वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2014 में प्रस्तावक रहे पद्म विभूषण पंडित छन्नू लाल मिश्रा का मिर्जापुर स्थित उनकी बेटी के आवास पर निधन हो गया है. उनकी बेटी नम्रता मिश्रा ने इसकी पुष्टि की है. गुरुवार सुबह 4:15 उन्होंने अंतिम सांस ली. 91 वर्ष की अवस्था में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया. आज दोपहर बाद वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. सुबह 10 बजे उनके बनारस स्थित पैतृक आवास पर दर्शन के लिए शव लाया जाएगा. शाम को मणिकर्णिका घाट पर अंतिम संस्कार किया जाएगा. वहीं, उनके निधन पर पीएम मोदी ने ट्वीट कर शोक जताया है.
7 माह से बीमार थे: जानकारी के मुताबिक पंडित छन्नूलाल मिश्रा 7 महीने से ज्यादा बीमार चल रहे थे और हाल ही में 17 दिनों के लिए वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के साथ सुंदरलाल अस्पताल में भर्ती किए गए थे. वहां उन्हें 13 सितंबर को एडमिट कराया गया था. इसके बाद 27 सितंबर को उन्हें यहां से डिस्चार्ज कर दिया गया था और वह मिर्जापुर में अपनी बेटी नम्रता मिश्रा के यहां चले गए थे जहां पर उन्होंने अंतिम सांस ली है. उन्हें सीने में दर्द की शिकायत और अन्य कई बीमारियों के कारण एडमिट किया गया था.
सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। वे जीवनपर्यंत भारतीय कला और संस्कृति की समृद्धि के लिए समर्पित रहे। उन्होंने शास्त्रीय संगीत को जन-जन तक पहुंचाने के साथ ही भारतीय परंपरा को विश्व पटल पर प्रतिष्ठित करने में भी अपना अमूल्य योगदान… pic.twitter.com/tw8jb5iXu7
— Narendra Modi (@narendramodi) October 2, 2025
आजमगढ़ में हुआ था जन्म: आजमगढ़ में जन्मे पंडित छन्नूलाल मिश्र ने बनारस को अपनी कर्मभूमि बनाया था. वह बनारस घराने की गायकी के प्रमुख प्रतिनिधि थे. भारत सरकार ने उन्हें 2000 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 2010 में पद्मभूषण और 2020 में पद्मविभूषण से सम्मानित कर चुकी है. 2014 में वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्तावक भी रहे, हालांकि 2020 के बाद जब उनकी पत्नी का कोविड की वजह से देहांत हुआ था. उसके बाद घर में पारिवारिक कलह की वजह से उन्होंने बनारस छोड़ दिया और मिर्जापुर में अपनी बेटी के पास रहने लगे थे.
पंडित छन्नूलाल मिश्रा. (etv bharat archive)
शास्त्री गायन को बुलंदियों पर लेकर गए: छन्नूलाल मिश्र हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत को एक अलग लेवल पर लेकर गए हैं. इन्हें खयाल, ठुमरी, भजन, दादरा, कजरी और चैती के लिए जाना जाता है. छन्नूलाल को कला के क्षेत्र में दिए गए अपने योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा सन 2020 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया है. छन्नूलाल मिश्र ने कई भजन और गजल गाए हैं, लेकिन बॉलीवुड में उनका एक गाना काफी पापुलर हुआ था जिसका नाम है सांस अलबेली. ये गाना दीपिका पादुकोण, सैफ अली खान और अमिताभ बच्चन की फिल्म आरक्षण का था.

