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कमलेश्वर मंदिर में खड़ा दीया अनुष्ठान, रातभर हाथ में दीया लेकर अराधना करेंगे निसंतान दंपति, जानिए मान्यता


कमलेश्वर महादेव मंदिर में खड़ा दीया अनुष्ठान (फोटो- ETV Bharat)

श्रीनगर (उत्तराखंड): बैकुंठ चतुर्दशी पर्व के पावन अवसर पर सिद्धपीठ कमलेश्वर महादेव मंदिर में संतान प्राप्ति की कामना के साथ श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा. प्राचीन परंपरा और आस्था से जुड़ा यह अनुष्ठान मंगलवार की गोधूलि बेला में बड़े श्रद्धा और उल्लास के साथ शुरू हुआ. मंदिर परिसर में उस वक्त आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिला, जब देश-विदेश से आए दंपतियों ने भगवान कमलेश्वर महादेव के समक्ष दीपक हाथों में लेकर पूरी रात साधना और प्रार्थना की.

बता दें कि मंगलवार यानी 4 नवंबर को शाम ठीक गोधूलि बेला (5 बजकर 30 मिनट) पर कमलेश्वर महादेव मंदिर के महंत आशुतोष पुरी महाराज ने दीप प्रज्वलित कर ‘खड़ा दीया अनुष्ठान’ का विधिवत शुभारंभ किया. इस दौरान पूरा मंदिर परिसर ‘हर हर महादेव’ और ‘बोल बम’ के जयकारों से गूंज उठा. इससे पूरा वातावरण शिवमय हो उठा.

Khada Diya Rituals in Kamleshwar Temple

कमलेश्वर महादेव मंदिर में बैकुंठ चतुर्दशी पर्व (फोटो- ETV Bharat)

190 से ज्यादा निसंतान दंपति अनुष्ठान में शामिल: अनुष्ठान में शामिल होने के लिए 235 से ज्यादा निसंतान दंपतियों ने पंजीकरण कराया था, जिनमें से 190 से ज्यादा दंपति अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए उपस्थित रहे. महंत आशुतोष पुरी ने परंपरागत विधि-विधान से अनुष्ठान की शुरुआत की.

इस दौरान महिलाओं की कमर में एक विशेष कपड़े में जुड़वा नींबू, श्रीफल, पंचमेवा और चावल की पोटली बांधी गई, जो संतान सुख का प्रतीक मानी जाती है. इसके बाद महंत ने प्रत्येक दंपति को दीपक प्रदान किया और पूजा-अर्चना कर भगवान शिव से आशीर्वाद की कामना की. वहीं, रात भर दंपति हाथों में जलते दीपक लेकर भगवान कमलेश्वर महादेव की साधना में लीन रहे.

Khada Diya Rituals in Kamleshwar Temple

हाथ में दीया लेकर खड़े निसंतान महिलाएं (फोटो- ETV Bharat)

बुधवार सुबह स्नान और पूजन के बाद संपन्न होगा अनुष्ठान: ऐसा धार्मिक विश्वास है कि इस अनुष्ठान को करने से भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा से संतान की प्राप्ति होती है और दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि आती है. अब बुधवार सुबह स्नान और पूजन के बाद महंत आशुतोष पुरी की ओर से सभी दंपतियों को आशीर्वाद दिया जाएगा, जिसके साथ यह पवित्र अनुष्ठान संपन्न होगा.

अमेरिका से भी पहुंचे निसंतान दंपति: इस साल का खड़ा दीया अनुष्ठान विशेष रूप से भव्य रहा. न केवल उत्तराखंड बल्कि, अमेरिका, नोएडा, गाजियाबाद, दिल्ली, बेंगलुरु, चंडीगढ़, महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे विभिन्न राज्यों और शहरों से श्रद्धालु दंपति यहां पहुंचे. दूर दराज से आए श्रद्धालुओं के लिए मंदिर समिति की ओर से विशेष व्यवस्थाएं की गई है.

कमलेश्वर महादेव मंदिर प्रबंधन समिति के सदस्यों ने बताया कि बैकुंठ चतुर्दशी के दिन किया जाने वाला यह अनुष्ठान सदियों पुरानी परंपरा है. इसकी मान्यता अत्यंत फलदायी है. हर साल देशभर से सैकड़ों दंपति यहां अपनी संतान की इच्छा पूरी करने के लिए आते हैं. जो भगवान कमलेश्वर महादेव के चरणों में दीप अर्पित कर अपनी मनोकामना मांगते हैं.

Khada Diya Rituals in Kamleshwar Temple

हाथ में दीया लेकर अराधना करते दंपति (फोटो- ETV Bharat)

भगवान विष्णु ने की थी शिव का अराधना: मान्यता है कि भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र की प्राप्ति के लिए इसी कमलेश्वर मंदिर में भगवान शिव की स्तुति की थी. जिसके तहत भगवान विष्णु को 100 कमलों को शिव आराधना के दौरान शिव लिंग पर चढ़ाना था, लेकिन तब भगवान शिव ने परीक्षा लेने के लिए 99 कमलों के बाद एक कमल छुपा दिया.

ऐसे में कमल अर्पण करने के लिए भगवान विष्णु ने अपने नेत्र चढ़ा दिए. जिसके बाद से ही भगवान विष्णु के नेत्रों को कमल नयन भी कहा जाने लगा. ऐसे में भगवान विष्णु की भक्ति से खुश होकर भगवान शंकर ने उन्हें सुदर्शन चक्र प्रदान किया.

इसी दौरान भगवान विष्णु की इस पूजा को एक निसंतान दंपति भी देख रहा था. जिसके बाद इस दंपति ने भी इस विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा अर्चना की. ऐसे में उन्हें भी पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई. तभी से माना जाता है कि यहां पर निसंतान दंपतियों की ओर से रात भर हाथ में दीया लेकर अराधना करने पर संतान की प्राप्ति होती है.

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