देहरादून: आज मुजफ्फरनगर रामपुर तिराहा कांड की 31वीं बरसी है. इस मौके पर शहीद स्थल पर कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे. इस कार्यक्रम में शहीद आंदोलनकारियों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी जाएगी.
रामपुर तिराहा कांड की यादें 1 अक्टूबर 1994 की रात से जुड़ी हैं. इस दिन पृथक राज्य का मांग को लेकर राज्य आंदोलनकारी 24 बसों में सवार हो कर 2 अक्टूबर को दिल्ली में प्रस्तावित रैली में शामिल होने के जा रहे थे. इसी दौरान गुरुकुल नारसन में आंदोलनकारियों को रोकने के लिए बैरिकेडिंग लगा दी गई. जिससे तोड़कर राज्य आंदोलनकारी आगे बढ़ने की जिद करने लगे. जिसके बाद शासन के निर्देश पर उन्हें मुजफ्फरनगर पुलिस ने रामपुर तिराहे पर रोकने की योजना बनाई. इस योजना के तहत इस पूरे इलाके को सील कर आंदोलनकारियों को रोक दिया गया.
आंदोलनकारी दिल्ली जाने से रोके जाने पर नाराज हो गये. सभी ने सड़क पर नारेबाजी शुरू कर दी. साथ ही अचानक बीच में कहीं से पथराव शुरू हो गया. जिसमें मुजफ्फरनगर के तत्कालीन डीएम अनंत कुमार सिंह घायल हो गए. जिसके बाद यूपी पुलिस ने बर्बरता की सभी हदें पार करते हुए राज्य आंदोलनकारियों पर दौड़ा-दौड़ाकर लाठियों से पीटना शुरू कर दिया. वहीं, लगभग ढाई सौ ज्यादा राज्य आंदोलनकारियों को हिरासत में भी ले लिया.
इसी दौरान देर रात लगभग पौने तीन बजे यह सूचना आई कि 42 बसों में सवार होकर राज्य आंदोलनकारी दिल्ली की ओर बढ़ रहे हैं. ऐसे में यह खबर मिलते ही रामपुर तिराहे पर एक बार फिर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया . इस बीच जैसे ही 42 बसों में सवार होकर राज्य आंदोलनकारी रामपुर तिराहे पर पहुंचे तो पुलिस और राज्य आंदोलनकारियों के बीच झड़प शुरू हो गई. इस दौरान आंदोलकारियों को रोकने के लिए यूपी पुलिस ने 24 राउंड फायरिंग की. जिसमें सात आंदोलनकारियों की जान चली गई वहीं, 17 राज्य आंदोलनकारी बुरी तरह घायल हो गए.
वहीं, एक ओर कई राज्य आंदोलनकारी पुलिस की बर्बरता का शिकार हो रहे थे तो वहीं दूसरी तरफ जान बचाने के लिए कुछ महिलाएं जंगलों की तरफ भाग रही थी. प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो पुलिस ने इस दौरान सभी हदें पार करते हुए महिलाओं की अस्मत से भी खिलवाड़ किया गया.
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