बेंगलुरु: भारत की सबसे पुरानी और भरोसेमंद बचत स्कीम में से एक चिट फंड आज भी लाखों लोगों के लिए आर्थिक सहायता का महत्वपूर्ण जरिया बना हुआ है, जो आसानी से बैंकों तक नहीं पहुंच सकते हैं. मार्गदर्शी चिट फंड प्राइवेट लिमिटेड की प्रबंध निदेशक (MD) चेरुकुरी शैलजा किरण ने शनिवार को बेंगलुरु में आयोजित अखिल भारतीय चिट फंड शिखर सम्मेलन 2025 में ये बातें कहीं. उन्होंने इस पारंपरिक बचत नेटवर्क को संरक्षित करने और आधुनिक बनाने की जरूरत पर प्रकाश डाला.
एमडी शैलजा ने चिट फंड अधिनियम, 1982 में तीन प्रमुख संशोधनों की आवश्यकता पर जोर दिया. पहला, उन्होंने ग्राहकों की व्यक्तिगत रूप से अनिवार्य उपस्थिति के बिना सुरक्षित डिजिटल ड्रॉ की अनुमति देने के महत्व पर जोर दिया, और कहा कि मौजूदा कानून के अनुसार ड्रॉ के दौरान कम से कम दो ग्राहकों का खुद उपस्थित होना जरूरी है. उन्होंने कहा, “आज के डिजिटल युग में यह आवश्यकता अव्यावहारिक है. वेरिफाइड ऑनलाइन पार्टिसिपेशन से संचालन आसान होगा और गैर-जरूरी बोझ कम होगा.”
बेंगलुरु में अखिल भारतीय चिट फंड शिखर सम्मेलन 2025 में मार्गदर्शी की एमडी शैलजा किरण और अन्य बिजनेस लीडर्स (ETV Bharat)
दूसरा, उन्होंने अनक्लेम्ड पुरस्कार राशि से संबंधित नियमों के कारण होने वाली देरी की ओर इशारा किया. वर्तमान में, किसी चिट की सुरक्षा राशि ( security deposit) सभी ग्राहकों के दावों का निपटारा होने के बाद ही जारी की जा सकती है. अगर एक भी ग्राहक अपना पुरस्कार लेने में विफल रहता है, तो इससे पूरी प्रक्रिया बाधित हो सकती है. उन्होंने कंपनियों को दावा रहित (unclaimed) राशि को एक समर्पित खाते में रखने और सुरक्षा राशि समय पर जारी करने के लिए रजिस्ट्रार को प्रमाण पेश करने की अनुमति देने की सिफारिश की.
तीसरा, उन्होंने कंपनी एक्ट के अनुरूप, बैलेंस शीट दाखिल करने की समय-सीमा तीन महीने से बढ़ाकर छह महीने करने की मांग की. उन्होंने कहा, “यह साधारण बदलाव नियमों के पालन संबंधी तनाव को कम करेगा.”
चिट फंड को जीएसटी से छूट की अपील
वर्तमान में, चिट फंड पर 18% जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) लगता है. शैलजा किरण ने सरकार से जीएसटी को घटाकर 5% करने या इस क्षेत्र को पूरी तरह से छूट देने का आग्रह किया, क्योंकि चिट फंड पूरे भारत में वित्तीय समावेशन में अहम भूमिका निभाते हैं. उन्होंने अनरजिस्टर्ड चिट फंड संचालकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की भी मांग की और आगाह किया कि वे जनता के विश्वास को कमजोर करते हैं और ग्राहकों की बचत को जोखिम में डालते हैं. उन्होंने आगे कहा, “हम रियायतों की मांग नहीं कर रहे हैं. हम सिर्फ समान अवसर चाहते हैं ताकि रजिस्टर्ड चिट फंड कंपनियां निष्पक्ष और जिम्मेदारी से काम कर सकें.”
मैसूर सेल्स इंटरनेशनल लिमिटेड के प्रबंध निदेशक, मनोज कुमार (आईएफएस) ने प्रमुख मुद्दों को उजागर करने के लिए शैलजा किरण की सराहना की. उन्होंने चिट फंड की तुलना एक ऐसी व्यवस्था से की जो ग्राहकों को जरूरत के समय एक-दूसरे का साथ देने में मदद करती है.
आईएएस अधिकारी एस.बी. शेट्टेन्नावर ने इस बात पर सहमति जताई कि चिट फंड आम लोगों के लिए विशेष रूप से मददगार हैं और उन्होंने गैर-पंजीकृत कंपनियों को नियमन के दायरे में लाने के लिए बड़े पैमाने पर जन जागरूकता और सुधारों की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने आश्वासन दिया कि चिट फंड अधिनियम में बदलाव के सुझावों से केंद्र सरकार को अवगत कराया जाएगा.
यह भी पढ़ें- ‘विश्व नारुदु रामोजी’ पुस्तक का विमोचन, रामोजी ग्रुप के संस्थापक रामोजी राव के विचारों को किया गया संकलित

