किरनकांत शर्मा, देहरादून: उत्तराखंड में इस बार मानसून ने ऐसा कहर बरपाया है कि जिसे भरने में लंबा वक्त लगेगा. इसके साथ बारिश की बौछार ने तमाम भक्तों और पर्यटकों के कदम थाम दिए हैं. आलम ये है कि भक्त अपने भगवान के दर्शनों के लिए तरस गए हैं. इसके अलावा खूबसूरत पर्यटक स्थलों पर भी वीरानी छायी हुई है.
उत्तराखंड समेत हिमालय में मौजूद तमाम धार्मिक स्थलों पर बारिश का ऐसा कहर बरपा है कि न केवल वहां तक पहुंचने वाली सड़कें पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है. बल्कि, कई लोगों की जान भी तमाम धार्मिक स्थलों पर बाढ़, बारिश और भूस्खलन ने ली है. उत्तराखंड के चारधाम पड़ाव पर इस पूरे मानसून सीजन में कई बार बारिश का तांडव देखने को मिला. इसके अलावा पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश हो या जम्मू कश्मीर के सभी धार्मिक स्थल इस समय सुने पड़े हुए हैं.
चारधाम की यात्रा पूरी तरह से प्रभावित: हर साल मानसून के दौरान अमूमन ऐसा होता है कि कुछ दिनों के लिए चारधाम यात्रा में यात्रियों की कमी आती है, लेकिन इस बारिश की बौछार से चारधाम यात्रा बुरी तरह से प्रभावित हुई. हालांकि, मानसून के शुरुआत में श्रद्धालु हल्की-फुल्की बारिश में यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ धाम में पहुंच ही रहे थे, लेकिन जैसे ही उत्तरकाशी से आसमानी आफत बरसने का सिलसिला शुरू हुआ, वैसे ही सरकार हरकत में आई और चारधाम यात्रा को नियमित अंतराल पर रोकते गई.
5 अगस्त को धराली का नजारा (फाइल फोटो- Local Resident)
भक्तों को यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ धाम धाम जाने से इसलिए रोक दिया गया. ताकि, फिर से किसी तरह की कोई दुर्घटना उनके साथ न हो. क्योंकि, जिस तरह से गंगोत्री धाम के अहम पड़ाव धराली में सैलाब ने तबाही मचाई. उस तरह के हालात अन्य जगहों पर देखने को मिले. हिमालय राज्यों में उत्तराखंड से ही मानसून की बारिश ने कहर बरपाना शुरू कर दिया था. जो बाद में जम्मू कश्मीर से लेकर हिमाचल प्रदेश में देखने को मिले. इसके अलावा पंजाब से लेकर अन्य मैदानी राज्यों में बारिश का खास असर देखने को मिल रहा है.

थराली में भूस्खलन (फाइल फोटो- Local Resident)
ये धार्मिक स्थल हुए सबसे पहले प्रभावित: उत्तरकाशी में कई बार सड़क बहने तो कभी हादसों की वजह से यात्रा को कुछ समय के लिए रोकना पड़ा, लेकिन यमुनोत्री धाम के पैदल मार्ग पर अचानक से बोल्डर और पत्थर आ जाने की वजह से 3 लोगों की जान चली गई. इसके बाद से तो यमुनोत्री और गंगोत्री धाम की यात्रा मानो श्रद्धालुओं के लिए बंद ही हो गए. यह स्थिति अभी भी कमोवेश वैसा ही है. यानी अभी भी श्रद्धालु यमुनोत्री और गंगोत्री धाम नहीं पहुंच पा रहे हैं.
इसके साथ ही केदारनाथ पैदल मार्ग पर जब से पत्थर गिरने की वजह से अलग-अलग दुर्घटनाओं में 3 लोगों की मौत हुई है, तब से ही सरकार को यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए केदारनाथ यात्रा को भी कई बार बंद करना पड़ा. बदरीनाथ धाम जाने वाली सड़क भी बार-बार बंद हो रही है. इस वक्त भी चारों धामों की यात्रा रोकी गई है. जो आगामी 5 सितंबर तक बंद रहेगी. आगे का फैसला मौसम के मिजाज पर निर्भर रहेगा.

