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आदि कैलाश यात्रा 2025: अब तक 31 हजार से ज्यादा श्रद्धालुओं ने किए दर्शन, टूटा पिछले साल का रिकॉर्ड


अब तक 31 हजार से ज्यादा श्रद्धालुओं ने किए दर्शन (PHOTO Credit- Getty Image)

पिथौरागढ़: आदि कैलाश की दूसरे चरण की यात्रा जारी है. एक अधिकारी ने शनिवार 18 अक्टूबर को बताया कि इस साल अब तक रिकॉर्ड 31 हजार 187 तीर्थयात्री आदि कैलाश के दर्शन कर चुके हैं, जिसने पिछले साल के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है.

पिथौरागढ़ जिले के धारचूला क्षेत्र में स्थित आदि कैलाश 6,310 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. इसे छोटा कैलाश भी कहा जाता है और इसे कैलाश पर्वत का प्रतिरूप माना जाता है. धारचूला के एसडीएम जितेंद्र वर्मा के अनुसार, मॉनसून के दौरान भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन के बावजूद तीर्थयात्रियों की यह रिकॉर्ड संख्या है, जबकि यात्रा बाधित भी हुई थी. हालांकि, वर्मा ने बताया कि प्राकृतिक आपदाएं भी श्रद्धालुओं के उत्साह को कम नहीं कर पाईं.

वर्मा ने बताया कि 2024 में इस पवित्र पर्वत शिखर पर 29 हजार 352 तीर्थयात्री आए थे. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अक्टूबर 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस स्थान के दर्शन के बाद भगवान शिव के इस निवास को काफी बढ़ावा मिला है.

उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री के दौरे से पहले, आदि कैलाश जाने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या कभी भी 2,500 से ज्यादा नहीं हुई थी. एसडीएम ने यह भी कहा कि यात्रा का दूसरा चरण 31 अक्टूबर तक जारी रहेगा, इसलिए और अधिक तीर्थयात्रियों के आने की उम्मीद है.

बता दें कि दूसरे चरण की यात्रा 17 सितंबर से शुरू हुई. दूसरे चरण के पहले दिन 195 यात्री गुंजी के लिए रवाना हुए. हालांकि यात्रा के दूसरे चरण की शुरुआत 15 सितंबर से होनी थी. लेकिन मौसम खराब होने के कारण प्रशासन ने इनर लाइन परमिट जारी नहीं किए थे.

श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या से स्थानीय पर्यटन कारोबारी काफी खुश हैं. श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या से उनके व्यापार में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

आदि कैलाश यात्रा 1981 में कैलाश मानसरोवर यात्रा के साथ शुरू हुई थी. यह तीर्थयात्रियों को कम खर्च और कम कठिनाई के साथ भगवान शिव के दर्शन करने का विकल्प प्रदान करती है.

आदि कैलाश का महत्व:

  • भगवान शिव का निवास – इसे “छोटा कैलाश” भी कहा जाता है. मान्यता है कि भगवान शिव और माता पार्वती का निवास आदि कैलाश में ही है
  • कैलाश का प्रतीक – कैलाश पर्वत (तिब्बत) तक यात्रा कठिन और लम्बी होती है, इसलिए भक्त आदि कैलाश को उसका प्रतिरूप मानकर दर्शन करते हैं.
  • आध्यात्मिक शक्ति – यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को मानसिक शांति और दिव्य ऊर्जा की अनुभूति होती है.
  • तीर्थयात्रा मार्ग – आदि कैलाश यात्रा में परिक्रमा का विशेष महत्व है, जिसे करने से पाप नष्ट होते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है.
  • धार्मिक पर्व – यहां सालभर साधु-संत ध्यान और साधना के लिए आते हैं.

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