सबरीमाला सोना चोरी मामला (फाइल फोटो)
तिरुवनंतपुरम: केरल हाई कोर्ट ने सबरीमला गोल्ड चोरी मामले के मुख्य आरोपी उन्नीकृष्णन पोट्टी के पीछे ‘बड़ी ताकतों’ का हाथ होने का आरोप लगाते हुए कहा है कि वह एक बड़ी चैन की आखिरी कड़ी मात्र है. कोर्ट ने मामले की त्वरित और सटीक जांच की आवश्यकता पर बल दिया. आज विशेष जांच दल (SIT) ने एक बंद कोर्ट रूम में अपनी अंतरिम जांच रिपोर्ट पेश की.
प्राइवेसी बनाए रखने के लिए हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए एक नई याचिका दर्ज करने का निर्णय लिया. वर्तमान याचिका में मौजूदा पक्ष, उन्नीकृष्णन पोट्टी और ‘स्मार्ट क्रिएशंस’ कंपनी को बाहर रखा जाएगा. जस्टिस राजा विजयराघवन और जस्टिस केवी जयकुमार की देवस्वम पीठ ने स्पष्ट किया कि नई स्वतः संज्ञान याचिका में सरकार, त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड और पुलिस को पक्षकार बनाया जाएगा.
अदालत ने यह भी कहा कि सोना चोरी की घटना के दौरान तत्कालीन त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड के अध्यक्ष और देवस्वम आयुक्त द्वारा की गई कार्रवाई संदिग्ध थी. अदालत ने कहा कि देवस्वम बोर्ड के अध्यक्ष द्वारा उन्नीकृष्णन पोट्टी के पक्ष में रुख अपनाने को हल्के में नहीं लिया जा सकता. उच्च न्यायालय ने आगे कहा कि देवस्वम नियमावली के उल्लंघन के गंभीर संदेह हैं.
पत्राचार और षड्यंत्रों की जांच का निर्देश
अदालत ने SIT को मामले से जुड़े दो साल के पत्राचार और षड्यंत्रों की गहन जांच करने का निर्देश दिया. हाई कोर्ट ने यह भी संकेत दिया कि देवस्वओम के अधिकारियों को गायब हुए 500 ग्राम सोने का ठिकाना पता हो सकता है. यह पुष्टि करते हुए कि उन्नीकृष्णन पोट्टी के इरादे नेक नहीं थे. हाई कोर्ट ने एसआईटी को सभी प्रासंगिक दस्तावेजों की जांच के बाद एक अंतिम रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया.
देवस्वओम पीठ ने याद दिलाया कि यह मामला न केवल केरल पुलिस की विश्वसनीयता को प्रभावित करता है, बल्कि उच्च न्यायालय की विश्वसनीयता को भी प्रभावित करता है. मामले की अगले महीने फिर सुनवाई होगी. रिटायर जस्टिस केटी शंकरन के नेतृत्व में सबरीमला में मूल्यवान वस्तुओं की लिस्ट की जा रही है. उच्च न्यायालय ने पहले देवस्वओम सतर्कता रिपोर्ट के आधार पर एसआईटी के गठन का आदेश दिया था, जिसमें सभी दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए एक व्यापक जांच का निर्देश दिया गया था.
उन्नीकृष्णन पोट्टी से पूछताछ
इस बीच SIT ने उन्नीकृष्णन पोट्टी के मित्र अनंत सुब्रमण्यम से पूछताछ की, जिन्होंने कथित तौर पर 2019 में सन्निधानम से द्वारपालक कवच (द्वार रक्षक आवरण) प्राप्त किए थे और बाद में उन्हें रिहा कर दिया. देवस्वम सतर्कता रिपोर्ट में अनंत सुब्रमण्यम की संलिप्तता का विशेष रूप से उल्लेख किया गया था. इसी पृष्ठभूमि में उन्हें सोमवार सुबह बेंगलुरु से तिरुवनंतपुरम लाया गया और पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया. विशेष जांच दल के अधिकारियों ने पहले अनंत सुब्रमण्यम से अकेले और फिर उन्नीकृष्णन पोट्टी से पूछताछ की.
ऐसा माना जा रहा है कि अगर अनंत सुब्रमण्यन संतोषजनक जवाब नहीं दे पाते हैं, तो गिरफ्तारी सहित कई कदम उठाए जा सकते हैं. जांच दल ने पाया है कि अनंत सुब्रमण्यन ही वह व्यक्ति थे, जिन्होंने पुरानी सोने की प्लेटें प्राप्त कीं और उन्हें बेंगलुरु ले गए. इसके बाद, उन्होंने कथित तौर पर उन्नीकृष्णन पोट्टी के निर्देशों के अनुसार हैदराबाद में नागेश नामक एक व्यक्ति को ये प्लेटें सौंप दीं.
सुब्रमण्यन को उन्नीकृष्णन पोट्टी के लेन-देन की जानकारी थी
देवस्वओम विजिलेंस और एसआईटी का आकलन है कि अनंत सुब्रमण्यन को उन्नीकृष्णन पोट्टी के सभी लेन-देन की पूरी जानकारी थी और पोट्टी ने उनके बीच गहरे विश्वास के कारण सुब्रमण्यन को सोने की प्लेटें सौंप दीं. हालांकि, जांच अनंत सुब्रमण्यन तक पहुंचने के बावजूद आरोपियों की सूची में नामित देवस्वओम बोर्ड के कई अन्य उच्च पदस्थ अधिकारियों से अभी तक पूछताछ नहीं की गई है. इससे यह चिंता पैदा हो गई है कि यह मामला केवल उन्नीकृष्णन पोट्टी तक ही सीमित हो सकता है.
आरोप हैं कि आरोपियों की सूची में शामिल मुरारी बाबू जैसे अधिकारियों से पूछताछ करने में अनिच्छा इस डर से उत्पन्न हुई कि जांच का दायरा तत्कालीन देवस्वोम बोर्ड के नेतृत्व और राजनीतिक प्रतिष्ठान तक पहुंच सकता है. हालांकि, जांच का दायरा अनंत सुब्रमण्यन तक पहुंचने के बावजूद, आरोपियों की सूची में शामिल देवस्वम बोर्ड के कई अन्य उच्च पदस्थ अधिकारियों से अभी तक पूछताछ नहीं की गई है.
इससे यह चिंता बढ़ गई है कि मामला केवल उन्नीकृष्णन पोट्टी तक ही सीमित हो सकता है. आरोप हैं कि आरोपियों की सूची में शामिल मुरारी बाबू जैसे अधिकारियों से पूछताछ करने में अनिच्छा शायद इस डर से उपजी है कि जांच का दायरा तत्कालीन देवस्वम बोर्ड नेतृत्व और राजनीतिक प्रतिष्ठान तक पहुंच सकता है.
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