मुंबई: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीन दिवसीय बैठक खत्म होते ही आज गवर्नर संजय मल्होत्रा ने एलान कर दिया है. बैठक के बाद आरबीआई गवर्नर बैठक में लिए गए फैसलों की घोषणा करेंगे.
मीटिंग के बाद आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने ऐलान किया कि रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं होगा. इस तरह से 5.5 फीसदी रेपो रेट बरकरार रहेगा.
जीएसटी में सुधार (Rationalisation) से महंगाई पर काबू पाने में मदद मिलेगी.
#WATCH | On the Monetary Policy, RBI Governor Sanjay Malhotra says, ” … the mpc voted unanimously to keep the policy repo rate unchanged at 5.5%. consequently, the stf rate remains at 5.25%, while the msf rate and the bank rate remain at 5.75%. the mpc also decided to continue… pic.twitter.com/b4JhDzlIoc
— ANI (@ANI) October 1, 2025
बैठक के बाद आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा का कहना है कि जीएसटी में सुधार (Rationalisation) से महंगाई पर काबू पाने में मदद मिलेगी. इसके साथ ही मल्होत्रा ने ये भी कहाकि अगस्त महीने की मौद्रिक नीति (Monetary Policy) के बाद से देश के विकास और महंगाई का संतुलन एक तरह से बदल गया है.
गवर्नर ने जोर देकर कहाकि जीएसटी (GST) में सुधार का असर महंगाई को घटाने वाला साबित हो सकता है. दूसरी ओर उच्च टैरिफ यानी कि आयात-निर्यात पर बढ़े हुए शुल्क से निर्यात की रफ्तार धीमी पड़ सकती है.
गौर करें तो आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने फरवरी 2025 से अबतक रेपो रेट में एक प्रतिशत की कटौती कर रखी है.
बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक यानी RBI की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक सोमवार, 29 सितंबर को शुरू हुई थी. तीन दिन की बैठक के आज आखिरी दिन कमेटी के अध्यक्ष सह आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बैठक में लिए गए निर्णयों की जानकारी दी. हालांकि एक्सपर्ट के अनुमान के मुताबिक ही बातें सामने आईं. अधिकतर जानकारों का अनुमान था कि रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं होने वाला है. उसी के अनुसार रहा. केंद्रीय बैंक रेपो रेट को 5.50% पर रखा गया. उसमें कोई बदलाव नहीं हुआ. साथ ही नीतिगत रुख को भी ‘तटस्थ’ बनाए रखा गया.
फरवरी और अप्रैल में 25-25 आधार अंकों की कटौती की गई और उसके बाद जून में रेपो रेट में 50 आधार अंकों की एक बड़ी कटौती की गई. इस तरह, ब्याज दरें कम करके RBI ने भारतीय इकॉनमी में कर्ज लेना सस्ता करने की कोशिश की है. इसके साथ ही मांग को बढ़ाने का प्रयास किया है.
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