उत्तराखंड के 25 साल (Photo- ETV Bharat)
रोहित सोनी…
देहरादून: उत्तराखंड 9 नवंबर को अपने 25 साल पूरे कर 26वें वर्ष में प्रवेश करने जा रहा है. इसीलिए इस साल के उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस को प्रदेश सरकार रजत जयंती वर्ष के तौर पर मना रही है. इन 25 सालों में उत्तराखंड ने कई उतार चढ़ाव देखे. कई उपलब्धियां हासिल की तो कुछ चुनौतियों का भी सामना किया. इन 25 सालों में उत्तराखंड में किस तरह के राजनीति हालात बदले उस पर एक नजर डालते हैं.
उत्तराखंड की 25 सालों की राजनीतिक पर गौर करें तो प्रदेश में काफी उथल-पुथल देखने को मिली है, जिसका असर राज्य पर ये पड़ा कि 25 साल के उत्तराखंड में 11 मुख्यमंत्री बने. पूर्व सीएम दिवंगत एनडी तिवारी के अलावा अभी तक कोई भी मुख्यमंत्री उत्तराखंड में अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है.
पॉलिटिकल इंस्टैबिलिटी का शिकार उत्तराखंड! (ETV Bharat)
सीएम पैदा करने की फैक्ट्री साबित हुआ उत्तराखंड: एक तरह से देखा जाए तो उत्तराखंड 25 सालों में सीएम पैदा करने की फैक्ट्री साबित हुआ है. जबकि उत्तराखंड के पड़ोसी राज्य हिमाचल में बीते 25 सालों में 6 मुख्यमंत्री रहे हैं. वहीं उत्तराखंड के साथ ही दो और राज्यों छत्तीसगढ़ और झारखंड का भी गठन हुआ था.
25 साल में बदलने पड़े 11 मुख्यमंत्री (ETV Bharat)
छत्तीसगढ़ में 25 सालों के भीतर 6 मुख्यमंत्री बने हैं. वहीं झारखंड में 25 सालों से 14 मुख्यमंत्री बने हैं, जिसमें से सात नेता ऐसे हैं, जो एक से अधिक बार मुख्यमंत्री बने हैं, लेकिन उत्तराखंड में इसके उलट है. यहां उत्तराखंड में 11 मुख्यमंत्री बन चुके हैं. उत्तराखंड की राजनीतिक अस्थिरता को लेकर अक्सर सवाल खड़े होते रहे हैं कि आखिर इतने छोटे प्रदेश में क्यों बार-बार नेतृत्व परिवर्तन की जरूरत पड़ती रही है? आज इसके पीछे की वजह जानने की कोशिश करते हैं.

25 साल में बने 11 सीएम (ETV Bharat Graphics)
अंतरिम सरकार में ही दो मुख्यमंत्री बने: यूपी से पृथक होकर 9 नवंबर 2000 को एक अलग राज्य के तौर पर उत्तराखंड (तब उत्तरांचल) राज्य का गठन किया गया. उत्तराखंड राज्य गठन के साथ ही प्रदेश में पहली अंतरिम सरकार बीजेपी की बनी थी.

उत्तराखंड के 25 सालों का लेखा जोखा (ETV Bharat Graphics)
नित्यानंद स्वामी बने प्रदेश के पहले मुखिया: बीजेपी ने नित्यानंद स्वामी को प्रदेश का पहला मुख्यमंत्री बनाया था, लेकिन वो एक साल भी मुख्यमंत्री नहीं रह सके थे. अंदरूनी राजनीतिक कलह के चलते बीजेपी ने एक साल के अंदर ही नित्यानंद स्वामी को हटा दिया था. उनकी जगह भगत सिंह कोश्यारी को सीएम बनाया गया था.

