सीएम धामी (Photo- ETV Bharat)
देहरादून: उत्तराखंड की राजनीति पिछले कुछ दिनों से गरमाई हुई है. ये राजनीतिक गर्माहट यूकेएसएसएससी पेपर लीक के बाद से बढ़ती चली गई. सीएम धामी द्वारा बेरोजगार संघ के नेतृत्व में 8 दिन तक देहरादून के परेड ग्राउंड में धरना प्रदर्शन करने वाले युवाओं से मुलाकात और पेपर लीक की सीबीआई जांच का आश्वासन देने के बाद भी सियासी गर्मी कम नहीं हुई. इसके बाद सीएम धामी ने पेपर लीक वाली परीक्षा निरस्त करके उसे दोबारा कराने की घोषणा की. लेकिन सियासी दांवपेच जारी रहे. अब सीएम धामी ने इसके पीछे अर्बन नक्सल गैंग का हाथ बता दिया है.
सीएम धामी के अर्बन नक्सल गैंग वाले बयान पर राजनीति: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक कार्यक्रम के दौरान सार्वजनिक मंच से अर्बन नक्सल गैंग को लेकर बड़ा बयान दिया है. सीएम ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राज्य तेजी से विकास के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है. लेकिन कुछ अर्बन नक्सल गैंग के लोग प्रदेश में जिहादी मानसिकता का माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं. सीएम धामी के इस बयान पर विपक्षी दल कांग्रेस भी सरकार पर हमलावर हो गई है.
पेपर लीक के खिलाफ धरना प्रदर्शन के बाद से शुरू हुई सियासत: दरअसल, यूकेएसएसएससी की ओर से 21 सितंबर को प्रदेश में स्नातक स्तरीय परीक्षा कराई गई थी. इसमें पेपर लीक का मामला सामने आने के बाद बेरोजगार युवाओं ने धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया था. जिसके चलते इस पूरे मामले की जांच के लिए सरकार ने एसआईटी गठित की. लेकिन बेरोजगार युवाओं का धरना समाप्त नहीं हुआ. उसी दौरान ये मामला भी उठा था कि कुछ लोग छात्रों के कंधे पर सवार होकर राजनीति करना चाहते हैं. ताकि प्रदेश का माहौल खराब किया जा सके. जिसको देखते हुए खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी धरना स्थल पहुंचे और पेपर लीक की सीबीआई जांच कराने की घोषणा की. फिर जाकर युवाओं ने अपने धरने को स्थगित किया.
सीएम धामी ने आंदोलन के पीछे अर्बन नक्सल गैंग का हाथ बताया: वहीं अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा अर्बन नक्सल गैंग का जिक्र करने के बाद उत्तराखंड की राजनीति में हड़कंप मच गया है. दरअसल, प्रदेश के युवाओं को नौकरियां देने के लिए आयोजित नियुक्ति पत्र वितरण समारोह के दौरान सीएम धामी ने कहा कि प्रदेश की युवा पीढ़ी को सशक्त बनाने के लिए सरकार लगातार बड़े फैसले ले रही है और आगे भी लेती रहेगी. इसी दौरान मुख्यमंत्री ने पेपर लीक मामले में आठ दिनों तक चले छात्र आंदोलन के पीछे अर्बन नक्सल गैंग को जिम्मेदार ठहराया.
अर्बन नक्सल गैंग पर जिहादी मानसिकता पनपाने का आरोप: साथ ही सीएम ने कहा कि-
जिन लोगों को जनता ने नकार दिया है, वो लोग प्रदेश के युवाओं और बच्चों का सहारा लेकर राजनीति करना चाहते हैं. उत्तराखंड की राजनीति में विपक्षी बयानबाज़ी से ज़्यादा खतरनाक अर्बन नक्सल गैंग की सक्रियता हो गई है. लेकिन सरकार युवाओं के भविष्य की रक्षा के लिए संकल्प के साथ काम कर रही है. अर्बन नक्सल गैंग, राज्य में जिहादी मानसिकता पनपाने का काम कर रहे हैं. लेकिन सरकार ऐसे लोगों के मंसूबों को कभी कामयाब नहीं होने देगी, चाहे उसके लिए कुछ भी करना पड़े.
