रुद्रपुर/काशीपुर/खटीमा/अल्मोड़ा: 2 अक्टूबर को देशभर में धूमधाम से दशहरा मनाया गया. उत्तराखंड में भी इसे लेकर खासा उत्साह देखने को मिला. प्रदेश के अलग अलग इलाकों में रावण दहन के साथ दूसरे कार्यक्रम आयोजित किये गये. कई जगहों पर बारिश ने रावण दहन के कार्यक्रम का मजा किरकिरा किया. इसके बाद लोगों के साथ ही बच्चे भी काफी खुश नजर आये.
रुद्रपुर में धड़ाम हुये तीनों पुतले: उधम सिंह नगर जनपद मुख्यालय रुद्रपुर के गांधी मैदान में रावण परिवार का पुतला दहन कार्यक्रम मौसम की वजह से किरकिरा हो गया. दोपहर को अचानक तेज हवा और बारिश की भेट चढ़े पुतले पूरी तरह जल भी नहीं पाए. आयोजकों ने पुतले के मुख को बगल में रख कर जलाया. दोपहर जैसे ही तीनों पुतलों को खड़ा किया वैसे ही मौसम ने करवट ली. जिसके बाद तेज हवा के साथ झमाझम बारिश शुरू हो गई. जिससे तीनों पुतले धराशाही हो कर क्षतिग्रस्त हो गए.
खटीमा में रावण दहन: सीमांत खटीमा क्षेत्र में बीते 60 वर्षों से भी अधिक समय से नगर में संचालित रामलीला का आयोजन किया जा रहा है. विजयदशमी के दिन दशहरे पर्व आयोजन के साथ रामलीला का सफल आयोजन हुआ. खटीमा नगर की रामलीला ने विजया दशमी के दिन राम रावण युद्ध के साथ रावण, मेघनाथ के गगन चुंबी पुतलों का भव्य आतिशबाजी के साथ दहन किया. जिसे देखने खटीमा सहित दूर दूर से हजारों लोग रामलीला मैदान खटीमा पहुंचे. रामलीला में स्थानीय पात्रों ने हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी बेहतरीन अभिनय से रामलीला आयोजन में चार चांद लगाये.
काशीपुर में बारिश के बाद भी भव्य रावण दहन: विजयादशमी के मौके पर प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी बरसात के बावजूद भी दशहरा मेले का आयोजन किया गया. इस वर्ष हर वर्ष की भांति विजयदशमी के मौके पर आतिशबाजी की व्यवस्था भी की गई. शाम 7 बजे रामलीला मैदान में बाहर से आए कलाकारों द्वारा तैयार किए गए 55 फीट के रावण तथा 50 फीट के कुंभकरण के आदम कद पुतलों का दहन किया गया. इससे पूर्व दोपहर 3 बजे के बाद रामलीला मंच पर रंगारंग कार्यक्रम हुए. उधर दूसरी ओर दशहरा मेला को सकुशल संपन्न कराने को लेकर पुलिस प्रशासन ने ट्रैफिक डायवर्ट करते हुए सुरक्षा के खास बंदोबस्त किए थे.
अल्मोड़ा में जलाये गये 18 पुतले: सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा का ऐतिहासिक दशहरा महोत्सव उत्तराखण्ड में ही नहीं वरन पूरे देश में प्रसिद्ध है. बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक इस पर्व पर अल्मोड़ा में रावण परिवार के लगभग 18 कलात्मक पुतलों का निमार्ण स्थानीय कलाकारों ने किया. यहां शिखर तिराहे पर सभी पुतलों को एकत्रित कर पूरे बाजार मार्ग में घुमाया गया. स्थानीय स्टेडियम में देर रात को इन पुतलों का दहन किया गया. भगवान राम ने तीर मारकर रावण का अंत किया. रात करीब 12 बजे रावण के पुतले को अग्नि को समर्पित कर दहन किया गया.
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