नई दिल्ली : आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने आत्मनिर्भरता की वकालत करते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार स्वेच्छा से होना चाहिए, दबाव में नहीं.
भागवत ने उक्त बातें बुधवार को आरएसएस के शताब्दी वर्ष के अवसर पर यहां एक व्याख्यान श्रृंखला को संबोधित करते हुए कहीं. उन्होंने कहा, “आत्मनिर्भरता सभी समस्याओं का समाधान है और उन्होंने स्वदेशी उत्पादों को प्राथमिकता देने की जरूरत पर जोर दिया.”
आरएसएस चीफ ने कहा, ‘‘आत्मनिर्भर होने का मतलब आयात बंद करना नहीं है. उन्होंने कहा कि दुनिया आगे बढ़ती है, क्योंकि यह एक-दूसरे पर निर्भर है. इस वजह से आयात-निर्यात जारी रहेगा. हालांकि, इसमें कोई दबाव नहीं होना चाहिए.’’
आगे उन्होंने कहा कि स्वदेशी का यह मतलब नहीं है कि उन वस्तुओं का आयात न किया जाए, जो देश में पहले से ही मौजूद हैं या जिनका विनिर्माण सुगमता से किया जा सकता है.
भागवत ने कहा, ‘‘बाहर (विदेशों) से वस्तुएं आयात करने की वजह से स्थानीय विक्रेताओं को नुकसान होता है.’’
गौरतलब है कि भागवत की यह टिप्पणी ऐसे समय पर आई है, जब रूसी तेल की खरीद को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा के द्वारा भारत पर लगाया गया 25 प्रतिशत का अतिरिक्त टैरिफ (शुल्क) लागू हो गया है.
संघ प्रमुख ने कहा, ‘‘जो कुछ भी भारत में बनता है, उसे बाहर से आयात करने की कोई आवश्यकता नहीं है. बल्कि जो कुछ भी जीवन के लिए आवश्यक है और देश में नहीं बनता, उसको हम बाहर से आयात करेंगे.’’
उन्होंने कहा, ‘‘देश की नीति को स्वेच्छा से बनाया जानी चाहिए, इसे किसी के दबाव में नहीं आना चाहिए. यही स्वदेशी है.’’
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