50 करोड़ पार मोबाइल नेटवर्क यूजर्स (PHOTO-ETV Bharat)
दरअसल, भारत सरकार वर्तमान समय में देश भर के कोने-कोने में 4G कनेक्टिविटी को दुरुस्त करने के लिए बृहद स्तर पर काम कर रही है. यही वजह है कि 4G का बीटीएस लगाने पर जोर दिया जा रहा है.

मोबाइट कनेक्टिविटी से जुड़े चारधाम (PHOTO-ETV Bharat)
मोबाइट कनेक्टिविटी से जुड़े चारधाम: उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र में मौजूद चारधाम यात्रा में हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. लेकिन पहले मोबाइल कनेक्टिविटी को लेकर श्रद्धालुओं को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. इसको देखते हुए JIO कंपनी की ओर से चारों धामों में 5G कनेक्टिविटी की सुविधा के साथ फाइबर लाइन की भी सुविधा दी गई है. वहीं, एयरटेल कंपनी की ओर से सिर्फ दो धाम केदारनाथ और बदरीनाथ धाम में 5G कनेक्टिविटी की सुविधा दी जा रही है. इससे प्रदेश के उच्च हिमालयी क्षेत्र में भी आसानी से मोबाइल नेटवर्क का इस्तेमाल किया जा रहा है. हालांकि, इस क्षेत्र में अभी भी बीएसएनएल और अन्य कंपनियों की नेटवर्क कनेक्टिविटी बेहद खराब है.
इतने लगे टावर: भारत सरकार की डिजिटल भारत निधि योजना के तहत उत्तराखंड राज्य में 594 मोबाइल टावर लगाए जाने का काम किया जा रहा है. जिसमें 548 बीएसएनएल और 46 JIO कंपनी के टावर शामिल हैं. सितंबर 2025 तक प्रदेश भर में 451 मोबाइल टावर लगा दिए गए हैं, जो काम कर रहे हैं. प्रदेश भर में लगाए गए 451 टावर्स में से 410 टावर बीएसएनल और 41 टावर JIO की ओर से लगाए जा चुके हैं. संभावना जताई जा रही है कि बाकी बचे हुए 43 टावर लगने के बाद प्रदेश के इस क्षेत्र में भी मोबाइल कनेक्टिविटी की देखी जा रही समस्या दूर हो जाएगी.

इंटरनेट की स्पीड को बेहतर करने के लिए फाइबर लाइन लगाए जाने का काम जारी (PHOTO-ETV Bharat)
1.50 करोड़ पार मोबाइल नेटवर्क यूजर्स: यही नहीं, भारत सरकार की भारत नेट प्रोजेक्ट के तहत पहले चरण में प्रदेश के 1,849 ग्राम पंचायत और तीसरे चरण में सभी ग्राम पंचायत में फाइबर लाइन के जरिए इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध कराए जाने पर काम चल रहा है. जबकि दूसरे चरण में प्रदेश के किसी भी ग्राम पंचायत को शामिल नहीं किया गया. प्रदेश की सभी ग्राम पंचायत में इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध होने के बाद लोगों को काफी सहूलियत होगी. हालांकि, उत्तराखंड राज्य में बड़ी संख्या में मोबाइल सब्सक्राइब भी बढ़ते जा रहे हैं. मिली जानकारी के अनुसार, सितंबर 2025 तक प्रदेश भर ने मोबाइल नेटवर्क यूजर्स की संख्या 1.50 करोड़ के पार पहुंच गई है. जबकि अप्रैल 2024 तक प्रदेश भर में मोबाइल नेटवर्क यूजर की संख्या 1.40 करोड़ थी.

