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उत्तर भारतीय राज्यों में उत्तराखंड में हुई सबसे ज्यादा बारिश, देखें मौसम विभाग के आंकड़े


देहरादून, नवीन उनियाल: उत्तराखंड में इन दिनों भारी बारिश से कोहराम मचा हुआ है. एक दो नहीं बल्कि कई जिलों में झीलें बनने या बड़े भूस्खलन की घटनाएं भी सामने आ चुकी हैं. ऐसे में यदि राष्ट्रीय स्तर पर बारिश के रिकॉर्ड का आकलन करें, तो पता चलता है कि मानसून सीजन के दौरान उत्तर भारत में उत्तराखंड सबसे ज्यादा बारिश से प्रभावित हुआ है. हैरानी की बात यह है कि प्रदेश के पड़ोसी राज्य बारिश को लेकर आंकड़ों के लिहाज से कहीं आसपास भी नहीं दिखाई दे रहे हैं. पेश है ये खास रिपोर्ट.

ज्यादा बारिश बनी मुसीबत: उत्तराखंड के पहाड़ों पर मलबा, पानी के साथ जानलेवा आफत बन रहा है. धराली और थराली समेत कई क्षेत्रों में तो इसने इंसानी बस्तियों को ही तबाह कर दिया है. राज्य में ऐसे हालातों के पीछे क्या वजह है, इसे करीब से जानने के लिए मौसम विभाग के उन आंकड़ों का आकलन करना बेहद जरूरी है, जो राष्ट्रीय स्तर पर बारिश की स्थिति को बयां करते हैं. मानसून सीजन के दौरान राज्यों में हो रही बारिश की असल स्थिति जानने के साथ ऐसी घटनाओं के होने की वजह को भी इन्हीं आंकड़ों के जरिए समझना आसान है. उत्तराखंड को लेकर मौसम विभाग के आंकड़े इस मानसून के सीजन में किस ओर इशारा कर रहे हैं यह जानिए.

उत्तराखंड में बारिश ने किया बेहाल (Video- ETV Bharat)

उत्तराखंड में 3 महीने में 1000 एमएम से ज्यादा बारिश हुई: उत्तराखंड में 1 जून से अब तक कुल 1077.6 मिलीमीटर बारिश हुई है. जबकि सामान्य रूप से राज्य में इस दौरान 944.8 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए थी. यानी इस मानसून सीजन में अब तक 14% ज्यादा बारिश हो चुकी है. लेकिन इसी बात को हम यदि महीने में हुई बारिश के लिहाज से देखें तो सामान्य रूप से अब तक 350.02 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए थी. जबकि अगस्त महीने में अब तक 487 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है. यानी कि सामान्य से 39% ज्यादा बारिश इस महीने हुई है. खास बात यह है कि मानसून सीजन शुरू होने के बाद सबसे ज्यादा प्राकृतिक आपदा की घटनाएं इसी महीने हुई हैं.

उत्तराखंड में उत्तर भारत के राज्यों में सबसे ज्यादा बारिश हुई है (ETV Bharat Graphics)

उत्तर भारत में सबसे ज्यादा बारिश उत्तराखंड में हुई: हालांकि उत्तराखंड में पूरे मानसून सीजन 14 प्रतिशत ज्यादा बारिश या अगस्त महीने में 39% तक ज्यादा बारिश समस्या नहीं है. बल्कि परेशानी कम समय में हुई बेहद ज्यादा बारिश है. यानी राज्य में कुछ ही घंटे के दौरान 50 मिलीमीटर या इससे ज्यादा की बारिश भी रिकॉर्ड हो रही है. मौसम विभाग की भाषा में भले ही इसे बादल फटना नहीं कहते, लेकिन उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति के लिहाज से यह बारिश बुहुत ज्यादा मानी जा सकती है. वैसे मौसम विभाग 100 मिलीमीटर बारिश 1 घंटे में होने पर ही बादल फटना मानता है.

लैंडस्लाइड में इस कारण हो रही ज्यादा जनहानि: उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति बाकी राज्यों से कुछ अलग है. हिमालयी राज्य होने के नाते यहां अधिकतर जिले पर्वतीय क्षेत्र वाले हैं. खास बात यह है कि कमजोर पहाड़ और लैंडस्लाइड जोन की अधिकता के अलावा यहां विभिन्न जल धाराओं या पूर्व में ग्लेशियर्स के मलबे पर ही आबादी बसी हुई है. ऐसी स्थिति में तेज बारिश पहले से ही इकट्ठा मलबे को बहा कर ढलान के साथ आबादी क्षेत्र को अपने आगोश में ले लेती है और ये जनहानि की वजह बन जाती है.

