उत्तराखंड चारधाम यात्रा (फोटो- ETV Bharat GFX)
किरनकांत शर्मा
देहरादून: उत्तराखंड की प्रसिद्ध चारधाम यात्रा अपने अंतिम पड़ाव पर है. गंगोत्री धाम के कपाट बंद हो चुके हैं. अब 23 अक्टूबर को केदारनाथ और यमुनोत्री के कपाट भी शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे. इसके बाद आगामी 25 नवंबर को बदरीनाथ धाम के कपाट बंद हो जाएंगे. इसके साथ ही इस साल की यात्रा का अध्याय भी समाप्त हो जाएगा, लेकिन इस बार यात्रा श्रद्धा से ज्यादा आपदा और चुनौतियों के लिए याद रखी जाएगी.
चारधाम यात्रा काल में मिले जख्म: धराली से लेकर केदारनाथ तक इस बार की यात्रा ने उत्तराखंड को कई गहरे जख्म दिए हैं. आंकड़े बताते हैं कि चारधाम यात्रा के दौरान अब तक मंदिर परिसरों में ही 188 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है. जबकि, आपदा की वजह से 129 लोगों की जानें भी गई है. दुख की बात ये है कि 85 से ज्यादा लोग अभी भी लापता हैं.
इसके बावजूद श्रद्धालुओं की आस्था डिगी नहीं. करीब 49 लाख भक्तों ने अभी तक चारों धाम के दर्शन कर चुके हैं. जो इस कठिन यात्रा की विशालता और भक्ति के जज्बे को दर्शाता है. भले ही कपाट बंद हो रहे हो, लेकिन सरकारी तंत्र अभी से अगले साल होने वाली चारधाम यात्रा 2026 की तैयारियों में जुट गया है.
मुख्य सचिव श्री आनन्द बर्द्धन ने केदारनाथ यात्रा व्यवस्थाओं का लिया जायजा, पुनर्निर्माण कार्यों और यात्रियों की सुविधाओं का किया निरीक्षण।#Kedarnath#Uttarakhand pic.twitter.com/V7bbR10WO5
— Uttarakhand DIPR (@DIPR_UK) October 22, 2025
क्या बोले मुख्य सचिव? इस बार यात्रा काल के दौरान भारी बारिश, भूस्खलन और अलग घटनाओं ने प्रशासन के सामने बड़ी चुनौतियां पेश की. कई जगहों पर मार्ग बंद हुए तो यात्रियों को घंटों फंसे रहना पड़ा. केदारनाथ धाम में तो कई बार मौसम इतना खराब हुआ कि हेलीकॉप्टर सेवाओं को भी रोकना पड़ा.
धराली, गंगोत्री और यमुनोत्री क्षेत्रों में लगातार बारिश ने जनजीवन को अस्त व्यस्त कर दिया. फिर भी पुलिस, आपदा प्रबंधन और स्थानीय प्रशासन ने अपनी पूरी ताकत से राहत बचाव कार्य चलाया. सैकड़ों श्रद्धालुओं को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया गया. जबकि, कई स्थानों पर यात्रियों को अस्थायी शिविरों में ठहराया गया.

यमुनोत्री धाम (फोटो सोर्स- Information Department)
हालांकि, साल 2025 की यात्रा आपदा की कहानियों से भरी रही, लेकिन उत्तराखंड सरकार अब पूरी तैयारी में है कि आगामी 2026 की यात्रा पूरी तरह बदले स्वरूप में दिखाई दे. यही वजह है कि मुख्य सचिव आनंद वर्धन ने खुद केदारनाथ और बदरीनाथ का दौरा किया. जहां उन्होंने पुनर्निर्माण से लेकर मास्टर प्लान के कार्यों का जायजा लिया. साथ ही उनकी समीक्षा भी की.
वहीं, मुख्य सचिव आनंद वर्धन ने भरोसा दिलाया कि अगले साल तक केदारनाथ में चल रहे सभी कार्य पूरे कर लिए जाएंगे. उनका कहना है कि इस बार जो कुछ भी हुआ, उससे हमने बहुत कुछ सीखा है. अगले साल ऐसी स्थिति दोबारा न हो, इसके लिए सभी विभागों को निर्देश दिए गए हैं. यात्रा मार्ग, स्वास्थ्य सेवाएं, आवास व्यवस्था और मौसम पूर्वानुमान तंत्र को और मजबूत किया जाएगा.