उत्तराखंड विधानसभा (ETV Bharat)
अपना कार्यकाल पूरा करने वाले एनडी तिवारी इकलौते सीएम: राज्य गठन के बाद साल 2002 में प्रदेश के पहले विधानसभा चुनाव हुए. प्रदेश में कांग्रेस की पहली निर्वाचित सरकार बनी और एनडी तिवारी को मुख्यमंत्री बनाया गया. एनडी तिवारी इससे पहले यूपी के मुख्यमंत्री भी रह चुके थे. एनडी तिवारी ही एक ऐसे नेता हैं, जो अभी तक प्रदेश में पूरे पांच साल सीएम रहे. यानि, उन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया.
साल 2007 से लेकर 2012 तक बीजेपी ने तीन बार सीएम बदले: साल 2007 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को जीत मिली. बीजेपी ने भुवन चंद्र खंडूड़ी को मुख्यमंत्री बनाया है, लेकिन दो साल के अंदर ही बीजेपी को फिर से अदरूनी कलह का सामना करना पड़ा. इसीलिए बीजेपी ने साल 2009 में भुवन चंद्र खंडूड़ी को सीएम की कुर्सी के हटाकर रमेश पोखरियाल निशंक को नया सीएम बनाया. इसके बावजूद राजनीतिक कलह नहीं रुकी. साल 2012 के चुनाव से 6 महीने पहले ही बीजेपी को फिर से मुख्यमंत्री बदलना पड़ा.
पांच साल के अंदर दूसरी बार सीएम बने खंडूड़ी: बीजेपी ने रमेश पोखरियाल निशंक से इस्तीफा लिया और भुवन चंद्र खंडूड़ी को दोबारा सीएम बनाया. पांच साल के अंदर ही बीजेपी को तीन बार सीएम बदलने पड़े. हालांकि 2012 के चुनाव में सीएम खंडूड़ी खुद की सीट भी नहीं बच पाए थे और कोटद्वार सीट से चुनाव हार गए थे.
कांग्रेस ने भी पांच सालों में दो मुख्यमंत्री बनाए: साल 2012 में कांग्रेस की सरकार बनी. कांग्रेस ने सीएम की कुर्सी विजय बहुगुणा को सौंपी. हालांकि साल 2013 की केदारनाथ आपदा के बाद विजय बहुगुणा के खिलाफ माहौल बना. इसके बाद कांग्रेस ने दो साल के अंदर ही सीएम बदला और साल 2014 में हरीश रावत को प्रदेश का नया सीएम बनाया. हरीश रावत फरवरी 2014 से मार्च 2017 तक सीएम रहे हैं. बता दें कि इस बीच प्रदेश में राष्ट्रपति शासन भी लगा था.
साल 2017 से साल 2022 के बीच बीजेपी ने बदले तीन सीएम: साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को प्रचंड जीत मिली है. बीजेपी ने इस बार त्रिवेंद्र सिंह रावत को सीएम बनाया, लेकिन त्रिवेंद्र सिंह रावत को भी अपनी सरकार के चार साल पूरा होने से 9 दिन पहले हटा दिया गया था.
तीरथ सिंह रावत को सीएम बनाया: त्रिवेंद्र की जगह बीजेपी ने तत्कालीन पौड़ी सांसद तीरथ सिंह रावत को सीएम बनाया. लेकिन तीरथ सिंह रावत 6 महीने भी सीएम की कुर्सी पर नहीं बैठ पाए. बीजेपी ने 6 महीने के भीतर ही तीरथ सिंह रावत हटा दिया और पुष्कर सिंह धामी को 2022 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री बनाया.
साल 2022 का विधानसभा चुनाव बीजेपी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में लड़ा. हालांकि मुख्यमंत्री होते हुए भी पुष्कर सिंह धामी अपनी खटीमा सीट हार गए, लेकिन 6 महीने के भीतर ही उन्होंने चंपावत से चुनाव लड़ा और अपनी जीत दर्ज कराई थी.
राजनीतिक जानकारों की राय: इस तरह की राजनीतिक अस्थिरता से न सिर्फ प्रदेश का विकास प्रभावित हुआ, बल्कि शासन और प्रशासन के कामकाज पर भी पड़ा असर पड़ा. उत्तराखंड में इस तरह की राजनीतिक अस्थिरता के पीछे जानकारों के अपने-अपने मत हैं.
वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप राणा का कहना है कि उत्तराखंड राज्य गठन के बाद से ही प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता का जो माहौल रहा है, उसके पीछे कई कारण हैं. एक तो मुख्य कारण यही है कि उत्तराखंड का राजनीतिक इतिहास उतना सक्षम नहीं था. इसीलिए प्रदेश में उस तरह से नेतृत्व विकसित नहीं हो पाया. उत्तराखंड की मांग को लेकर आंदोलन खड़ा करने वाली पार्टी यूकेडी (उत्तराखंड क्रांति दल) भी आज हासिए पर चली गयी है.

वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप राणा (ETV Bharat)
उत्तर प्रदेश में रहते हुए उत्तराखंड की राजनीतिक का केंद्र लखनऊ रहा, जिससे पहाड़ का विकास पिछड़ रहा था. एक तरह के कहा जा सकता है कि उत्तराखंड में जो नेतृत्व विकसित हुआ, वो आंदोलन से या फिर आंदोलन के बाद ही विकसित हुआ. राजनीति और आंदोलन दोनों अलग-अलग विषय हैं. यही वजह है कि राजनीतिक रूप से विकसित होने में उत्तराखंड समय ले रहा है.
-कुलदीप राणा, वरिष्ठ पत्रकार-
उत्तराखंड में राजनेताओं की स्थिति कमजोर: इस विषय पर वरिष्ठ पत्रकार संजय झा ने कई बड़े कारण बताए हैं. उनका कहना है कि विशेष भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए उत्तराखंड राज्य का गठन किया गया था. राज्य गठन के बाद से ही भाजपा और कांग्रेस ने शासन किया. दोनों ही राष्ट्रीय दल हैं. ऐसे में जब राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व परिवर्तन होता है, तो उनकी भी अपनी इच्छाएं होती हैं, जिसका असर उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य पर दिखा. उत्तराखंड में बार-बार नेतृत्व परिवर्तन होने का एक बड़ा कारण ये भी माना जा सकता है.

