किरणकांत शर्मा की रिपोर्ट
देहरादून: उत्तराखंड में सरकारी नौकरियों के लिए होने वाली परीक्षाओं को लेकर एक बार फिर विवाद गहराता जा रहा है. रविवार 21 सितंबर को हुई परीक्षा से कुछ ही देर पहले सोशल मीडिया पर प्रश्न पत्र के कुछ सवाल बाहर आने की खबर ने न केवल युवाओं का विश्वास डगमगा दिया, बल्कि राज्य सरकार की नीतियों पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए.
खास बात यह है कि प्रदेश में हाल ही में नकल विरोधी कानून लागू हुआ था, जिसे युवाओं की उम्मीदों का सहारा माना जा रहा था. लेकिन ताजा घटनाक्रम से यह सवाल उठने लगे हैं, कि आखिर इतने सख्त कानून के बावजूद भी पेपर लीक जैसी घटनाएं क्यों सामने आ रही हैं ? हालांकि ये बात भी सही है कि इस बार जो पेपर लीक का हल्ला उठा, वो पेपर खत्म होने से चंद मिनट पहले उठा और पेपर के कुछ ही सवाल एग्जाम हॉल से बाहर सोशल मीडिया पर आये.
पुराना चेहरा नया विवाद, हाकम सिंह की गिरफ्तारी: पेपर लीक विवाद में सबसे पहले जो नाम उभरकर सामने आया, वह है हाकम सिंह का. यह वही व्यक्ति है, जिसका नाम पहले भी उत्तराखंड के बड़े पेपर लीक कांडों में सामने आ चुका है. 20 सितंबर को परीक्षा से एक दिन पहले देहरादून पुलिस और एसटीएफ ने हाकम सिंह को गिरफ्तार किया. आरोप था कि वह फिर से परीक्षा से पहले पेपर लीक कराने की फिराक में था. जांच एजेंसियों को जानकारी मिली थी कि हाकम सिंह बेरोजगार युवाओं से संपर्क बनाकर सेटिंग-गेटिंग करने और लाखों रुपए लेकर पेपर उपलब्ध कराने की तैयारी कर रहा है, लेकिन उससे पहले एसटीएफ और पुलिस ने उसे धर दबोचा.
परीक्षा खत्म, लेकिन सवाल फिर उठे: हाकम सिंह की गिरफ्तारी के बाद प्रशासन और आयोग को लगा कि इस बार परीक्षा शांतिपूर्ण और पारदर्शी ढंग से संपन्न हो जाएगी. लेकिन 21 सितंबर को परीक्षा समाप्त होने से कुछ ही देर पहले सोशल मीडिया पर प्रश्न पत्र के कुछ सवाल बाहर आ गए. जैसे ही प्रश्न पत्र के कुछ सवाल सोशल मीडिया पर वायरल हुए, विपक्ष और युवाओं के बीच हलचल मच गई.
बेरोजगारों ने सवाल उठाया कि अगर नकल विरोधी कानून इतना सख्त है, तो फिर पेपर के सवाल बाहर कैसे आ सकते हैं? हर बार परीक्षा की तैयारी में सालों की मेहनत लगाने वाले युवा इस डर के साथ केंद्र पर जाते हैं, कि न जाने कब पेपर लीक हो जाए और परीक्षा रद्द करनी पड़े. क्यूंकि राज्य में कई बार पेपर लीक जैसी घटनाएं सामने आ चुकी हैं. जिसके बाद राज्य सरकार ने अलग से पेपर लीक कानून बना कर 200 से अधिक लोगों को जेल भी भेजा था.
बेरोजगार संघ का आक्रोश और बॉबी पंवार की गिरफ्तारी: ताज़ा विवाद में एक और अहम नाम जुड़ गया बेरोजगार संघ के नेता बॉबी पंवार का. हरिद्वार एसओजी ने 21 सितंबर की शाम उन्हें एक कार्यक्रम से हिरासत में ले लिया. आरोप है कि बॉबी पंवार ने अपनी सोशल मीडिया प्रोफाइल पर प्रश्न पत्र से जुड़े कुछ सवाल पोस्ट किए थे. पुलिस का मानना है कि यह कागजात परीक्षा की गोपनीयता भंग करने वाले हो सकते हैं.