गंगोत्री धाम के कपाट हुए बंद (फोटो सोर्स- Information Department)
बदलेगा केदारनाथ और बदरीनाथ धाम का स्वरूप: केदारनाथ धाम में वर्तमान में घाटों का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है. श्रद्धालुओं के लिए ध्यान केंद्र, विश्राम स्थल और आधुनिक सुविधाओं से युक्त परिसर तैयार किया जा रहा है. इसी तरह बदरीनाथ में भी मास्टर प्लान के तहत बड़े स्तर पर कार्य हो रहा है. अनुमान है कि 2026 तक बदरीनाथ धाम का लगभग 80 फीसदी काम पूरा हो जाएगा.
स्मार्ट तरीके से बनाई जा रही इन योजनाओं का मकसद केवल धार्मिक सुविधा नहीं, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन और सुरक्षा को भी ध्यान में रखना है. सरकार का उद्देश्य है कि आने वाले समय में चारधाम यात्रा केवल आस्था का नहीं, बल्कि सुरक्षित और व्यवस्थित यात्रा का प्रतीक बने.

केदारनाथ में पुनर्निर्माण कार्यों की जानकारी लेते मुख्य सचिव आनंद वर्धन (फोटो सोर्स- Information Department)
शीतकाल में यहां कर सकते हैं दर्शन: भले ही शीतकाल यानी सर्दियों में हिमालय में मौजूद चारों धामों के कपाट बंद हो जाते हों, लेकिन आप चारों धामों के डोलियों के दर्शन कर सकते हैं. इसके तहत आपको मां गंगा के दर्शन करने के लिए मुखबा यानी मुखीमठ पहुंचना होगा. जहां मां गंगा की डोली विराजमान मिलेगी.
इसी तरह मां यमुना की डोली खरसाली गांव में विराजमान होती है. जहां जाकर मां यमुना के दर्शन कर पुण्य कमा सकते हैं. जबकि, शीतकाल में हिमालय से उतरने के बाद बाबा केदार उखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में विराजते हैं. जहां बाबा केदार के दर्शन पंचमुखी डोली के रूप में हो जाएंगे. वहीं, बदरी विशाल पांडुकेश्वर और ज्योतिर्मठ में दर्शन देते हैं.

चारधाम शीतकालीन प्रवास स्थल (फोटो- ETV Bharat GFX)
श्रद्धा और सीख की यात्रा: चारधाम यात्रा 2025 ने एक बार फिर यह साबित किया कि हिमालय की गोद में बसे ये चार तीर्थ केवल मंदिर नहीं, बल्कि मानव धैर्य और आस्था की परीक्षा भी है. आपदा ने भले ही कई चेहरों पर आंसू लाए हों, लेकिन हजारों श्रद्धालु अब भी यह विश्वास लिए लौटे हैं कि मां यमुना, मां गंगा, बाबा केदार और भगवान बदरी विशाल के आशीर्वाद से सब कुछ दोबारा ठीक होगा.

केदारनाथ धाम में कपाट बंदी की प्रक्रिया (फोटो सोर्स- Information Department)
अब जब कपाट बंद हो रहे हैं तो श्रद्धालु अगले साल की यात्रा की प्रतीक्षा में हैं. ऊंचाई पर स्थित इन धामों में सन्नाटा पसर जाएगा. अगले साल यानी 6 महीने बाद ही यहां चहल पहल देखने को मिलेगी. प्रशासन और सरकार ने कमर कस ली है कि साल 2026 की चारधाम यात्रा पहले से कहीं ज्यादा सुरक्षित सुसंगठित और सुविधाजनक होगी.

बदरीनाथ धाम में श्रद्धालु (फोटो सोर्स- Information Department)
आस्था की इस धारा में एक बार फिर उम्मीद है कि अगली बार जब भक्त हिमालय की घाटियों में ‘हर हर महादेव’ और ‘जय बदरी विशाल’ के जयकारे लगाएंगे तो उनके साथ न केवल भक्ति की शक्ति होगी, बल्कि एक नई व्यवस्था और सुरक्षित यात्रा का आत्मविश्वास भी होगा.
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