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पौड़ी जिला अस्पताल में मोबाइल की रोशनी में इलाज! व्यवस्थाओं पर उठे सवाल


पौड़ी: सूबे में सरकारी अस्पतालों के क्या हाल हैं? उसका एक नमूना पौड़ी जिला अस्पताल में देखने को मिला. जहां रात के समय मोबाइल फोन की टॉर्च की रोशनी में मरीजों का उपचार होता नजर आया. जो स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के दावों पर सीधे सवाल खड़े कर रहा है. उधर, वीडियो सामने आने के बाद लोगों में भारी आक्रोश है.

मोबाइल की रोशनी में उपचार का वीडियो आया सामने: दरअसल, पौड़ी जिला अस्पताल पौड़ी से एक वीडियो सामने आया है, जहां बिजली गुल होने के बाद अस्पताल के डॉक्टर और कर्मचारी मोबाइल फोन की टॉर्च की रोशनी में मरीजों का उपचार करते हुए नजर आ रहे हैं. बताया जा रहा है कि बीती शुक्रवार की शाम ग्रिड फेल होने से करीब एक घंटे तक बिजली आपूर्ति बाधित रही.

इसी दौरान डॉक्टरों को आकस्मिक विभाग में मोबाइल की टॉर्च की रोशनी में मरीजों का उपचार करना पड़ा. अस्पताल में जनरेटर उपलब्ध होने के बावजूद उसे संचालित नहीं किया जा सका. बताया जा रहा कि जनरेटर में डीजल न होने और तकनीकी खराबी के कारण बिजली आपूर्ति बहाल नहीं हो सकी. इस दौरान अस्पताल पहुंचे मरीजों और उनके परिजनों को भारी परेशानी झेलनी पड़ी.

मोबाइल की रोशनी में उपचार (फोटो सोर्स- Ritwik Aswal)

वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि जिला अस्पताल पौड़ी न केवल शहर बल्कि, आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए भी उपचार का प्रमुख केंद्र है. ऐसे में यदि यहां बिजली या बैकअप की समुचित व्यवस्था नहीं है तो ग्रामीण अस्पतालों की स्थिति का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है.

मैं अपनी बीमार बच्ची को इलाज के लिए अस्पताल लाया था, लेकिन बिजली बाधित होने के बाद भी करीब एक घंटे तक जनरेटर नहीं चला. डॉक्टर मोबाइल की टॉर्च की रोशनी में मरीजों का स्वास्थ्य परीक्षण कर रहे थे.“- ऋत्विक असवाल, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष, गढ़वाल विश्वविद्यालय पौड़ी

स्थानीय लोगों ने उठाई जांच की मांग: वहीं, स्थानीय लोगों ने मांग की है कि जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग इस घटना की जांच करें और अस्पताल में मूलभूत सुविधाओं को तत्काल दुरुस्त करें. ताकि, भविष्य में मरीजों को इस तरह की असुविधा का सामना न करना पड़े. उनका कहना है कि यह बड़ी लापरवाही भी है.

विद्युत आपूर्ति बाधित होने पर जनरेटर संचालन के निर्देश दिए गए थे, लेकिन तकनीकी खामी के चलते कुछ समय तक व्यवस्था प्रभावित रही. संबंधित कार्मिकों को भविष्य में लापरवाही पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है.डॉ. सुनील शर्मा, प्रभारी पीएमएस, पौड़ी जिला अस्पताल

पहले भी हुआ मोबाइल की रोशनी में उपचार: यह पहली बार नहीं है, जब अस्पताल में इस तरह की स्थिति देखने को मिली हो. बीती 12 जनवरी को देहलचौरी मोटर मार्ग पर हुए बस हादसे के दौरान भी बिजली बाधित होने से डॉक्टरों ने मोबाइल की रोशनी में घायलों का उपचार किया था. उस घटना के बाद तत्कालीन सीएमओ को शासन ने बाध्य प्रतीक्षा में रखा था.

पौड़ी जिला अस्पताल में जनरेटर संचालन न होने की शिकायतें कई बार मिल चुकी है. डीजल की कमी और रखरखाव में लापरवाही के कारण इस तरह की स्थिति बार-बार सामने आ रही है. इस संबंध में जल्द ही जिला प्रशासन को पत्र भेजा जाएगा.“- गोविंद सिंह रावत, एसडीओ, विद्युत वितरण खंड, पौड़ी

वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री पौड़ी जिले से होने के बावजूद यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था बेहद दयनीय बनी हुई है. यदि जिला अस्पताल का यह हाल है तो दूरस्थ क्षेत्रों के अस्पतालों की स्थिति क्या होगी? इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है. बता दें कि यह अस्पताल एक जनवरी से सरकारी सेवाओं में वापस आ गया था. इससे पहले इसे पीपीपी मोड पर संचालित किया जा रहा था.

एक महीने पहले भी अस्पताल प्रशासन को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए थे. अब दोबारा शिकायत सामने आने पर स्पष्टीकरण मांगा गया है. यदि मामले में संतोषजनक जवाब नहीं मिलता है तो आवश्यक कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.“- डॉ. शिव मोहन शुक्ला, सीएमओ, पौड़ी

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