मॉस्को: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बृहस्पतिवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की और समझा जाता है कि उन्होंने भारत-रूस संबंधों को और विस्तारित करने के तरीकों पर चर्चा की.
यह बैठक जयशंकर द्वारा रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ व्यापक वार्ता के कुछ घंटों बाद हुई, जिसमें दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों को बढ़ाने पर मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित किया गया. जयशंकर ने लावरोव के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता में कहा, “हमारा मानना है कि भारत और रूस के बीच संबंध द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया के सबसे प्रमुख संबंधों में से एक रहे हैं.”
Honored to call on President Putin at the Kremlin today. Conveyed the warm greetings of President Droupadi Murmu & Prime Minister @narendramodi.
Apprised him of my discussions with First DPM Denis Manturov & FM Sergey Lavrov. The preparations for the Annual Leaders Summit are… pic.twitter.com/jJuqynYrlX
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) August 21, 2025
भारत-रूस की दोस्ती हमेशा से कायम है
विदेश मंत्री मंगलवार को मास्को पहुंचे, ताकि नवंबर या दिसंबर में राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा के विभिन्न पहलुओं को अंतिम रूप दिया जा सके. जयशंकर रूस की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं. इस दौरान उन्होंने व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग पर भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग (आईआरआईजीसी-टीईसी) के 26वें सत्र की सह-अध्यक्षता की और मॉस्को में भारत-रूस व्यापार मंच की बैठक को संबोधित किया.
विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से जयशंकर की मुलाकात
रूस दौरे के क्रम में जयशंकर ने रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव सेभी मुलाकात की और द्विपक्षीय एजेंडे की समीक्षा की तथा क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर अपने विचार साझा किए. भारत और रूस की दोस्ती काफी पुरानी है और यह बात पूरी दुनिया जानती है. लावरोव के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सवालों के जवाब देते हुए, जयशंकर ने रूसी तेल की खरीद के लिए भारतीय वस्तुओं पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने के अमेरिकी फैसले का जिक्र किया.
चीन तेल का सबसे बड़ा खरीददार
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत नहीं, बल्कि चीन रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार है और यूरोपीय संघ एलएनजी का सबसे बड़ा खरीदार है और ऐसे में सेकेंडरी टैरिफ के लिए देश को अलग करने का तर्क उलझन में डालने वाला है. उन्होंने कहा कि भारत अमेरिका से भी तेल खरीदता है और यह मात्रा बढ़ी है.
जयशंकर ने कहा कि, रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार भारत नहीं बल्कि चीन है. भारत एलएनजी का भी सबसे बड़ा खरीददार नहीं है. एलएनजी का सबसे बड़ा खरीददार यूरोपीय संघ है. उन्होंने कहा कि, भारत वह देश नहीं हैं जिसका 2022 के बाद रूस के साथ व्यापार में सबसे बड़ा उछाल आएगा. उन्हें लगता है कि दक्षिण में कुछ देश हैं.
भारत अमेरिका से भी तेल खरीदता है
भारत एक ऐसा देश हैं जहां अमेरिकी पिछले कुछ सालों से कह रहे हैं कि हमें विश्व ऊर्जा बाजार को स्थिर करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए, जिसमें रूस से तेल खरीदना भी शामिल है. संयोग से भारत अमेरिका से भी काफी मात्रा में तेल खरीदता है.
पहले 25 फिर 50 प्रतिशत टैरिफ
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जुलाई में भारतीय वस्तुओं पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, जबकि एक अंतरिम भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की उम्मीदें थीं जो अन्यथा बढ़े हुए टैरिफ से बचने में मदद करता. कुछ दिनों बाद, उन्होंने भारत द्वारा रूसी तेल के निरंतर आयात का हवाला देते हुए 25 प्रतिशत का और टैरिफ लगा दिया, जिससे कुल टैरिफ 50 प्रतिशत हो गया.
जयशंकर ने कहा कि व्यापार और निवेश के माध्यम से रूस के साथ ऊर्जा सहयोग को बनाए रखना भी महत्वपूर्ण है. उन्होंने व्यापार असंतुलन को दूर करने की आवश्यकता पर बल दिया.
उन्होंने कहा, “हमने रूस को भारत के निर्यात को बढ़ाकर, संतुलित और सतत तरीके से द्विपक्षीय व्यापार का विस्तार करने की अपनी साझा महत्वाकांक्षा की पुष्टि की. इसके लिए गैर-टैरिफ बाधाओं और नियामक बाधाओं को शीघ्रता से दूर करने की आवश्यकता है. कृषि, फार्मा और वस्त्र जैसे क्षेत्रों में रूस को भारत के निर्यात को बढ़ाने से निश्चित रूप से असंतुलन को दूर करने में मदद मिलेगी.”
जयशंकर और लावरोव ने यूक्रेन और पश्चिम एशिया के घटनाक्रमों पर चर्चा की और संघर्षों को सुलझाने में संवाद और कूटनीति पर जोर दिया. जयशंकर ने कहा कि रक्षा और सैन्य सहयोग मजबूत है और रूस ‘मेक इन इंडिया’ लक्ष्यों का समर्थन करता है.
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