बॉबी पंवार की गिरफ्तारी के बाद बेरोजगार संघ पूरी तरह आक्रामक हो गया है. संघ के नेताओं ने कहा कि सरकार युवाओं की आवाज दबाने की कोशिश कर रही है. इसके जवाब में आज सोमवार को राजधानी देहरादून की सड़कों पर सैकड़ों युवा एकत्र हुए. उन्होंने सचिवालय मार्च की चेतावनी दी. युवाओं ने मांग की कि इस पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए, ताकि सच्चाई सामने आ सके.
क्या बोला संघ: बेरोजगार संघ के वरिष्ठ नेता राम कंडवाल ने साफ कहा कि यह पहली बार नहीं है कि उत्तराखंड सरकार ने युवाओं को धोखा दिया है. हर बार यही होता है कि मेहनत करने वाले छात्रों का भविष्य बर्बाद होता है और माफिया छूट जाते हैं. इस बार हम चुप नहीं बैठेंगे. जल्द ही एक बड़ी रणनीति बनाकर हम सड़कों पर उतरेंगे.
नकल विरोधी कानून युवाओं की उम्मीद बनाम हकीकत: उत्तराखंड सरकार ने 2023 में नकल माफियाओं पर लगाम कसने के लिए नकल विरोधी कानून लागू किया था. इसे देश के सबसे सख्त कानूनों में से एक बताया गया.
इस कानून में कई प्रावधान शामिल हैं
- पेपर लीक, नकल कराने या उसमें शामिल होने पर 10 साल तक की सजा और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना
- संगठित अपराध या गैंग के जरिये नकल कराने पर संपत्ति जब्ती की कार्रवाई
- परीक्षा प्रक्रिया से जुड़े दोषी कर्मचारियों पर तुरंत सेवा से निलंबन और कठोर दंड
ऐसे मामलों की फास्ट-ट्रैक कोर्ट में सुनवाई हो, ताकि जल्दी फैसला हो सके. राज्य सरकार का दावा है कि इस कानून के लागू होने के बाद से अब तक सैकड़ों नकल माफिया गिरफ्तार किए जा चुके हैं. कई पर चार्जशीट दायर हुई है और कई की संपत्तियों पर कार्रवाई हुई है.
कांग्रेस और बीजेपी आमने-सामने: पेपर लीक का मुद्दा उत्तराखंड की राजनीति में भी बड़ा हथियार बन गया है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने कहा कि-
सरकार हर बार युवाओं के साथ धोखा कर रही है. सालों से तैयारी कर रहे युवा हर बार परीक्षा केंद्र पर इस डर के साथ जाते हैं कि कहीं पेपर लीक न हो जाए और उनकी मेहनत बर्बाद न हो जाए. सरकार युवाओं का भविष्य लगातार दांव पर लगा रही है.
-करण माहरा, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष-
वहीं बीजेपी प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने पलटवार किया. उन्होंने कहा कि-
उत्तराखंड सरकार का नकल विरोधी कानून माफियाओं के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रहा है. अब तक सैकड़ों नकल माफिया जेल भेजे जा चुके हैं. हमारी सरकार ने नौकरियों में पारदर्शिता लाने का काम किया है. कांग्रेस के पास मुद्दे खत्म हो चुके हैं, इसलिए वह राजनीति कर रही है.
-मनवीर चौहान, बीजेपी प्रदेश मीडिया प्रभारी-
वैसे आपको बताते चलें कि इस तरह पेपर लीक का मुद्दा अब सिर्फ युवाओं की चिंता नहीं रह गया है, बल्कि आने वाले चुनावों में एक बड़ा सियासी मुद्दा बनने की ओर बढ़ रहा है.
प्रशासन की सफाई और जांच: उत्तराखंड अधीनस्थ चयन सेवा आयोग (UKSSSC) के अध्यक्ष जीएस मार्तोलिया ने कहा कि-
फिलहाल इसे पेपर लीक नहीं कहा जा सकता, लेकिन यह गंभीर मामला है कि आखिरकार एक सेंटर से प्रश्न पत्र बाहर कैसे पहुंचे. इसकी जांच की जा रही है. दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा.
-जीएस मार्तोलिया, अध्यक्ष, यूकेएसएसएससी-
देहरादून एसएसपी देहरादून अजय सिंह का कहना है कि-
हाकम सिंह और उससे जुड़े नेटवर्क की गहन जांच की जा रही है. साथ ही यह भी देखा जा रहा है, कि प्रश्न पत्र बाहर आने में कहीं अंदरूनी मिलीभगत तो नहीं थी. हर एंगल से जांच हो रही है.
-अजय सिंह, एसएसपी, देहरादून-

