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गणेश चतुर्थी 2025: इको फ्रेंडली मूर्तियों की डिमांड, घर ले जाएं गोबर से बनी हैं गणपति की प्रतिमाएं


देहरादून (रोहित कुमार सोनी): उत्तराखंड में गणेश चतुर्थी को लेकर भगवान गणेश की मूर्तियों का बाजार सज चुका है. लोग गणेश महोत्सव के लिए गणेश जी की मूर्तियां की खरीदारी कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की जनता से आवाह्न किया है कि स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा दिया जाए साथ ही इको फ्रेंडली उत्पादों का अधिक से अधिक इस्तेमाल करें. जिसका असर देश भर में देखने को मिल रहा है. इसी क्रम में राजधानी देहरादून में स्वयं सहायता समूह स्वदेश कुटुंब की ओर से भगवान गणेश की इको फ्रेंडली मूर्तियां तैयार की गई है. इन मूर्तियों की खास बात यह है कि यह सभी मूर्तियां गाय के गोबर से तैयार की गई है.

सनातन धर्म में गाय के गोबर का एक विशेष महत्व है, क्योंकि गाय के गोबर को शुद्ध और पवित्र माना गया है. यही वजह है कि पूजा पाठ में गाय के गोबर का भी इस्तेमाल किया जाता है. इसी भावना को देखते हुए ‘स्वदेश कुटुंब’ नाम की स्वयं सहायता समूह की ओर से पिछले कुछ सालों से गोबर से भगवान गणेश की मूर्तियां तैयार की जा रही है. खास बात यह है कि साल दर साल गोबर से बने गणेश जी की मूर्तियों की डिमांड भी बढ़ती जा रही है. यही वजह है कि ये सहायता समूह हर साल बड़ी संख्या में न सिर्फ गोबर से गणेश जी की मूर्तियां तैयार करता है, बल्कि लोगों के डिमांड के आधार पर गोबर से बने अन्य प्रोडक्ट्स को भी तैयार करता है.

स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए इको फ्रेंडली उत्पादों से तैयार की गई मूर्तियां (PHOTO-ETV Bharat)

डिमांड पर तैयार की गई मूर्तियां: वहीं, स्वदेश कुटुंब स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष तृप्ति थापा ने बताया कि भगवान गणेश की मूर्तियों की डिमांड काफी अधिक देखी जा रही है, क्योंकि इस साल गोबर से बनी भगवान गणेश की मूर्तियों के लिए काफी पहले से ही लोगों ने बुकिंग कराई है. ऐसे में वो देशी गाय के गोबर में थोड़ी सी मिट्टी मिलाकर गणेश जी की मूर्तियों को बनाती हैं. इसके बाद लोगों के बताए गए कलर के अनुसार मूर्तियों में डिजाइन बनाया जाता है. साथ ही बताया कि, कुछ लोगों को मूर्तियां काफी सिंपल पसंद आती हैं तो कुछ लोगों को रंग बिरंगी गणेश जी की मूर्तियां पसंद आती हैं. ऐसे में डिमांड के आधार पर मूर्तियों को सजाया जाता है.

Ganesh Chaturthi 2025

इको फ्रेंडली मूर्तियों की खासी डिमांड (PHOTO-ETV Bharat)

21 इंच की सबसे बड़ी मूर्ति: बताया कि पिछले साल के मुकाबले इस साल गोबर से बनी गणेश जी की मूर्तियों की डिमांड काफी अधिक देखी जा रही है. क्योंकि इस साल गोबर से बने गणेश जी की मूर्तियां की बुकिंग काफी समय पहले से ही उनके पास आ गई थी. ऐसे में बुकिंग के आधार पर उन्होंने मूर्तियां तैयार की है. साथ ही जिन्होंने बुकिंग नहीं कराई है उन लोगों के लिए भी उनके पास मूर्तियां उपलब्ध हैं. इस साल सबसे बड़ी मूर्ति उन्होंने 21 इंच की तैयार की है. क्योंकि इसके लिए स्पेशल ऑर्डर उन्हें दिया गया था. इसके अलावा अधिकांश मूर्तियां ढाई इंच से लेकर के 18 इंच तक की तैयार की है, जिसकी काफी अधिक डिमांड है, और लोग बढ़ चढ़कर खरीद रहे हैं.

