नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) और अन्य से एक याचिका पर जवाब मांगा, जिसमें महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में कथित तौर पर संगठित बाघ शिकार और अवैध वन्यजीव व्यापार रैकेट की CBI जांच की मांग की गई है. मामला भारत के मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की बेंच के सामने सुनवाई के लिए आया.
यह याचिका वकील गौरव कुमार बंसल ने दायर की थी. उन्होंने संगठित शिकार गिरोहों द्वारा बाघों की आबादी को होने वाले गंभीर खतरों को उजागर किया, जो राज्य और राष्ट्रीय सीमाओं के पार काम कर रहे हैं.
बंसल ने बेंच के सामने दलील दी कि कम से कम 30 प्रतिशत बाघ संरक्षित बाघ अभयारण्यों के बाहर हैं और उन्होंने बाघों के बड़े पैमाने पर शिकार की खबरों का हवाला दिया. दलीलों को सुनने के बाद, बेंच ने कहा, ‘नोटिस जारी करें…’
याचिका में मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में बाघों के व्यवस्थित शिकार में शामिल एक संगठित अंतरराष्ट्रीय गिरोह की हालिया और निरंतर खुलासों का जिक्र किया गया है. याचिका में जानवरों के शरीर के अंगों की तस्करी का भी उल्लेख है, जो राज्य और अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के पार की जा रही है. बेंच ने केंद्र और अन्य प्राधिकरणों का प्रतिनिधित्व करने वाली अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से याचिका पर निर्देश लेने को कहा.
याचिका में कहा गया है कि अधिसूचित बाघ अभयारण्यों से सटे गैर-संरक्षित प्रादेशिक वन क्षेत्रों में स्पष्ट कमज़ोरियों के कारण कार्रवाई का कारण और भी मज़बूत हो जाता है, जो बार-बार शिकारियों का आसान निशाना बन गए हैं. याचिका में यह भी कहा गया कि संरक्षित बाघ अभयारण्यों से सटे गैर-संरक्षित वन क्षेत्रों की कमजोरियां, जो बार-बार शिकारियों का आसान निशाना बन रही हैं, इस मामले को और मजबूत करती हैं.
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से CBI जांच के लिए निर्देश जारी करने का आग्रह किया और कहा, “जब तक यह कोर्ट हस्तक्षेप नहीं करता और एक व्यापक, स्वतंत्र और समन्वित जांच का निर्देश नहीं देता, तब तक देश की पारिस्थितिक सुरक्षा और राष्ट्रीय पशु की जीवित रहने की संभावना गंभीर रूप से खतरे में रहेगी.”
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