नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई पर सोमवार को जूता फेंकने का प्रयास करने वाले वकील राकेश किशोर ने कहा कि उन्हें अपने कृत्य पर कोई पछतावा नहीं है. न्यूज एजेंसी एएनआई को मंगलवार को दिए इंटरव्यू में राकेश किशोर ने कहा कि वह खजुराहो के जवारी मंदिर में भगवान विष्णु की संरचना की बहाली की मांग वाली याचिका को खारिज करते हुए सीजेआई की टिप्पणी से आहत हैं.
जनहित याचिका दायर होने पर दुख हुआ
उन्होंने कहा कि 16 सितंबर को मुख्य न्यायाधीश की अदालत में एक जनहित याचिका दायर की गई थी, उस पर मुझे दुख हुआ. जस्टिस गवई ने यह कहकर इसका मजाक उड़ाया था कि ‘जाओ मूर्ति से प्रार्थना करो कि उसका सिर वापस आ जाए’. जबकि हम देखते हैं कि जब दूसरे धर्मों के खिलाफ मामले आते हैं, जैसे हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर एक समुदाय विशेष ने कब्जा कर लिया था. जब इसे हटाने की कोशिश की गई, तो सुप्रीम कोर्ट ने तीन साल पहले इस पर रोक लगा दी. नूपुर शर्मा के मामले में कोर्ट ने कहा कि आपने माहौल खराब कर दिया है.
#WATCH | Delhi: Suspended Advocate Rakesh Kishore, who attempted to hurl an object at CJI BR Gavai, says, ” …i was hurt…i was not inebriated, this was my reaction to his action…i am not fearful. i don’t regret what happened.”
“a pil was filed in the court of cji on 16th… pic.twitter.com/6h4S47NxMd
— ANI (@ANI) October 7, 2025
कम से कम मजाक तो मत उड़ाइये: राकेश किशोर
राकेश किशोर ने आगे कहा कि जब भी सनातन धर्म से जुड़े मामले आते हैं, चाहे वह जल्लीकट्टू हो या दही हांडी की ऊंचाई, सुप्रीम कोर्ट के आदेशों ने मुझे आहत किया है. उन्होंने आगे कहा कि अगर आप राहत नहीं देना चाहते, तो कम से कम उसका मजाक तो मत उड़ाइए. याचिका खारिज होना अन्याय था. हालांकि, मैं हिंसा के खिलाफ हूं, लेकिन आपको सोचना चाहिए कि एक आम आदमी, जिसका किसी समूह से कोई लेना-देना नहीं है, ने ऐसा कदम क्यों उठाया. ऐसा नहीं है कि मैं किसी नशे में था; यह उसकी हरकत पर मेरी प्रतिक्रिया थी. मुझे कोई डर नहीं है और मुझे कोई पछतावा नहीं है. मैंने कुछ नहीं किया, भगवान ने मुझसे करवाया.
संवैधानिक पद की रखनी चाहिए गरिमा
इसके अलावा, उन्होंने कहा कि भारत के मुख्य न्यायाधीश को संवैधानिक पद की गरिमा बनाए रखनी चाहिए, और राज्य सरकारों द्वारा बुलडोजर के इस्तेमाल संबंधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के लिए न्यायमूर्ति गवई की आलोचना की. राकेश किशोर ने आगे कहा कि मुख्य न्यायाधीश एक संवैधानिक पद पर आसीन हैं और उन्हें ‘माई लॉर्ड’ कहा जाता है, इसलिए उन्हें इसका अर्थ समझना चाहिए और गरिमा बनाए रखनी चाहिए. किशोर ने कहा कि मैं मुख्य न्यायाधीश और मेरा विरोध कर रहे लोगों से पूछता हूं कि क्या बरेली में सरकारी जमीन पर कब्जा करने वालों पर योगी जी का बुलडोजर चलाना गलत था?
#WATCH | Delhi: When asked that his actions might lead to more of such incidents, suspended Advocate Rakesh Kishore, who attempted to hurl an object at CJI BR Gavai, says, ” …judges should work on their sensitivity. lakhs of cases are pending…i am neither going to apologise,… pic.twitter.com/OItNBLIfAd
— ANI (@ANI) October 7, 2025
राकेश किशोर बोले- खतरे में है हमारी पहचान
सीजेआई की तरफ जूता उछालने वाले शख्स राकेश किशोर ने कहा कि बात यह है कि हजार साल से हम छोटे-छोटे समुदायों के गुलाम रहे हैं. हम सहिष्णु रहे हैं, लेकिन जब हमारी पहचान ही खतरे में है, तो मैं चाहता हूं कि कोई भी सनातनी अपने घरों में चुप न रहे. वे जो कर सकते हैं, करें. मैं उकसा नहीं रहा, बस मैं चाहता हूं कि लोग अपने हितों का ध्यान रखें. बार काउंसिल द्वारा अपने निलंबन की निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि काउंसिल ने कानून का उल्लंघन किया है.
