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भारत में 100 अरब डॉलर निवेश और 10 लाख नई नौकरियां! अर्थव्यवस्था के लिए गेम-चेंजर साबित होगा EFTA समझौता


हैदराबादः 1 अक्टूबर 2025 से लागू हुआ भारत और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (ईएफटीए) के बीच व्यापार और आर्थिक भागीदारी समझौता (टीईपीए) भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक ऐतिहासिक कदम है. यह समझौता भारत का पहला ऐसा मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) है, जो स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड और लिकटेंस्टीन जैसे चार विकसित यूरोपीय देशों के साथ हुआ है.

यह समझौता न केवल व्यापार को बढ़ावा देगा, बल्कि अगले 15 वर्षों में 100 अरब डॉलर का निवेश और 10 लाख नौकरियों के सृजन का वादा करता है. यह भारत के ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियानों को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है. इस रिपोर्ट में भारत के इस समझौते के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं.

समझौता के मुख्य बिंदु:

  • भारत और EFTA ने 10 मार्च, 2024 को TEPA पर हस्ताक्षर किए. यह 1 अक्टूबर, 2025 से लागू हुआ. चार विकसित यूरोपीय देशों के साथ भारत का पहला FTA है.
  • TEPA 15 वर्षों में 100 बिलियन डॉलर के निवेश और 10 लाख प्रत्यक्ष रोजगार सृजित करने की प्रतिबद्धता व्यक्त करता है, जो भारतीय FTA के लिए पहली बार है.
  • EFTA में 92.2% टैरिफ लाइनें (भारत के निर्यात का 99.6%) शामिल हैं, और भारत 82.7% (EFTA के निर्यात का 95.3%) को कवर करता है, जिससे डेयरी, सोया, कोयला और कृषि जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को संरक्षण मिलता है.
  • यह समझौता बाज़ार पहुंच बढ़ाता है, विनिर्माण और नवाचार को बढ़ावा देता है और प्रौद्योगिकी एवं स्थिरता में सहयोग को बेहतर बनाता है.
  • सेवा निर्यात को डिजिटल वितरण, व्यावसायिक उपस्थिति, पेशेवरों की आवाजाही और नर्सिंग, लेखा और वास्तुकला जैसे क्षेत्रों में समझौतों से लाभ होता है.

EFTA क्या हैः

EFTA आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे और स्विट्ज़रलैंड का एक संगठन है. इसकी स्थापना 1960 में सात सदस्य देशों द्वारा अपने सदस्यों के बीच मुक्त व्यापार और आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देने के लिए की गई थी. EFTA यूरोप के तीन प्रमुख आर्थिक समूहों में से एक है (अन्य दो यूरोपीय संघ और यूके हैं). इस समझौते में 14 खंड हैं जो बाजार पहुंच, व्यापार नियम, निवेश प्रोत्साहन, सेवाएं, बौद्धिक संपदा अधिकार और सतत विकास जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर केंद्रित हैं.

‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावाः

यह निवेश दीर्घकालिक, क्षमता निर्माण पूंजी के रूप में निर्धारित किया गया है. जिसका उद्देश्य पहले 10 वर्षों में 50 बिलियन डॉलर और उसके बाद के पांच वर्षों में अतिरिक्त 50 बिलियन डॉलर जुटाना है. यह निवेश ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहलों के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों, जैसे नवीकरणीय ऊर्जा, जीवन विज्ञान, इंजीनियरिंग और डिजिटल परिवर्तन, की ओर निर्देशित किया जाएगा. इस प्रक्रिया को तेज करने के लिए, भारत-ईएफटीए डेस्क फरवरी 2025 से कार्यरत है, जो संभावित निवेशकों के लिए एकल-खिड़की के रूप में कार्य कर रहा है.

TEPA क्या हैः

TEPA (व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौता) एक नया और महत्वाकांक्षी समझौता है. भारत द्वारा हस्ताक्षरित किसी भी मुक्त व्यापार समझौते (FTA) में पहली बार, इसमें निवेश और रोजगार सृजन के संबंध में बाध्यकारी वादे शामिल हैं.