संजय झा, वरिष्ठ पत्रकार (ETV Bharat)
दूसरा एक बड़ा कारण यह भी रहा है कि यहां के राजनेताओं की स्थिति कमजोर रही है. राज्य गठन के बाद पहली निर्वाचित सरकार में एनडी तिवारी मुख्यमंत्री बने. एनडी तिवारी ताकतवर शख्सियत थे. यही वजह है कि उन्होंने 5 साल का कार्यकाल पूरा किया. जबकि उन्हीं के पार्टी के लोग उनको अस्थिर करने में जुटे हुए थे.
-संजय झा, वरिष्ठ पत्रकार-
उत्तराखंड का नेगेटिव प्वाइंट: उत्तराखंड में बार-बार सत्ता परिवर्तन यानी सीएम बदलने का एक और बड़ा कारण संजय झा बताते है, जो काफी नेगेटिव प्रभाव डाल रहा है. उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन होने के साथ ही शासन व्यवस्था में भी बड़ा फेरबदल किया जाता है, यह कई बार देखा गया है कि जब मुख्यमंत्री बदलता है तो फिर मुख्य सचिव भी बदल दिया जाता है, जिसमें सुधार लाने की जरूरत है.
बीजेपी का मत: वहीं राजनीति दल इसे किस तरह देखते हुए है. प्रदेश में अभी तक सबसे ज्यादा मुख्यमंत्री तो बीजेपी ने ही बदले हैं. इस बारे में जब बीजेपी विधायक विनोद चमोली से सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि साल 2009 में भाजपा पांचों लोकसभा सीटें हार गई थी, जिसके चलते तत्कालीन मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी को हटाकर राज्य की कमान रमेश पोखरियाल निशंक को सौंपी गई थी. फिर 2012 विधानसभा चुनाव से पहले दोबारा राज्य की कमान भुवन चंद्र खंडूड़ी को सौंपी गई. लेकिन इसके बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी मुख्यमंत्री के तौर पर 4 साल का कार्यकाल पूरा किया. वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी 4 साल का कार्यकाल लगभग पूरा कर रहे हैं. ऐसे में बीजेपी में लंबे समय तक मुख्यमंत्री का कार्यकाल रहा है.

बीजेपी विधायक विनोद चमोली. (ETV Bharat)
कांग्रेस कार्यकाल के दौरान एनडी तिवारी ने भले ही 5 साल का कार्यकाल पूरा किया हो, लेकिन किन परिस्थितियों में पूरा किया ये सभी जानते हैं. क्योंकि उस दौरान दायित्वधारियों की बंदरबाट सिर्फ कुर्सी बचाने के लिए ही की गयी थी. भाजपा को इस तरह से कुर्सी बचाने की जरूरत नहीं है, जिससे प्रदेश ट्रोल हो जाए. कांग्रेस सरकार में विजय बहुगुणा मुख्यमंत्री बने, लेकिन उनको भी स्थाई नहीं रहने दिया गया, जिसका परिणाम ये हुआ कि विजय बहुगुणा खुद कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए. ऐसे में कांग्रेस से तुलनात्मक रूप में भाजपा ने ज्यादा स्थाई मुख्यमंत्री और सरकार दी हैं.
-विनोद चमोली, बीजेपी विधायक-
उत्तर प्रदेश की बिगड़ी हुई फोटो स्टेट बना गया उत्तराखंड: इस पूरे मामले पर कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि उत्तराखंड तो उत्तर प्रदेश की बिगड़ी हुई फोटो स्टेट बन गया. उत्तराखंड राज्य गठन के बाद से ही मुख्यमंत्री बनाने में भाजपा ने सारे रिकॉर्ड तोड़े हैं. हालांकि साल 2012 से 2017 के बीच कांग्रेस सरकार में बेशक दो मुख्यमंत्री रहे हैं, लेकिन राज्य गठन के बाद पहली निर्वाचित कांग्रेस सरकार में एक ही मुख्यमंत्री रहे हैं.

सूर्यकांत धस्माना, प्रदेश उपाध्यक्ष, कांग्रेस (ETV Bharat)
इस पार्टी (बीजेपी) ने अंतरिम सरकार में ही दो-दो मुख्यमंत्री बनाए हैं. इसके बाद भी भाजपा कार्यकाल में तीन- तीन मुख्यमंत्री बने. भाजपा ने मुख्यमंत्री बनने के अलावा कुछ नहीं किया है. प्रदेश में अधिक मुख्यमंत्री देने की मुख्य वजह सत्ता की लोलुपता, कुर्सी की दौड़ और भाजपा में मौजूद अति महत्वाकांक्षी लोगों की देन है.
–सूर्यकांत धस्माना, प्रदेश उपाध्यक्ष, कांग्रेस-
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