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चमोली में जान हथेली पर रखकर नदी-नाले पार कर रहे ग्रामीण, जिम्मेदार नहीं ले रहे सुध


चमोली: बरसात के दिनों में पहाड़ की लाइफ लाइन पटरी से उतर जाती है. मोटर और संपर्क मार्ग बंद होने से लोगों को रोजमर्रा की वस्तुओं के लिए मीलों की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती है. यहां तक की लोग जान जोखिम में डालकर उफनते नदी-नालों को पार करते दिखाई देते हैं. चमोली जिले के डुमक गांव में भी हालात कमोवेश ऐसे ही बने हुए हैं. यहां भारी बारिश से लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है.

मानसूनी बारिश के चलते ज्योतिर्मठ प्रखंड के सबसे दूरस्थ गांवों में से एक डुमक गांव के सभी पैदल संपर्क मार्ग ध्वस्त हो गए हैं. ऐसे में ग्रामीणों और स्कूली बच्चों को जान जोखिम में डालकर उफनते नदी-नालों को पार करना पड़ रहा है. उर्गम घाटी के देवग्राम निवासी रघुवीर सिंह नेगी बताते हैं कि वो भी अपने परिजन से मिलने को डुमक गांव पहुंचे थे. बीते दिन खस्ताहाल पैदल मार्ग और उफनते घट गदेरा नाले को पार कर डुमक गांव से किसी तरह वापस अपने घर देव ग्राम लौटे हैं. उन्होंने बताया कि डुमक के लिए आने जाने तक के पैदल रास्ते नहीं बचे हैं. वहीं बीते दिनों ज्योतिर्मठ मुख्य बाजार से अपने घर डुमक लौटते समय रणजीत सनवाल (42 वर्षीय) की हाल ही में मार्ग पर पैर फिसलने से मौत हो गयी थी. लेकिन इसके बाद भी पैदल संपर्क मार्ग को दुरुस्त नहीं किया है और लोग इसी मार्ग से रोजाना आवाजाही कर रहे हैं.

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