नोटिस मिलने पर दूंगा जवाब
उन्होंने कहा कि एडवोकेट्स एक्ट की धारा 35, जिसके तहत मुझे निलंबित किया गया है, एक अनुशासन समिति गठित की जानी है, जो नोटिस भेजेगी और मैं जवाब दूंगा. लेकिन बार काउंसिल ने मेरे मामले में नियमों का उल्लंघन किया है. अब मुझे अपने मुवक्किलों की फीस वापस करनी होगी. राकेश ने आगे कहा कि मैंने पहले ही तय कर लिया था, क्योंकि 16 सितंबर के बाद से मुझे नींद नहीं आ रही थी. किसी दैवीय शक्ति ने मुझे जगाया और कहा कि देश जल रहा है और तुम सो रहे हो? मुझे आश्चर्य है कि मुख्य न्यायाधीश ने मुझे जाने दिया. पुलिस ने मुझसे 3-4 घंटे पूछताछ की.
#WATCH | Delhi: On uproar over his object-hurling attempt at CJI BR Gavai, who is a Dalit, suspended Advocate Rakesh Kishore says, ” …my name is dr rakesh kishore. can someone tell my caste? maybe i am a dalit too. it is one-sided that you are taking advantage of the fact that… pic.twitter.com/0y3STytKxk
— ANI (@ANI) October 7, 2025
जेल जाने के लिए भी तैयार
दलित जज पर निशाना साधने की कोशिश के लिए आलोचनाओं के बीच उन्होंने कहा कि वह पहले सनातनी हैं, फिर उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया. अब वह दलित कैसे हो गए? यही उनकी राजनीति है. अधिवक्ता राकेश किशोर ने कहा कि वह जेल जाने को तैयार हैं, लेकिन अपने कृत्य के लिए माफी नहीं मांगेंगे. भगवान ने मुझे ऐसा करने पर मजबूर किया है. अगर वह चाहते हैं कि मैं जेल जाऊं या मुझे फांसी पर लटका दिया जाए, तो यह उनकी इच्छा है.
पीएम मोदी ने बीआर गवई से की बात
बता दें, किशोर की इस हरकत की व्यापक निंदा हुई है और प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि समाज में इस तरह के हमलों के लिए कोई जगह नहीं है. वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीफ जस्टिस बीआर गवई जी से बात की. उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर करते हुए लिखा कि आज सुबह सुप्रीम कोर्ट परिसर में उन पर हुए हमले से हर भारतीय क्षुब्ध है. हमारे समाज में ऐसे निंदनीय कृत्यों के लिए कोई जगह नहीं है. यह घोर निंदनीय है. ऐसी स्थिति में न्यायमूर्ति गवई द्वारा दिखाए गए धैर्य की मैं सराहना करता हूं. यह न्याय के मूल्यों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और हमारे संविधान की भावना को मजबूत करने को दर्शाता है.
#WATCH | Delhi: Countered on his action against the highest position holder in judiciary, suspended Advocate Rakesh Kishore, who attempted to hurl an object at CJI BR Gavai, says, ” …cji should think that when he is sitting on such a high constitutional post, he should… pic.twitter.com/6WgPZmQjO7
— ANI (@ANI) October 7, 2025
घटना पर क्या बोले CJI गवई
बता दें, राकेश किशोर की इस हरकत पर देश के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई एकदम शांत रहे. उन्होंने कहा कि मुझे इस तरह की घटनाओं से कोई फर्क नहीं पड़ता है. आप लोग काम जारी रखें. दलीलें पेश करते रहिए.
जानिए कौन हैं राकेश किशोर
बता दें, चीफ जस्टिस पर जूता उछालने वाले आरोपी राकेश किशोर देश की सर्वोच्च अदालत की बार एसोसिएशन के रजिस्टर्ड मेंबर हैं. वे राजधानी दिल्ली के मयूर विहार के रहने वाले हैं. जानकारी के मुताबिक राकेश किशोर ने 2009 में दिल्ली बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन कराया था. इनके पास सुप्रीम कोर्ट एसोसिएशन, शाहदरा बार एसोसिएशन और दिल्ली बार एसोसिएशन काउंसिल का लाइसेंस हैं.
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