Ganesh Chaturthi 2025

सबसे बड़ी मूर्ति 21 इंच की तैयारी की गई. (PHOTO-ETV Bharat)

अगले साल के लिए मिला ऑर्डर: साथ ही बताया कि इस साल सबसे बड़ी मूर्ति 21 इंच की उन्होंने तैयार की है. लेकिन 1 साल पहले ही साल 2026 में गणेश चतुर्थी के लिए 24 इंच की मूर्ति की डिमांड उनके पास आ चुकी है. समूह से जुड़ी हुई कुछ महिलाओं के पास गाय हैं. इसलिए गाय का गोबर उन्हें आसानी से उपलब्ध हो जाता है. ऐसे में गोबर से गणेश जी की मूर्तियों को तैयार करने के दौरान शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है. मूर्तियों को तैयार करने में देशी गाय के गोबर के अलावा गंगाजल, चिकनी मिट्टी का भी इस्तेमाल किया जाता है. इस मूर्तियों की खास बात ये है कि यह इको फ्रेंडली मूर्तियां हैं. इससे पर्यावरण को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचता है.

Ganesh Chaturthi 2025

स्वदेश कुटुंब स्वयं सहायता समूह तैयार कर रहा मूर्तियां (PHOTO-ETV Bharat)

कामधेनु गाय की भी बनाई मूर्ति: देसी गाय के गोबर से मूर्तियां बनाने की प्रक्रिया गर्मियों में ही शुरू हो जाती है, क्योंकि मई- जून महीने में तेज धूप होती है, उस दौरान ही मूर्तियां बनाकर उन्हें सुखा दी जाती है. इसके बाद फिर मूर्तियों पर डिजाइन बनाया जाता है. समूह की अध्यक्ष ने कहा कि इस बार उन्होंने गाय के गोबर से कामधेनु गाय की भी मूर्ति तैयार की है, जो लोगों को काफी पसंद आ रही है. क्योंकि पहली बार गाय के गोबर से ही कामधेनु गाय की मूर्ति तैयार की गई है. ऐसे में लोग गोबर से बने कामधेनु गाय की डिमांड कर रहे हैं और बड़े साइज की मूर्ति बनाने की बुकिंग करवा रहे हैं.

Ganesh Chaturthi 2025

विसर्जन के दौरान पानी में आसानी से घुल जाएगी गोबर से बनी मूर्तियां (PHOTO-ETV Bharat)

वहीं, ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए समूह के प्रशिक्षक पवन थापा ने कहा कि गोबर से गणेश जी की मूर्तियां बनाने का मुख्य उद्देश्य उनका यही है कि खासकर मुंबई में जब गणेश जी की मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है तो वो पानी में घुलती नहीं हैं, बल्कि पानी में ऐसे ही पड़ी रहती है. जिस वजह से उन्होंने गोबर से गणेश जी की मूर्ति बनाने का निर्णय लिया, क्योंकि गोबर से बनी मूर्ति को विसर्जन करने के बाद अगले दिन ही वह पानी में पूरी तरह से घुल जाता है, और गोबर पर्यावरण के लिए नुकसानदायक भी नहीं है. साथ ही बताया कि इस साल उन्होंने सबसे बड़ी मूर्ति 21 इंच की बनाई है और अगले साल के लिए अभी से ही 24 इंच की मूर्ति बनाने की डिमांड आ गई है.

Ganesh Chaturthi 2025

गाय के गोबर से तैयार की गईं भगवान गणेश की मूर्तियां (PHOTO-ETV Bharat)

काशीपुर में गणेश महोत्सव की धूम: देशभर में 27 अगस्त से गणेश चतुर्थी का उत्सव शुरू होने जा रहा है. घर-घर गणपति बप्पा मेहमान बनकर अगले 11 दिनों तक विराजमान होंगे. गणेश उत्सव को लेकर जगह-जगह तैयारियां शुरू हो गई हैं. सार्वजनिक स्थानों पर भगवान गणेश के गणेश महोत्सव के लिए पंडाल आदि सजना शुरू हो गए हैं. वहीं दूसरी तरफ घरों में भगवान गणेश की मूर्तियों को विधि विधान के साथ स्थापित किया जाएगा. उधम सिंह नगर के काशीपुर में भी श्रद्धालुओं ने गणेश उत्सव की तैयारियां शुरू कर दी हैं. जिले के विभिन्न स्थानों के साथ काशीपुर में भी बाजार भगवान गणेश की प्रतिमाओं से सजा गए हैं तो दूसरी तरफ मूर्तिकार हर वर्ष की तरह भगवान गणेश की मूर्तियों को अंतिम रूप देने में जी-जान से जुटे हुए हैं.

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