Homeउत्तराखण्ड न्यूजउत्तराखंड के तीर्थनगरी में शराब के ठेके की हिफाजत कर रही पुलिस,...

उत्तराखंड के तीर्थनगरी में शराब के ठेके की हिफाजत कर रही पुलिस, जानिए विवाद की असली वजह


विदेशी मदिरा की दुकान के बाहर पुलिस का पहरा (फोटो सोर्स- ETV Bharat)

किरनकांत शर्मा

देहरादून: उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है. माना जाता है कि यहां के कोने-कोने में भगवान वास करते हैं. यहां दो तरह के लोग आते हैं. एक धार्मिक पर्यटन के लिए तो दूसरा साहसिक पर्यटन को लेकर. वैसे तो उत्तराखंड का हर एक जिला अपने आप में बहुत सारी खूबियां समेटे हुए हैं, लेकिन हरिद्वार और ऋषिकेश दोनों ऐसे शहर हैं, जो आध्यात्मिक नगरी के साथ साहसिक पर्यटकों को भी बेहद पसंद आते हैं, लेकिन इन दिनों तीर्थनगरी ऋषिकेश में एक अजीब किस्म का विवाद खड़ा हुआ है.

यह विवाद एक शराब की दुकान को लेकर चल रहा है. जहां ऋषिकेश के राम झूला से लगभग एक से डेढ़ किलोमीटर दूर और गंगा नदी से करीब 900 मीटर दूरी पर मुनिकीरेती के ढालवाला में एक शराब का ठेका खुला है, जिसको लेकर मामला गरमाया हुआ है. हालांकि, यह शराब का ठेका साल 2018 में भारी विरोध के बाद खुला था, लेकिन अब इस पर इतना विवाद क्यों है? क्यों शराब की दुकान चर्चा का विषय बनी हुई है. इससे आपको रूबरू करवाते हैं.

इस वजह से खुला है शराब ठेका: देवभूमि उत्तराखंड को ऋषि-मुनियों की तपोभूमि और आस्था का केंद्र कहा जाता है. आज एक गहरी विडंबना का सामना कर रही है, जहां गंगा की निर्मल धारा हर आत्मा को शुद्ध करने का संदेश देती है. वहीं, उसी गंगा तट से महज कुछ ही दूरी पर साल 2018 में खुला एक शराब का ठेका अब पूरे प्रदेश में विवाद का विषय बन गया है.

Rishikesh Wine Shop Protest

शराब के ठेके बाहर लोगों का धरना (फोटो सोर्स- ETV Bharat)

ऋषिकेश आध्यात्मिकता और योग की राजधानी के रूप में पूरी दुनिया में जाना जाता है, लेकिन यह शहर अब एक ऐसे विवाद में फंसा है, जिसने धर्मनगरी की मर्यादा पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है. राम झूला से लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर स्थित यह शराब की दुकान साल 2018 में खुले विरोध के बावजूद संचालित की गई थी.

हरिद्वार और ऋषिकेश नगर क्षेत्र में मांस और मदिरा के क्रय-विक्रय पर पूरी तरह से प्रतिबंध है, लेकिन ऋषिकेश की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि यह तीन जिलों देहरादून, टिहरी और पौड़ी की सीमाओं से जुड़ा हुआ है. इसी सीमाई तकनीकी छूट के चलते यह ठेका खोला गया था. सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन अचानक एक विवाद के बाद फिर से शराब की दुकान प्रशासन और कुछ लोगों के बीच कुश्ती का अखाड़ा बन गई है.

Rishikesh Wine Shop Protest

शराब के ठेके की हिफाजत करती पुलिस (फोटो सोर्स- ETV Bharat)

हत्या की घटना ने भड़काया विरोध: पिछले हफ्ते ही इस शराब की दुकान के पास हुई एक हत्या ने आग में घी डालने का काम किया. यूं कहें कि साल 2018 के बाद सब कुछ भूल बैठे विपक्षी दल और कुछ स्थानीय लोगों को इस घटना ने फिर से सक्रिय कर दिया. दरअसल, अजेंद्र कंडारी नामक व्यक्ति की उसके साथी अजय ठाकुर ने विवाद के दौरान हत्या कर दी थी. यह वारदात इसी ठेके के पास हुई.

बताया जा रहा है कि दोनों एक साथ ही बैठे थे. घटना के तुरंत बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार भी कर लिया, लेकिन इस हत्या के बाद मानो साल 2018 में विरोध कर रहे लोगों को एक और मौका मिल गया. धीरे-धीरे विरोध बढ़ा और बात अनशन तक आ गई. लोग जुटने शुरू हुए और ठेके बाहर धरने पर बैठ गए.