शास्त्रीय गायन में बड़ा नाम थे पंडित छन्नूलाल मिश्रा. (etv bharat archive)
पिता से सीखा था संगीत: पंडित छन्नूलाल मिश्र ने पहले अपने पिता से संगीत सीखा और उनसे संगीत की हर छोटी-बड़ी जानकारी ली. इसके बाद 9 साल की उम्र में उन्होंने गुरू उस्ताद गनी अली साहब से खयाल सीखा और इसके बाद ठाकुर जयदेव सिंह ने उन्हें ट्रेन्ड किया. छन्नूलाल मिश्र ने मुजफ्फरपुर से संगीत की शिक्षा प्राप्त की थी और छन्नूलाल मिश्र ने अपने गीत से विदेश में भी भारतीय संगीत का नाम रोशन किया.

शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्रा ने मिर्जापुर में ली अंतिम सांस. (etv bharat archive)
कई बड़े योगदान: काशी के संगीत घराने के नायाब रत्न पंडित छन्नूलाल मिश्र को ख्याल, ठुमरी, भजन, दादरा, कजरी और चैती जैसे लोकगीत विधाओं के गायन के लिए देश के सर्वोच्च सम्मान में से एक पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया था. राष्ट्रपति भवन के ऐतिहासिक दरबार हाल में इस सम्मान को प्रदान किया गया. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कला के क्षेत्र में दिए गए योगदान के लिए जब पं. छन्नूलाल मिश्र को पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उस वक्त मौजूद थे.छह साल की उम्र में सीखने लगे थे संगीत: उनके दादा गुदई महाराज शांता प्रसाद प्रसिद्ध संगीतकार थे. छह साल की उम्र से ही पंडित छन्नूलाल मिश्र ने अपने पिता बद्री प्रसाद मिश्र से संगीत की शिक्षा लेनी शुरू कर दी थी. किराना घराने के उस्ताद अब्दुल गनी खान से भी उन्होंने शिक्षा ली. पण्डित छन्नूलाल मिश्रा ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन में शीर्ष ग्रेड कलाकार रह चुके हैं. वह संस्कृति मंत्रालय के सदस्य भी रहे हैं. वह संगीत जगत के इकलौते ऐसे कलाकारों में हैं, जिन्हें पद्मश्री के बजाय पद्मभूषण प्रदान किया गया. पंडित छन्नूलाल मिश्रा ने पद्म विभूषण को बनारस घराने के सम्मान के रूप में समर्पित किया है. पूरा बनारस इस सम्मान के लिए खुशी के साथ साथ गौरवांवित महसूस करता है. बनारस में होली के दौरान सबसे ज्यादा गाया जाने वाला गाना खेले मसाने में होरी दिगंबर वाला भजन पण्डित छन्नूलाल मिश्रा ने ही गाया था. ठुमरी, दादरा, चैती और कजरी के साथ ही वह भजन गाने के लिए भी जाना जाता रहा.2020 में ईटीवी भारत की विशेष प्रस्तुति के लिए गाया थाः 2020 में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के मौके पर ईटीवी भारत इनाडु ग्रुप की तरफ से महात्मा गांधी को विशेष श्रद्धांजलि दी गई थी. इसमें एक विशेष श्रद्धांजलि एलबम लांच किया गया था. इसमें मशहूर शास्त्री और नामचीन गायको ने वैष्णवजन को तेरे कहिए गाया था. इस एलबम के लिए पंडित छन्नूलाल मिश्र ने भी अपनी सहभागिता की थी. उन्होंने इस एल्बम में महात्मा गांधी के गीत की कुछ लाइनों में अपनी आवाज दी थी. इस एल्बम का इनॉग्रेशन खुद प्रधानमंत्री मोदी ने एक विशेष कार्यक्रम के दौरान दिल्ली में अपने आवास पर ही किया था. उस वक्त पंडित छन्नूलाल मिश्र ने इस गीत के लिए ईटीवी भारत का आभार भी व्यक्त किया था. ईटीवी भारत व इनाडु ग्रुप के पूर्व चेयरमैन दिवंगत रामोजी राव के प्रयास से यह एलबम लांच किया गया था.
देखें: गांधी जयंती पर ईटीवी की ओर से 2020 में लांच की गई खास प्रस्तुति में की थी सहभागिता

