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100 साल का होने जा रहा ये ऐतिहासिक गोरखा मिलिट्री स्कूल, अब खतरे में अस्तित्व, जानिए कैसे


100 साल का होने जा रहा गोरखा मिलिट्री स्कूल का स्वर्णिम इतिहास (PHOTO- ETV Bharat)

देहरादून: देश को सेना, प्रशासनिक सेवा में अधिकारियों के साथ साथ राष्ट्रीय फुटबॉल-बॉक्सिंग के जाने-माने खिलाड़ी देने वाला ऐतिहासिक गोरखा मिलिट्री इंटर कॉलेज अब अपने वजूद की लड़ाई लड़ रहा है. इसी साल अपने 100 साल पूरा कर रहे इस स्कूल के लिए भविष्य की राह आसान नहीं है.

साल 1925 में देहरादून के गढ़ी कैंट में अंग्रेजों द्वारा 5 गोरखा बटालियन के अधिकारियों और सैनिकों के बच्चों के लिए सिल्वर बोर्डिंग फंड और प्रांतीय सेवा की मदद से एक स्कूल की स्थापना की गई. शुरुआत में स्कूल का नाम ‘स्कूल फॉर गोर्खाज’ रखा गया था. शुरुआती दौर में यह स्कूल पांचवीं तक ही था. समय के साथ-साथ इसे अपग्रेड किया जाता रहा. साल 1928 में इसे अपग्रेड करके जूनियर हाईस्कूल (8वीं) और साल 1948 में हाईस्कूल (10वीं) तक किया गया. साल 1963 में स्कूल को इंटरमीडिएट करने के साथ-साथ इसका नाम बदलकर गोरखा मिलिट्री इंटर कॉलेज कर दिया गया.

100 साल का होने जा रहा गोरखा मिलिट्री स्कूल का स्वर्णिम इतिहास, लेकिन खतरे में अस्तित्व (VIDEO- ETV Bharat)

सैन्य कर्मियों के बच्चों के लिए बनाया गया स्कूल: अंग्रेजों ने उस समय कैंट क्षेत्र में सैन्य कर्मचारियों के बच्चों के लिए स्कूल बनाया था. सेना की जमीन पर बने स्कूल के लिए उस समय 90 साल की लीज तैयार कर न्यूनतम दरों पर किराया तय किया गया. समय-समय पर सेना के अफसरों ने ही स्कूल की कमान भी संभाली. कुछ समय तक यह व्यवस्था चलने के बाद स्कूल संचालन के लिए सोसायटी बनाई गई. आज यह उत्तराखंड का एक अशासकीय स्कूल है. जिसमें अध्यापकों और स्टाफ की तनख्वाह राज्य सरकार के द्वारा दी जाती है. लेकिन स्कूल के अस्तित्व पर ही अब चिंता हो रही है. क्योंकि 1925 में 90 साल के लिए स्कूल को दी गई लीज 2017 में पूरी हो चुकी है.

GORKHA MILITARY INTER COLLEGE

1925 में हुआ था स्कूल का निर्माण (PHOTO- ETV Bharat)

मामला अभी देहरादून में निचली अदालत में चल रहा है और कोर्ट द्वारा स्टे दिया गया है. सेना ने जो आकलन किया है, उसके मुताबिक 1 करोड़ 60 लाख रुपए लीज खत्म होने के बाद की राशि स्कूल को देनी होगी, वरना स्कूल बंद किया जाएगा. ऐसे में स्कूल प्रबंधन की चिंता बढ़ रही है कि स्कूल को आखिर कैसे संचालित किया जाएगा. क्योंकि स्कूल में संसाधनों से लेकर तमाम सुविधाएं स्कूल प्रबंधन और लोगों के सहयोग से ही पूरी हो पाई है. ऐसे में स्कूल प्रबंधन के लिए इतनी बड़ी राशि जमा कर पाना मुश्किल होगा.

GORKHA MILITARY INTER COLLEGE

स्कूल से पास आउट बच्चों ने सेना एवं सिविल सेवा में योगदान दिया है. (PHOTO- ETV Bharat)

गोरखा मिलिट्री स्कूल का स्वर्णिम इतिहास: गोरखा मिलिट्री इंटर कॉलेज इस बार 16 नवंबर को अपने निर्माण के 100 साल पूरे कर रहा है. जिसके लिए इन दिनों स्कूल में रंगाई पुताई की जा रही है. स्कूल का भव्य कार्यक्रम आयोजित होना है. स्कूल प्रिंसिपल दीपाली जुगरान कहती हैं कि यह संस्थान भारत को कई बड़े खिलाड़ी और वीर योद्धा देने वाला संस्थान रहा है. इस स्कूल की भारतीय सेवा और खेलों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी उपलब्धि रही है.

GORKHA MILITARY INTER COLLEGE

देहरादून में ब्रिटिश काल का गोरखा मिलिट्री इंटर कॉलेज (PHOTO- ETV Bharat)

