आदि कैलाश मार्ग पर टनल (Photo Source- Pilgrims)
पिथौरागढ़: ॐ पर्वत कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग में चीन सीमा से सटे पिथौरागढ़ की व्यास घाटी में पहुंच को आसान और सुरक्षित बनाने के लिए केंद्र सरकार 5.4 किलोमीटर लंबी सुरंग (टनल) का निर्माण करेगी. केंद्रीय सड़क एवं परिवहन राज्य मंत्री अजय टम्टा ने पिथौरागढ़ में इसकी जानकारी दी. केंद्रीय सड़क एवं परिवहन राज्य मंत्री अजय टम्टा ने बताया बुंदी से गर्थ्यांग तक बनने वाली यह टनल 22 किलोमीटर की दूरी कम कर देगी.
छियालेख की कमजोर पहाड़ी पर टनल की योजना: केंद्रीय मंत्री अजय टम्टा ने बताया धारचूला से लिपुलेख सड़क में लगभग 90% काम पूरा हो चुका है. हालांकि, छियालेख क्षेत्र में सड़क की कठिनाई और पहाड़ी के कमजोर होने के कारण यहां भारी वाहन नहीं जा पा रहे हैं. इस समस्या को देखते हुए टनल बनाने की योजना बनाई गई है.
5.4 किलोमीटर लंबी टनल, बुंदी से गर्ब्यांग तक: वर्तमान स्थिति में टनल की डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) अंतिम चरण में है. इस टनल के बनने से सड़क की दूरी 22 किलोमीटर कम हो जाएगी. केंद्रीय सड़क एवं परिवहन राज्य मंत्री अजय टम्टा ने भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर भी जानकारी दी. उन्होंने बताया सड़क निर्माण में कट रही भूमि का ₹137 करोड़ का मुआवजा दिया जाना है. जिसमें से 60 प्रतिशत धनराशि लोगों के खातों में भेजी जा चुकी है. तवाघाट से कालापानी तक काम तेज गति से चल रहा है.
सामरिक और पर्यटन के लिए बड़ा कदम: धारचूला-गुंजी-लिपुलेख सड़क सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है. यह क्षेत्र चीन और नेपाल की सीमाओं से सटा है. यहां सेना, आईटीबीपी और एसएसबी तैनात हैं. टनल बनने से सामरिक मजबूती सीमाओं तक भारत की पहुंच और मजबूत होगी. ग्रामीणों को सुविधा मिलेगी गर्त्यांग, नपल्च्यू, रांगकांग, गुंजी, नाबि और कुटी जैसे छह गांवों के ग्रामीणों के लिए प्रवास पर आना-जाना आसान हो जाएगा.
पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा: टनल बन जाने से पर्यटक आसानी से आदि कैलाश और ओम पर्वत के दर्शनों के लिए पहुंच सकेंगे. धारचूला से गुंजी जाते समय छियालेख की पहाड़ी पर बनी सर्पाकार सड़क बेहद खतरनाक है. जिसमें लगभग 90 डिग्री पर खड़ी पहाड़ी पर 27 मोड़ हैं. बारिश में मलबा आने से यह सड़क अक्सर बाधित रहती है. जिसके कारण टनल निर्माण की प्रक्रिया शुरू की गई है.
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