इस हत्याकांड के बाद स्थानीय लोग और कई सामाजिक संगठनों ने शराब के ठेके को बंद करने की मांग करते हुए अनशन शुरू कर दिया. पांच दिनों से जारी इस अनशन को पुलिस ने अनशनकारियों की तबीयत का हवाला देकर वहां से हटा दिया. इतना ही नहीं दो लोगों की तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें एम्स ऋषिकेश में भर्ती कराना पड़ा. इसके बावजूद आंदोलनकारी अपनी मांग पर अड़े हुए हैं.

Rishikesh Wine Shop Protest

प्रदर्शनकारियों को ले जाती पुलिस (फोटो सोर्स- ETV Bharat)

पूर्व विधायक ओम गोपाल रावत बोले- दबाई जा रही जनता की आवाज: अब शराब के ठेके का विरोध कर रहे लोगों के बीच नरेंद्र नगर से विधायक रहे ओम गोपाल रावत की मौजूदगी से लग रहा है कि यह आंदोलन राजनीतिक रूप से भी चलाया जा रहा है. आंदोलन के केंद्र में पूर्व विधायक ओम गोपाल रावत लगातार अपने बयानों से विभाग और सरकार पर सवाल खड़े कर रहे हैं.

सरकार को जनता की कोई फिक्र नहीं है. देवभूमि में शराब बिकवाने से बड़ा पाप और क्या होगा? जिस जगह ऋषि-मुनियों ने तप किया, उस जगह पर अब शराब बेची जा रही है. यहीं से लोग चारधाम यात्रा का शुभारंभ करते हैं, लेकिन सरकार शराब कारोबारियों के साथ खड़ी है. यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा, तब तक यह दुकान बंद नहीं हो जाती.“- ओम गोपाल रावत, पूर्व विधायक

आबकारी विभाग का पक्ष राजस्व का नुकसान: इसमें कोई दो राय नहीं है कि किसी भी सरकार के लिए राजस्व बेहद जरूरी होता है. इसी पैसे ही सरकारें चलती है. अब इस पूरे मामले पर आबकारी विभाग ने अपने बही खाते खोलकर आंदोलनकारियों को जवाब भी दिया है. जो संदेश जनता में जा रहा है, उसको भी शांत करने की कोशिश की जा रही है.

Rishikesh Wine Shop Protest

ठेके के पास तैनात पुलिसकर्मी (फोटो सोर्स- ETV Bharat)

आबकारी आयुक्त की तरफ से कहा गया है कि आबकारी विभाग जनता की भावनाओं का सम्मान करता है, लेकिन कुछ लोग इस मुद्दे को राजनीति से जोड़कर आंदोलन भड़का रहे हैं. उनका कहना है कि ऐसे आंदोलनों से राज्य सरकार को भारी राजस्व हानि होती है. क्योंकि, शराब की दुकान आय का भी जरिया है.

Rishikesh Wine Shop Protest

धरने पर बैठे लोग (फोटो सोर्स- ETV Bharat)

उत्तराखंड में शराब विरोधी आंदोलनों की वजह से अब तक लगभग 200 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. आबकारी विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, सिर्फ ऋषिकेश में चल रहे इस विरोध से अब तक करीब 16 लाख रुपए का राजस्व का नुकसान हुआ है. जबकि, बागेश्वर, चंपावत, पौड़ी और नैनीताल जिलों में यह आंकड़ा करोड़ों तक पहुंच गया है.

सरकार को जनता की भावनाओं की कद्र करनी चाहिए. ऋषिकेश योग, ध्यान और शांति का प्रतीक है. यहां आने वाले श्रद्धालु आध्यात्मिक भावना लेकर आते हैं. ऐसे में खुलेआम शराब बिकना देवभूमि की मर्यादा को ठेस पहुंचाता है.“- पुष्पा रावत, जिला पंचायत सदस्य

तीर्थनगरी में ठेकी हिफाजत करती दिखी पुलिस: बरहाल, विरोध को देखते हुए अब यह देश का शायद पहला ऐसा शराब का ठेका बन गया है, जिसके बाहर पुलिस की भारी तैनाती है. पुलिसकर्मी ठेके के हिफाजत में पहरा दे रहे हैं. इसके अलावा आबकारी विभाग के अधिकारी मौके पर डटे हुए हैं. ताकि, किसी भी अप्रिय स्थिति से बचा जा सके.

Rishikesh Wine Shop Protest

प्रदर्शनकारियों को ठेके से हटाती पुलिस (फोटो सोर्स- ETV Bharat)

खैर सवाल सिर्फ एक ठेके का नहीं बल्कि, उस आस्था का है, जो इस भूमि की आत्मा मानी जाती है. तीर्थनगरी में इस तरह की घटना को दुनियाभर में प्रसिद्ध आस्था पर धब्बा माना जा रहा है. ऐसे में सरकार, प्रशासन और जनता तीनों को मिलकर तय करना होगा कि देवभूमि की पहचान गंगा की धारा से होगी या शराब की बोतल से.

ये भी पढे़ें-

एक नजर