-पुष्कर सिंह धामी, सीएम, उत्तराखंड-
सीएम धामी ने कहा अर्बन नक्सल गैंग राज्य को आराजकता की ओर ले जाना चाहते हैं: वहीं, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अर्बन नक्सल गैंग के सवाल पर कहा कि कुछ लोग साजिश के तहत राज्य को अराजकता की ओर धकेलना चाहते हैं. जो विकास के कार्य चल रहे हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जो जनकल्याणकारी योजनाएं चल रही हैं, उनमें अनावश्यक रूप से विघ्न बाधाएं डालकर, फेक नैरेटिव गढ़ने का काम कर रहे हैं. साथ ही कुछ लोग, लोगों को भरमाने का काम कर रहे हैं, ताकि योजनाएं रुकें और जो विकास के कार्य हैं वो अनवरत रूप से न हों.
कांग्रेस ने अर्बन नक्सल गैंग के होने को सरकार के लिए शर्मनाक बताया: सीएम धामी का अर्बन नक्सल गैंग पर दिए गए बयान ने प्रदेश की राजनीति में नई बहस को जन्म दे दिया है. इस पूरे मामले पर कांग्रेस उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि-
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ही राज्य के गृहमंत्री हैं और केंद्र में भी उन्हीं की सरकार है. उसके बाद भी अगर राज्य में किसी अर्बन नक्सल गिरोह का होना, यह राज्य और केंद्र सरकार के लिए बहुत शर्मनाक बात है. देश और राज्य की जांच एजेंसियां कहां सोई हुई हैं. देश और राज्य का गृह विभाग क्या कर रहा है? ऐसे में अगर प्रदेश के कोई अर्बन नक्सल गैंग, राज्य विरोधी गतिविधियां कर रहा है, या फिर अराजकता फैलाने का षड्यंत्र कर रहा है तो ये राज्य के लिए चिंता का विषय है.
-सूर्यकांत धस्माना, कांग्रेस उपाध्यक्ष-
सरकार से नामों का खुलासा करने की मांग: धस्माना ने कहा कि ऐसे में राज्य सरकार को तत्काल ऐसे लोगों के नामों का खुलासा करना चाहिए और उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए. लेकिन अगर सरकार सिर्फ जुमलेबाजी कर रही है, तो ऐसी जुमलेबाजी बड़े पदों पर बैठे हुए लोगों के मुंह से अच्छी नहीं लगती.
क्या है अर्बन नक्सल थ्योरी? भारत में नक्सल हिंसा की शुरुआत पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी से 1967 में शुरू हुई थी. चारू मजूमदार तथा कानू सान्याल को इसका प्रारंभिक नेतृत्वकर्त्ता माना जाता है. इनका प्रभाव क्षेत्र महाराष्ट्र के गढ़चिरौली, झारखंड के पश्चिम सिंहभूम, छत्तीसगढ़ के बीजापुर कांकेर, नारायणपुर और सुकमा, आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीतारमा राजू, मध्य प्रदेश के बालाघाट, तेलंगाना के भद्राद्रि-कोठागुडेम और ओडिशा के जंगल थे. नक्सली यहां विकास संबंधी गतिविधियां नहीं चलाने देते थे. यहां तक कि चुनाव भी प्रभावित करते थे.
कथित माओवादी लिंक के कारण कुछ समय पहले पुणे की पुलिस ने भीमा कोरेगांव दंगों के मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया था. इससे शहरी नक्सलवाद शब्द चर्चा में आया. तब पुलिस ने बताया था कि नक्सलियों के पास से एक चिट्ठी भी बरामद हुई थी, जिसमें प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश की बात सामने आई थी. पुणे पुलिस की कार्रवाई से ये चर्चा होने लगी कि शहरी समाज में नक्सलियों के प्रति हमदर्दी रखने के साथ ही उनकी हरसंभव तरीके से मदद करने वाले तत्व सक्रिय हैं. इसका प्रमाण तब मिला था, जब दिल्ली विवि के प्रोफेसर जीएन साईंबाबा को नक्सलियों की मदद के अपराध में सजा सुनाई गई थी.
ये भी पढ़ें:

