रामनगर: वन कर्मी अपनी जान पर खेलकर वन्य जीवों की देखभाल और शिकारियों से उनकी रक्षा करते हैं. वनों में गश्त करते समय अनेक बार उनका जानलेवा खतरे से भी सामना हो जाता है. ऐसे में तत्परता और जुझारूपन ही जीवन की रक्षा करता है. ऐसी ही घटना कॉर्बेट पार्क से सटे रामनगर वन प्रभाग में हुई है. यहां वन कर्मी नियमित गश्त पर थे. अचानक उनके सामने एक नहीं बल्कि तीन बाघ आ गए. ऐसे में इन वनकर्मियों ने सूझबूझ से न केवल अपनी जान बचाई, बल्कि राष्ट्रीय पशु बाघ के वीडियो भी बना लिए.
वन कर्मियों के सामने आए तीन बाघ: जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क से सटे रामनगर वन प्रभाग के टेढ़ा क्षेत्र में वनकर्मियों की बहादुरी ने एक बड़ी दुर्घटना को टाल दिया. वन और वन्यजीवों की सुरक्षा में दिन-रात तैनात वनकर्मी उस समय संकट में पड़ गए, जब वे नियमित गश्त पर निकले थे. टेढ़ा कुलबन्दा नाले के पास अचानक तीन टाइगर सामने आ गए. इनमें एक वयस्क टाइग्रेस अपने दो शावकों के साथ आक्रामक मूड में दिखी.
वन कर्मियों के सामने आ गए तीन बाघ (Photo Courtesy- Ramnagar Forest Division)
जान बचाने को पेड़ पर चढ़े वनकर्मी: अचानक सामने आए बाघों को देखकर वनकर्मियों की धड़कनें बढ़ गईं. इस खतरनाक स्थिति में चार वनकर्मियों ने बिना देर किए पेड़ पर चढ़कर खुद को सुरक्षित किया. पेड़ पर दुबककर उन्होंने अपनी जान बचाई. इस दौरान उन्होंने तीनों बाघों के वीडियो भी बनाए. बाघ काफी देर तक उस पेड़ के आसपास टहलते रहे, जिस पर वनकर्मी चढ़े हुए थे.
रेंज अधिकारी ने की घटना की पुष्टि: रामनगर वन प्रभाग के रेंज अधिकारी शेखर तिवारी ने बताया कि-
हमारे वनकर्मी रोजाना की तरह अपनी जिम्मेदारी और सतर्कता के साथ वनों और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए गश्त पर निकले थे. अचानक टाइग्रेस अपने दो शावकों के साथ उनके सामने आ गई. वनकर्मियों ने तात्कालिक निर्णय लेते हुए पेड़ पर चढ़ना ही उचित समझा. जब तक बाघिन और उससे शावक वहां पर रहे, वनकर्मियों ने धैर्य से पेड़ पर बिना आवाज किए उनकी गतिविधि पर बारीक नजर रखी. बाघों के वहां से जाने के बाद वनकर्मी पेड़ से सुरक्षित उतरकर आए और उन्होंने पूरी कहानी सुनाई और वीडियो दिखाए.
-शेखर तिवारी, रेंज अधिकारी, रामनगर वन प्रभाग-
बाघिन और उसके शावकों की मूवमेंट पर नजर: रेंज अधिकारी ने कहा कि हमारे वनकर्मी टाइगर और उसके शावकों की मूवमेंट पर लगातार नजर बनाए हुए हैं. इसके चलते ही क्षेत्र में गश्त बढ़ा दी गई है. यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि किसी भी अनहोनी की पुनरावृत्ति न हो. हाल ही में वन विभाग द्वारा किए गए सर्वेक्षण में यह भी माना जा रहा है कि रामनगर वनप्रभाग में टाइगर्स की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. यह वृद्धि वन परिदृश्य पुनर्स्थापन और संरक्षण कार्यों का सकारात्मक परिणाम है.

बाघों से बचने के लिए पेड़ पर चढ़ा गए वन कर्मी (Photo Courtesy- Ramnagar Forest Division)
वन्य जीव विशेषज्ञ ने ये कहा: वन्य जीव विशेषज्ञ संजय छिम्वाल का मानना है कि-
यह वृद्धि जैव विविधता के स्वस्थ होने का संकेत है. साथ ही यह संकेत भी देता है कि वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयास सफल साबित हो रहे हैं. हालांकि इस वृद्धि के साथ मानव-वन्यजीव संघर्ष की आशंका भी बढ़ गई है. इसलिए वन विभाग द्वारा लगातार क्षेत्र में निगरानी सख्त की जा रही है.
-संजय छिम्वाल, वन्य जीव विशेषज्ञ-
पहले भी कई बार हुआ है आमना-सामना: वनकर्मियों के लिए वन्यजीवों के साथ मुठभेड़ कोई नई चुनौती नहीं है. अक्सर उन्हें खतरनाक परिस्थितियों में अपनी सूझबूझ और साहस के बल पर खुद को सुरक्षित करना पड़ता है. रामनगर वन प्रभाग में पिछले कुछ वर्षों में टाइगर्स के हमले की घटनाएं भी सामने आई हैं. इस कारण वन विभाग द्वारा गश्त बढ़ाने के साथ-साथ विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं.
जंगल में चल रहा विशेष गश्त अभियान: रेंज अधिकारी शेखर तिवारी ने बताया कि वर्तमान में टेढ़ा क्षेत्र में विशेष गश्त अभियान चलाया जा रहा है. विशेष तौर पर टाइगर्स की मूवमेंट पर नजर रखने के लिए वनकर्मी गांव के करीब क्षेत्रों में भी अतिरिक्त गश्त पर तैनात किए गए हैं. ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बाघ गांव की तरफ न बढ़ें और स्थानीय लोगों को खतरा न हो.
वन कर्मियों की बहादुरी को सराहा: स्थानीय पर्यावरण प्रेमी नमित अग्रवाल ने वन विभाग द्वारा की जा रही कार्रवाई की खुले दिल से सराहना की है. उनका कहना है कि वन्यजीव संरक्षण के साथ-साथ उनकी अपनी सुरक्षा को भी ध्यान में रखना आवश्यक है. रामनगर वनप्रभाग में यह घटना वन्यजीव संरक्षण और मानव सुरक्षा के बीच संतुलन बनाए रखने की चुनौती को उजागर करती है. वनकर्मियों की बहादुरी समय पर लिया गया सही निर्णय और सतर्कता ने एक बड़ी अनहोनी को टाल दिया. वन विभाग की ओर से लगातार ऐसे प्रयास किए जा रहे हैं ताकि वन्यजीवों के साथ-साथ मानव समुदाय सुरक्षित रह सके.
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