METEOROLOGICAL DEPARTMENT RAIN DATA

जियोलॉजिस्ट ने बताया क्यों हो रही ज्यादा बारिश (ETV Bharat Graphics)

क्या कहते हैं जियोलॉजिस्ट: जियोलॉजिस्ट प्रोफेसर डीके शाही कहते हैं कि-

उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति इस तरह है कि यहां बादलों के साथ पहुंचने वाली नमी पहाड़ों के बीच वैली में भारी बारिश की वजह बन जाती है. इसके कारण कम समय में हुई ज्यादा बारिश बड़ी मुसीबत बनती है.
-प्रोफेसर डीके शाही-जियोलॉजिस्ट-

उत्तराखंड की टोपोग्राफी ज्यादा बारिश के लिए जिम्मेदार: बात केवल मौजूदा मानसून सीजन में तेज बारिश की ही नहीं है. उत्तराखंड की स्थलाकृति (Topography) इस तरह है कि यहां बारिश की अधिकता बनी रहती है. इस बात को भी मौसम विभाग के ही आंकड़ों से समझा जा सकता है. इस मानसून सीजन यदि हम उत्तराखंड की तुलना बाकी उत्तर भारत के राज्यों से करें, तो यह आंकड़े और भी चौंकाने वाले दिखाई देते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि उत्तराखंड, उत्तर भारत में सबसे ज्यादा बारिश वाला राज्य रिकॉर्ड किया गया है. हालांकि उत्तराखंड के लिए यह कोई नई बात नहीं है.

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1 जून से अब तक की बारिश के आंकड़े (ETV Bharat Graphics)

विभिन्न राज्यों का बारिश का आंकड़ा: मौसम विज्ञान केंद्र के आंकड़ों के अनुसार उत्तराखंड में 1 जून से अब तक के आंकड़ों के अनुसार 1077.6 मिलीमीटर बारिश हुई है. जबकि पड़ोसी राज्य हिमाचल में 775.01 मिमी बारिश ही रिकॉर्ड की गई है. जम्मू कश्मीर में केवल 507 मिमी बारिश हुई है. लद्दाख में मात्र 74.1 मिमी बारिश हुई है. हरियाणा में बारिश का आंकड़ा मानसून सीजन के दौरान 419.9 मिलीमीटर रहा है. पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में भी मात्र 563.8 मिलीमीटर बारिश हुई है. मध्य प्रदेश में 912 मिमी तो राजस्थान में 560 मिलीमीटर बारिश ही हुई है. उधर पंजाब में भी 436 मिमी बारिश रिकार्ड की गई है. यहां तक कि बिहार में भी 544.7 मिमी बारिश हुई है.

देश के सबसे ज्यादा बारिश वाले राज्यों में है उत्तराखंड: यह सभी आंकड़े बताते हैं कि बारिश के मामले में उत्तर भारत का कोई भी राज्य उत्तराखंड के आसपास भी नहीं ठहरता है. यह बात अलग है कि नॉर्थ ईस्ट के कुछ राज्यों में उत्तराखंड से ज्यादा बारिश हुई है. इसी तरह समुद्र से लगे केरल जैसे दक्षिण भारत के राज्य भी उत्तराखंड के मुकाबले ज्यादा बारिश वाले हैं. लेकिन इन सबके बावजूद देश में उत्तराखंड सबसे ज्यादा बारिश वाले राज्यों में ही शुमार है.

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उत्तराखंड मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक ने ज्यादा बारिश का कारण बताया (ETV Bharat Graphics)

क्या कहते हैं मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक: खास बात यह भी है कि मौसम विभाग ने उत्तराखंड में 944.8 मिलीमीटर बारिश को सामान्य माना है. यानी उत्तराखंड में बाकी राज्यों के मुकाबले तय की गई सामान्य बारिश भी काफी ज्यादा तय की गई है. उत्तराखंड मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक कहते हैं कि-

इसके पीछे की वजह यह है कि उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति ही ज्यादा बारिश वाली है. बारिश के लिए अहम वेस्टर्न डिस्टरबेंस उत्तराखंड में बहुत ज्यादा प्रभावी रहता है. राज्य की भौगोलिक स्थिति और यहां की पर्वतीय श्रृंखला अधिक बारिश की वजह बनती है. इतना ही नहीं स्थानीय कारक भी इसके पीछे वजह रहते हैं. प्रदेश में बहुत ज्यादा वन क्षेत्र भी बारिश की स्थितियों को अनुकूल बनाते हैं.
-सीएस तोमर, निदेशक, उत्तराखंड मौसम विज्ञान केंद्र-

तीन राज्यों के सामान्य बारिश के मानक: उत्तराखंड के लिए बारिश को लेकर मौसम विभाग द्वारा तय किए गए मानक को देखें तो राज्य में 944.8 मिलीमीटर को सामान्य बारिश माना गया है, जबकि हिमाचल के लिए यही आंकड़ा 591.8 मिलीमीटर रखा गया है. उधर जम्मू कश्मीर के लिए तो और भी कम बारिश सामान्य रिकॉर्ड में मानी गई है. जम्मू कश्मीर में 434.02 मिली मीटर बारिश की सामान्य रिकॉर्ड में गणना की गई है.

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सामान्य बारिश के ये मानक हैं (ETV Bharat Graphics)

अनियोजित विकास पर भारी पड़ रही बारिश: मौसम वैज्ञानिक भी मानते हैं कि उत्तर भारत में उत्तराखंड सबसे ज्यादा बारिश वाला राज्य है. लेकिन फिलहाल परेशानी कम समय में ज्यादा बारिश बन रही है. इसके अलावा इससे भी बड़ी परेशानी इस बात की है, कि राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में हुआ अनियोजित विकास भी प्रतिकूल हालातों में परेशानी का कारण बन रहा है. शायद यही कारण है कि राज्य में धराली, थराली जैसी घटनाएं ज्यादा नुकसान पहुंचा रही हैं.
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