पटना: बिहार चुनाव से पहले लालू परिवार को बड़ा झटका लगा है. IRCTC घोटाले में आरजेडी सुप्रीमो और पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और उनके बेटे तेजस्वी यादव पर दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने आरोप तय कर दिया है.
क्या है मामला?: यह मामला साल 2004 से 2009 के बीच का है, जब लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे. उस दौरान भारतीय रेलवे की सहायक कंपनी आईआरसीटीसी के तहत पुरी और रांची के BNR होटलों के संचालन के लिए निजी कंपनियों को ठेका देने की प्रक्रिया शुरू की गई थी. सीबीआई की जांच के मुताबिक इस प्रक्रिया में कथित अनियमितताएं हुईं ताकि सुजाता होटल्स प्राइवेट लिमिटेड को अनुचित लाभ दिया जा सके.
#WATCH दिल्ली: राजद प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव राउज़ एवेन्यू कोर्ट पहुंचे।
राउज़ एवेन्यू कोर्ट IRCTC होटल भ्रष्टाचार मामले और ज़मीन के बदले नौकरी भ्रष्टाचार मामले में फैसला सुना सकता है। pic.twitter.com/6IdtZbkWf7
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 13, 2025
लेन-देन के बदले लाभ का मामला: जांच एजेंसी का आरोप है कि सुजाता होटल्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को ठेका देने के बदले लालू परिवार से जुड़ी एक बेनामी कंपनी को पटना में बाजार दर से बहुत कम कीमत पर जमीन दी गई. यह जमीन लालू परिवार के स्वामित्व वाली कंपनी ‘डेलेगेट मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड’ से जुड़ी बताई जाती है. सीबीआई का कहना है कि यह “quid pro quo” यानी “लेन-देन के बदले लाभ” का मामला है.
सीबीआई के आरोप और लालू परिवार का पक्ष: सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, आपराधिक साजिश (IPC की धारा 120B) और धोखाधड़ी से जुड़ी धाराओं के तहत आरोप लगाए हैं. एजेंसी का दावा है कि इस प्रकरण में सरकारी पद का दुरुपयोग किया गया. वहीं लालू परिवार का कहना है कि यह पूरा मामला राजनीतिक प्रतिशोध का परिणाम है. लालू प्रसाद, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव ने हमेशा इस केस को “राजनीतिक साजिश” बताया है. उनका कहना है कि चुनाव से पहले विपक्ष की छवि धूमिल करने और महागठबंधन को कमजोर करने के लिए केंद्र सरकार की एजेंसियों का इस्तेमाल किया जा रहा है.
सुनवाई और अब तक की प्रक्रिया: इस केस में कोर्ट ने 29 मई 2025 को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था. बाद में तकनीकी कारणों से आदेश की तिथि टल गई और आज 13 अक्टूबर को फैसला सुनाने की नई तिथि तय की गई. कोर्ट ने सभी आरोपियों को शारीरिक रूप से उपस्थित रहने का निर्देश दिया था. इसके बाद लालू परिवार रविवार शाम ही दिल्ली पहुंच गया. आज कोर्ट यह तय करेगी कि आरोप तय करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य हैं या नहीं. अगर कोर्ट को साक्ष्य पर्याप्त लगते हैं तो आरोप तय होंगे और मामला ट्रायल कोर्ट में जाएगा. अगर कोर्ट को सबूत कमजोर लगते हैं तो लालू परिवार को बड़ी राहत मिल सकती है.
संभावित परिणाम और प्रभाव: अगर आरोप तय होते हैं तो यह मामला ट्रायल स्टेज में जाएगा, जहां गवाहों की गवाही, दस्तावेजी साक्ष्य और बहस के बाद अदालत अपना अंतिम फैसला सुनाएगी. अगर आरोप सिद्ध होते हैं तो दोषियों को संबंधित धाराओं के तहत अधिकतम सात साल की सजा हो सकती है. वहीं अगर कोर्ट आरोप तय करने से इनकार करती है तो लालू परिवार को न सिर्फ कानूनी बल्कि राजनीतिक राहत भी मिलेगी. इससे महागठबंधन को चुनावी तौर पर मजबूती मिल सकती है.
चुनावी मौसम में सियासी हलचल तेज: बिहार में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है और नामांकन की प्रक्रिया भी जारी है. ऐसे में IRCTC घोटाला केस का फैसला सीधा चुनावी माहौल को प्रभावित कर सकता है. तेजस्वी यादव इस समय महागठबंधन के प्रमुख चेहरा हैं और उनके नेतृत्व में राजद चुनावी रणनीति तय कर रही है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह केस अब सिर्फ कानूनी मामला नहीं रहा बल्कि “बिहार की सियासत का नैरेटिव” तय करने वाला मुद्दा बन चुका है.
फैसले पर टिकी निगाहें: आज की सुनवाई पर पूरे देश की नजर है, खासकर बिहार की. अगर कोर्ट लालू परिवार को राहत देती है तो यह फैसला राजद खेमे के लिए उत्साह का विषय बनेगा और महागठबंधन को चुनावी रफ्तार मिल सकती है. लेकिन अगर मामला ट्रायल तक जाता है, तो यह विपक्ष के लिए बड़ा राजनीतिक झटका साबित हो सकता है और सत्ता पक्ष इसे चुनावी प्रचार में जोर-शोर से भुना सकता है. ऐसे में आज का फैसला यह तय करेगा कि लालू परिवार के लिए यह राहत का दिन होगा या लंबी कानूनी लड़ाई की शुरुआत होगी.
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