उत्तराखंड के करीब 96.96 फीसदी गांवों में रहने वाले लोगों को 4G नेटवर्क की सुविधा मिल रही (PHOTO-ETV Bharat)
4G नेटवर्क कनेक्टिविटी: उप महानिदेशक (ग्रामीण) राजीव बंसल ने कहा कि भारत सरकार की कोशिश है कि देश भर के कोने-कोने तक मोबाइल नेटवर्क की सुविधा उपलब्ध हो, जिस दिशा में दूरसंचार विभाग काम कर रहा है. हालांकि, उत्तराखंड राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों और प्राकृतिक घटनाओं की वजह से मोबाइल नेटवर्क को मेंटेन करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. यही नहीं, कई बार ऐसा भी देखा गया है कि टावर लगने के बावजूद भी एक जगह से दूसरे जगह नेटवर्क उपलब्ध नहीं हो पाता है, जिसकी मुख्य वजह पहाड़ों के बैंड होने समेत अन्य कारण भी शामिल हैं. बावजूद इसके उत्तराखंड राज्य के लगभग 97 फीसदी गांव को 4G नेटवर्क कनेक्टिविटी से कनेक्ट किया जा चुका है.
इन दो प्रोजेक्ट पर तेजी से काम: राजीव बंसल ने कहा कि उत्तराखंड समेत देश के अन्य राज्यों में मोबाइल कनेक्टिविटी को बेहतर किए जाने को लेकर भारत सरकार की ओर से तमाम योजनाएं चलाई जा रही हैं. इनमें मुख्य रूप से डिजिटल भारत निधि और भारत नेट प्रोजेक्ट शामिल हैं. इन योजनाओं के जरिए टावर की संख्या बढ़ाने के साथ ही इंटरनेट की स्पीड को बेहतर किए जाने को लेकर फाइबर लाइन लगाए जाने का काम किया जा रहा है. उत्तराखंड राज्य में 5 अगस्त को धराली में आई आपदा की वजह से मोबाइल नेटवर्क कनेक्टिविटी बाधित हो गई थी, जिसके चलते उत्तराखंड के इतिहास में पहली बार बीटीएस को एयरलिफ्ट किया गया. जिसका नतीजा यह हुआ कि सड़कें दुरुस्त नहीं थी, बावजूद इसके धराली क्षेत्र में मोबाइल नेटवर्क कनेक्टिविटी पहुंच गई थी.
वहीं, भारत सरकार दूरसंचार विभाग, उत्तराखंड रीजन के डायरेक्टर लवी गुप्ता ने बताया कि उत्तराखंड राज्य में करीब 1.5 करोड़ मोबाइल सब्सक्राइब हैं, जिनको बेहतर नेटवर्क कनेक्टिविटी उपलब्ध कराने के लिए पूरे राज्य में 39 हजार 741 बीटीएस संचालित हो रहे हैं. इसमें 4G के 26 हजार 332 बीटीएस और 5G के 5,902 बीटीएस काम कर रहे हैं. फॉरेस्ट लैंड में टावर लगाने के लिए फॉरेस्ट मंत्रालय और लोकल अथॉरिटी से परमिशन लेनी होती है. इसके बाद सभी ऑपरेटर को देखते हुए टावर लगाया जाता है. कुल मिलाकर पर्वतीय क्षेत्र होने के चलते कनेक्टिविटी को बेहतर करने में दिक्कतें आती रहती हैं.
प्रदेश में मोबाइल नेटवर्क की स्थिति:
- अल्मोड़ा जिले में 2,302 गांव हैं. जिसमें से 2,290 गांवों में 4G और 2,299 गांवों में 2G नेटवर्क की सुविधा उपलब्ध है.
- बागेश्वर जिले में 960 गांव हैं. 953 गांवों में 4G और 930 गांवों में 2G नेटवर्क की सुविधा उपलब्ध है.
- चमोली जिले में 1,297 गांव, जिसमें से 1,226 गांवों में 4G और 1,235 गांवों में 2G नेटवर्क की सुविधा उपलब्ध है.
- चंपावत जिले में 721 गांव हैं, जिसमें से 710 गांवों में 4G और 694 गांवों में 2G नेटवर्क की सुविधा उपलब्ध है.
- देहरादून जिले में 837 गांव हैं, जिसमें से 772 गांवों में 4G और 820 गांवों में 2G नेटवर्क की सुविधा उपलब्ध है.
- पौड़ी गढ़वाल जिले में 3,561 गांव हैं, जिसमें से 3,471 गांवों में 4G और 3,556 गांवों में 2G नेटवर्क की सुविधा उपलब्ध है.
- हरिद्वार जिले में 657 गांव हैं. 635 गांवों में 4G और 657 गांवों में 2G नेटवर्क की सुविधा मौजूद है.
- नैनीताल जिले में 1,181 गांव हैं, जिसमें से 1,148 गांवों में 4G और 1,163 गांवों में 2G नेटवर्क की सुविधा उपलब्ध है.
- पिथौरागढ़ जिले में 1,748 गांव हैं, जिसमें से 1,680 गांवों में 4G और 1,657 गांवों में 2G नेटवर्क की सुविधा उपलब्ध है.
- रुद्रप्रयाग जिले में 701 गांव, जिसमें से 690 गांवों में 4G और 695 गांवों में 2G नेटवर्क की सुविधा उपलब्ध है.
- टिहरी गढ़वाल जिले में 1,929 गांव है, जिसमें से 1,877 गांवों में 4G और 1,922 गांवों में 2G नेटवर्क की सुविधा उपलब्ध है.
- उधमसिंह नगर जिले में 711 गांव है, जिसमें से 700 गांवों में 4G और 711 गांवों में 2G नेटवर्क की सुविधा उपलब्ध है.
- उत्तरकाशी जिले में 729 गांव है, जिसमें से 655 गांवों में 4G और 672 गांवों में 2G नेटवर्क की सुविधा उपलब्ध है.
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