घरेलू सुरक्षा उपाय:

EFTA रियायतें: EFTA समूह ने अपनी 92.2% टैरिफ लाइनों पर टैरिफ रियायतें प्रदान की हैं, जो भारत के कुल निर्यात का 99.6% कवर करती हैं, जिसमें गैर-कृषि वस्तुओं पर पूर्ण उदारीकरण भी शामिल है.

भारत की रियायतें: भारत ने अपनी 82.7% टैरिफ लाइनों (EFTA के निर्यात का 95.3%) पर पहुंच बढ़ा दी है. महत्वपूर्ण रूप से, डेयरी, सोया, कोयला और चुनिंदा कृषि उत्पादों जैसे संवेदनशील क्षेत्रों को बहिष्करण सूची में रखा गया है. प्रमुख उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं के अंतर्गत आने वाली वस्तुओं के लिए टैरिफ में कटौती 5-10 वर्षों में चरणबद्ध तरीके से की जाएगी ताकि घरेलू उद्योग को समायोजित होने और मजबूत होने का समय मिल सके.

सेवाओं और व्यावसायिक गतिशीलता को बढ़ावा:

भारत की अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र के योगदान (जीवीए का 55% से अधिक) को मान्यता देते हुए, टीईपीए आईटी, व्यावसायिक सेवाओं, शिक्षा और व्यावसायिक सेवाओं जैसे प्रमुख क्षेत्रों में बेहतर बाजार पहुंच प्रदान करता है.

इसकी एक विशिष्ट विशेषता नर्सिंग, चार्टर्ड अकाउंटेंसी और वास्तुकला जैसे व्यवसायों में पारस्परिक मान्यता समझौतों (एमआरए) को शामिल करना है. यह उपाय कुशल भारतीय पेशेवरों की आवाजाही और अस्थायी प्रवास को काफी सरल बनाएगा, सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा देगा और भारत के कुशल कार्यबल और यूरोप के प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र के बीच गहरे संबंध स्थापित करेगा.

भारतीय निर्यात को बढ़ावा:

भारत-EFTA व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौता (TEPA) भारतीय निर्यात में भारी उछाल लाएगा, जिससे स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड और लिकटेंस्टीन जैसे उच्च-आय वाले बाजारों तक तरजीही पहुंच सुनिश्चित होगी. EFTA द्वारा अपनी 92% टैरिफ लाइनों को उदार बनाने से, विभिन्न क्षेत्रों में भारतीय उत्पादों को बेहतर प्रतिस्पर्धात्मकता और कम अनुपालन लागत का लाभ मिलेगा.

ईएफटीए के डील साइन की. (फाइल फोटो) (PTI)

निर्यात में वृद्धिः

  • विनिर्माण और औद्योगिक सामानः मशीनरी, रसायन, कपड़ा, चमड़ा और इंजीनियरिंग उत्पादों के निर्यात में बढ़ोतरी होगी. रत्न और आभूषणों को पूर्ण टैरिफ छूट मिलेगी.
  • कृषि और खाद्यः बासमती चावल, दाल, ताजा अंगूर और प्रोसेस्ड सब्जियों पर टैरिफ कम या खत्म होंगे.
  • पेय और समुद्री उत्पादः कॉफी पर सभी टैरिफ खत्म होंगे, और मछली/झींगा फीड और प्रोसेस्ड समुद्री उत्पादों पर नॉर्वे और आइसलैंड में टैरिफ छूट मिलेगी.
  • इलेक्ट्रॉनिक्स और हाई-टेकः मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) कंपोनेंट्स और औद्योगिक नियंत्रण प्रणालियों में अवसर बढ़ेंगे.
  • रसायनः भारत के रासायनिक निर्यात पर 95% टैरिफ कम या खत्म होंगे, जिससे व्यापार बढ़कर 65-70 मिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है.

निष्कर्ष:

टीईपीए भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो न केवल व्यापार और निवेश को बढ़ाएगा, बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे राष्ट्रीय अभियानों को गति देगा. यह समझौता भारत को वैश्विक व्यापार और नवाचार के केंद्र के रूप में स्थापित करने में मदद करेगा, साथ ही लाखों नौकरियां पैदा करके अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा.

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