स्कूल में हुई है फिल्म की शूटिंग: गोरखा मिलिट्री इंटर कॉलेज में 2018 में निर्मित पोखरण परमाणु परीक्षण पर आधारित जॉन अब्राहम की फिल्म परमाणु की शूटिंग भी हुई. फिल्म में अभिनेता जॉन अब्राहम द्वारा वूमेन ईरानी को इंटरव्यू देने का दृष्य भी इसी स्कूल में दर्शाया गया है. नेपाल के फिल्म निर्माता और पत्रकार चेतन कार्की, नेपाल में मेजर जनरल चित्र बहादुर गुरुंग, वीर चक्र प्राप्त वीर बहादुर, ब्रिगेडियर एसके आनंद, लेफ्टिनेंट जनरल राम सिंह प्रधान, आईएफएस चंद्र मोहन भंडारी, सैन्य सम्मान प्राप्त मेजर कमान सिंह, अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त फुटबॉलर अमर बहादुर गुरुंग, श्याम थापा, रामबहादुर सिंह, चंदन सिंह, लोक बहादुर, वीर बहादुर, बॉक्सिंग के एशियन चैंपियन रहे पदम बहादुर मल्ल और जग बहादुर थापा भी इसी स्कूल से पढ़े हैं. इस स्कूल में मशहूर फुटबॉलर रहे कैप्टन नर बहादुर खत्री भी पढ़े हैं जिन्होंने 1963 और 1964 में लगातार दो बार सुब्रतो ट्रॉफी को अपने नाम किया था.

GORKHA MILITARY INTER COLLEGE

1925 में 90 साल के लिए स्कूल को दी गई लीज 2017 में पूरी हो चुकी है. (PHOTO- ETV Bharat)

स्वतंत्रता आंदोलन में स्कूल की भूमिका: प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी और अमर शहीद मेजर दुर्गा मल्ल, जिनकी रेप्लिका संसद भवन में भी लगी है, वे भी इस विद्यालय के पूर्व छात्र रहे हैं.

सेना एवं सिविल सेवा में योगदान: महावीर चक प्राप्त शहीद जसवंत सिंह, वीर चक प्राप्त वीर बहादुर सिंह, लेफ्टिनेंट जनरल राम सिंह प्रधान, मेजर जनरल एसके आनंद, मेजर जनरल उमेश गुरुंग, ब्रिगेडियर जनरल देव बहादुर घले (नेपाल आर्मी) आदि कई अधिकारी और जवान विद्यालय का गौरव रहे हैं.

मोहन चंद्र भंडारी भारतीय विदेश सेवा, यम बहादुर पुलिस निदेशक (नेपाल) चित्र बहादुर गुरुंग नेपाल भूषण पदक प्राप्त, फिल्म निर्माता-निर्देशक चेतन कार्की आदि विद्यालय के पूर्व छात्र हैं.

राष्ट्रीय एंव अंतरराष्ट्रीय खेलों में योगदान:

फुटबॉल: अध्ययन के अतिरिक्त विभिन्न खेलों विशेषतः फुटबाल में विद्यालय के छात्रों ने प्रसिद्धि अर्जित की है. विद्यालय की फुटबाल टीम उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हुए अंतरराष्ट्रीय सुब्रतो फुटबॉल कप की सन 1964 और 1965 में चैंपियन (विजेता) रही और सन 1961 और 1970 में उपविजेता रही.

विद्यालय ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ियों में प्रमुख रूप से श्याम थापा (अध्यक्ष, अखिल भारतीय फुटबॉल फेडरेशन) राम बहादुर, चंदन सिंह, अमर बहादुर गुरुंग, लोक बहादुर आदि ने देश का नाम रोशन किया.

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1963 में इंटरमीडिएट करने पर स्कूल का नाम गोरखा मिलिट्री इंटर कॉलेज किया गया. (PHOTO- ETV Bharat)

सन 2017 से 2019 तक विद्यालय की बालिका फुटबॉल टीम उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व करते हुए अंतरराष्ट्रीय सुब्रतो फुटबॉल कप प्रतियोगिता में दमदार प्रतिभाग करती रही और टीम कैप्टन को उत्कृष्ट खिलाड़ी खिताब के साथ 25 हजार रुपए पुरस्कार दिया गया.

हर वर्ष विद्यालय के छात्र और छात्राएं राष्ट्रीय स्कूल फुटबॉल प्रतियोगिता में प्रतिभाग करते हैं. विद्यालय की बालक और बालिका टीम को उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार से कई बार पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं.

बॉक्सिंग: विद्यालय के पूर्व छात्र पदम बहादुर मल्ल ने सन 1960 में जकार्ता एशियन गेम्स में भारत के लिए स्वर्ण पदक प्राप्त किया और जंग बहादुर थापा अखिल भारतीय चैंपियन रहे.

जूडो प्रतियोगिता: कुमारी बबीता पंवार, सुनीता पाल आदि छात्राओं ने राज्य का प्रतिनिधित्व कर उत्कृष्ठ प्रतिभाग किया.

गरीब बच्चों के लिए सपनों की मंजिल: स्कूल की प्रधानाचार्य दीपाली बताती हैं कि स्कूल में आसपास के क्षेत्र के बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं, जिनमें ज्यादातर बच्चे गरीब परिवारों से संबंधित हैं. आज इस क्षेत्र में कई स्कूल संचालित हैं जिसकी वजह से अब गोरखा मिलिट्री इंटर कॉलेज में छात्रों की भीड़ पहले से कम है. आज जब संस्थान अपने 100 साल पूरे कर रहा है तो यह गर्व की बात है. लेकिन स्कूल बचा रहेगा तो भविष्य में कई छात्रों के बड़े खिलाड़ी और अधिकारी बनने का सपना पूरा होगा.

गोरखा मिलिट्री इंटर कॉलेज का अस्तित्व 100 साल पुराना है और यह भविष्य में भी बरकरार रहेगा. सरकार इसे डिग्री कॉलेज बनाने की ओर भी कार्य कर रही है. स्कूल प्रबंधन का कहना है कि स्कूल को बचाने के लिए जो भी कार्य करना होगा, स्कूल प्रबंधन वह सभी कार्य पूरा करेगा.

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