यात्रियों को सुरक्षित रास्ता पार कराते एसडीआरफ के जवान (फाइल फोटो- SDRF)
उत्तराखंड के उत्तरकाशी स्थित धराली में जल सैलाब की वजह से न केवल पूरा कस्बा तबाह हो गया, बल्कि, वहां पर मौजूद कल्प केदार मंदिर भी जमींदोज हो गया. जिस वक्त सैलाब आया, उस वक्त भगवान सोमेश्वर के लिए लगने वाला मेला आयोजित हो रहा था. सावन के मौके पर आयोजित होने वाले इस मेले में कई लोग शामिल होने के लिए पहुंचे थे, लेकिन इस आपदा के बाद से ही इस धार्मिक स्थल के साथ पूरे धराली कस्बे का नक्शा ही बदल गया.
यात्रा को करना पड़ा बंद: उत्तराखंड आपदा सचिव विनोद कुमार सुमन का कहना है कि इस बार उत्तराखंड समेत पूरे हिमालय क्षेत्र में काफी बारिश हुई है. बीते सालों में मानसून के दौरान हल्की-फुल्की यात्रा चलती थी, लेकिन इस बार सड़क बह जाने और उत्तरकाशी में बड़ा हादसा हो जाने की वजह से भी यात्री कम आ रहे हैं. कई बार ऐसी दुर्घटनाएं उन क्षेत्रों में भी हुई है, जहां पर अपील करने के बाद भी लोग सड़क पर सफर कर रहे हैं.

केदारनाथ रूट पर नाला पार करते यात्री (फाइल फोटो- SDRF)
प्रशासन लगातार लोगों से ये अपील कर रहा था कि मानसून के दौरान किसी तरह की यात्रा न करें, लेकिन जब इस तरह की आपदा कहीं पर आती है तो स्वाभाविक है कि लोग आने से कतराते भी हैं. सरकार भी यही चाहती है कि किसी भी सूरत में किसी भी व्यक्ति को कोई खतरा न हो. ऐसे में मानसून खत्म होने के तुरंत बाद चारधाम यात्रा को सुचारू रूप से संचालित किया जाएगा.
अब तक यात्रा में गई इतने लोगों की जान: बता दें कि उत्तराखंड के चारधाम यात्रा समेत अन्य धार्मिक स्थलों पर लगातार बारिश का तांडव जारी है. आपदा प्रबंधन विभाग की मानें तो अब तक उत्तराखंड की चारधाम यात्रा में 182 लोगों की मौत हो चुकी है. जिसमें बदरीनाथ में 46 लोग, हेमकुंड साहिब में 1, केदारनाथ में 86, गंगोत्री में 22 और यमुनोत्री धाम में 27 लोग मारे जा चुके हैं. इन आंकड़ों में वो लोग भी शामिल हैं, जो हेलीकॉप्टर हादसे में मारे गए है.
पहले पड़ाव की यात्रा में 182 लोगों की जान जाना काफी गंभीर बात है. उत्तराखंड के अलावा अन्य पहाड़ी प्रदेशों में भी इस बार मानसून खूब नुकसान कर रहा है. पड़ोसी राज्य हिमालय प्रदेश में तो उत्तराखंड के बाद लगातार ही नुकसान की तस्वीर सामने आ रही हैं. इतना ही नहीं कई धार्मिक स्थलों को भी इस बारिश ने अपना निशाना बनाया है. इसमें वो लोग शामिल नहीं है, जो धराली या अन्य आपदा का शिकार हुए हैं. अगर उनकी संख्या जोड़ी जाए तो ये आंकड़ा दोगुना हो जाएगा.
हिमाचल और जम्मू समेत कई राज्य की धार्मिक स्थल पर पड़ा असर: इस बारिश ने सबसे पहले उत्तराखंड के अलावा अमरनाथ यात्रा को बंद किया. अत्यधिक बारिश और भूस्खलन की चेतावनी की वजह से सरकार ने अमरनाथ यात्रा पर यात्रियों के जाने पर रोक लगा दी थी. इसके बाद हिमाचल प्रदेश के श्रीखंड महादेव मंदिर की यात्रा को भी रोकना पड़ा. हिमाचल के ही किन्नर कैलाश यात्रा पर भी इस बारिश का असर पड़ा. साथ ही मणिमहेश यात्रा पर भी बारिश ने अपना असर डाला है.

जम्मू कश्मीर के चशोटी में बारिश से नुकसान (फाइल फोटो- ANI)
इतना ही नहीं बीते दिनों वैष्णो देवी में भी अचानक भूस्खलन हो जाने की वजह से कई लोगों की जान जा चुकी है. यात्रा को 8 दिन से बंद किया हुआ है. वैष्णो देवी की यात्रा से पहले जम्मू कश्मीर में भी एक धार्मिक यात्रा पर गए श्रद्धालुओं के ऊपर आफत का ऐसा बदल टूटा कि उस हादसे में भी कई लोग अपनी जान गंवा बैठे. यानी पहाड़ों पर न केवल भक्त असुरक्षित हैं. बल्कि, भगवान के धाम यानी मंदिरों पर भी बारिश का असर देखा गया है.
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