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उत्तराखंड में प्रदूषण मुक्त होंगी नदियां, 13 जिलों में नोडल ऑफिसर नियुक्त, जानिये कैसे होगा काम


देहरादून: नदियों और जलाशयों को प्रदूषण से मुक्त रखने के लिए नमामि गंगे कार्यक्रम लगातार नए प्रयासों की दिशा में बढ़ रहा है. इसी क्रम में अब प्रत्येक जिले में सीवेज से संबंधित एक्शन प्लान तैयार करने और नए प्रोजेक्ट्स की पहचान करने पर जोर दिया जा रहा है. न केवल गंगा, बल्कि उसकी सहायक नदियों और अन्य महत्वपूर्ण जलाशयों, नदियों, झीलों और तालाबों को भी प्रदूषण से बचाने के लिए योजनाएं बनाई जा रही हैं. इस दौरान यह महसूस किया गया कि जिलों में कोई ऐसा नोडल अधिकारी मौजूद नहीं है, जो जल निगम और जल संसाधन विभाग से जुड़ा हो और इन परियोजनाओं का प्रभावी अनुश्रवण कर सके.
नोडल अधिकारी की इसी कमी को दूर करने के लिए केंद्रीय सचिव के निर्देशन में राज्य के सभी 13 जिलों में नोडल ऑफिसर्स की नियुक्ति की गई है. इन अधिकारियों की जिम्मेदारी होगी कि वे डीपीआर तैयार करें, योजनाओं की निगरानी करें और नए प्रोजेक्ट्स की पहचान कर उन्हें आगे बढ़ाएं.

इस जिले में यह हैं नोडल अधिकारी

  1. चमोली जिले में मोहम्मद वसीम अहमद
  2. टिहरी जिले में संदीप कश्यप
  3. पिथौरागढ़ जिले में आर एस धर्मशत्तू
  4. नैनीताल जिले में वीके जैन
  5. पौड़ी गढ़वाल जिले में मोहम्मद मिशम
  6. हरिद्वार जिले में आरके जैन
  7. बागेश्वर जिले में अशोक कटारिया
  8. देहरादून जिले में मिशा सिन्हा
  9. उधम सिंह नगर जिले में मृदुला सिंह
  10. उत्तरकाशी जिले में विनोद रमोला
  11. रुद्रप्रयाग जिले में सुशील कुमार सैनी
  12. अल्मोड़ा जिले में विशाल कुमार
  13. चंपावत जिले में प्रियदर्शन रावत

नमामि गंगे के निदेशक विशाल मिश्रा ने बताया नोडल ऑफिसर्स की नियुक्ति से जमीनी स्तर पर निगरानी आसान हो जाएगी. इससे न केवल वर्तमान योजनाओं को सही दिशा में ले जाने में मदद मिलेगी, बल्कि भविष्य के लिए नए प्रोजेक्ट्स भी बेहतर तरीके से तैयार किए जा सकेंगे. इन परियोजनाओं को भारत सरकार को प्रस्तुत किया जाएगा और स्वीकृति मिलने पर उन्हें लागू किया जाएगा. इस कदम से उम्मीद है कि गंगा और उसकी सहायक नदियों के साथ-साथ अन्य जलाशयों को भी स्वच्छ रखने के प्रयासों को और मजबूती मिलेगी. नमामि गंगे का लक्ष्य केवल गंगा नदी को पुनर्जीवित करना ही नहीं, बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित और संरक्षित रखना है, और यह नई पहल उसी दिशा में एक ठोस कदम है.

2027 के अर्धकुंभ के लिए लक्ष्य: नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत गंगा और यमुना के सहायक नदियों को भी साफ रखने के लिए अभियान जारी किया गया है. इसी के तहत जिलों से सीटीपी और नालों की टेपिंग से संबंधित प्रस्ताव मांगे गए हैं. कार्यक्रम अधिकारी नमामि गंगे विशाल मिश्रा ने बताया कि अर्ध कुंभ 2027 के लिए गंगा को स्वच्छ करने के लिए यह अभियान चलाए जा रहे हैं. इस कार्यक्रम गंगा के उद्गम स्थल गोमुख से लेकर हरिद्वार तक एक दर्जन से ज्यादा शहरों को चिन्हित किया गया है. इन जगहों पर STP के निर्माण और नालों के टेपिंग को लेकर प्रस्ताव मांगे गए हैं.

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