किरनकांत शर्मा, देहरादून: उत्तराखंड के चुनावी इतिहास में शायद ही ऐसा कभी हुआ हो कि जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव के दौरान गोली भी चल गई, अपहरण भी हो गया और मामला हाईकोर्ट तक जाने के बाद पुलिस को कड़ी फटकार भी लग गई. हाल में हुए पंचायत चुनाव भले ही राज्य के 11 जिलों में सकुशल संपन्न हो गए हों, लेकिन नैनीताल जिले में जो कुछ देखने को मिला, वो पूरे प्रदेश के लिए नया था. तमाम आरोप प्रत्यारोप और ड्रामे के बाद आखिरकार बीजेपी ने जीत दर्ज कर ली है, लेकिन यह चुनाव प्रदेश की राजनीतिक तस्वीर को काफी हद तक बदलकर भी चला गया.
पंचायत चुनाव में क्या कुछ हुआ? उत्तराखंड में पंचायत चुनाव को लेकर कब क्या हुआ, ये जान लेते हैं. सबसे पहले 21 जून 2025 को राज्य निर्वाचन आयोग ने 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी की, जिसके तहत 10 और 15 जुलाई को मतदान की तिथि घोषित की गई. जबकि, 19 जुलाई को मतगणना की तिथि रखी गई. इसके साथ ही आदर्श आचार संहिता लागू हुई.
वहीं, 23 जून 2025 को आरक्षण प्रस्ताव पर याचिका के कारण नैनीताल हाईकोर्ट ने चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगाई. इसके बाद 24 जून 2025 को राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव प्रक्रिया को अग्रिम आदेश तक स्थगित कर दिया. इसके बाद 27 जून 2025 को नैनीताल हाईकोर्ट ने रोक हटाई और नया चुनावी कार्यक्रम जारी करने के निर्देश दिए. जिसके बाद 28 जून 2025 को राज्य निर्वाचन आयोग ने नई अधिसूचना जारी कर दो चरणों (24 और 28 जुलाई) को मतदान और 31 जुलाई को मतगणना की तारीख तय की.
नैनीताल में कांग्रेसियों का हंगामा (फाइल फोटो- ETV Bharat)
इसके बाद 2 से 5 जुलाई 2025 तक नामांकन प्रक्रिया चली. इसके बाद 6 जुलाई को राज्य निर्वाचन आयोग ने सर्कुलर जारी किया कि पंचायत और नगर निकाय निर्वाचक नामावली में नाम होने पर (डबल वोटर लिस्ट) नामांकन खारिज नहीं होगा. इस पर विपक्षी दलों ने सर्कुलर पर सवाल उठाए और हाईकोर्ट में याचिका दायर की. फिर इस पर 11 जुलाई को नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. जिसमें हाईकोर्ट ने कहा कि पंचायती राज एक्ट के तहत चुनाव हों, लेकिन चुनाव प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई गई.
वहीं, 13 जुलाई को राज्य निर्वाचन आयोग ने एक आदेश जारी कर चुनाव प्रक्रिया को 14 जुलाई की दोपहर 2 बजे तक के लिए रोक दिया. फिर 14 जुलाई को हाईकोर्ट में राज्य निर्वाचन आयोग की प्रार्थना पत्र पर सुनवाई हुई. जिसमें कोर्ट ने मौखिक तौर पर कहा कि पंचायत चुनाव के प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई गई है. पंचायत चुनाव संपन्न होने के बाद शिकायतकर्ता याचिका दाखिल कर सकते हैं.
इसके साथ ही ये तय किया गया कि 28 जून को जारी अधिसूचना के आधार पर ही पंचायत चुनाव कराए जाएंगे. ऐसे में राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव का रास्ता साफ होते ही 14 जुलाई की दोपहर 2 बजे से चुनाव चिन्ह आवंटन की प्रक्रिया शुरू कर दी. जिसके बाद 24 और 28 जुलाई को मतदान और 31 जुलाई को मतगणना हुई.

जिला पंचायत सदस्यों को जबरन ले जाने की कोशिश (फोटो सोर्स- X@IamYashpalArya)
नैनीताल जिले में हंगामा: नैनीताल जिले में भी 27 जिला पंचायत सीट, 2,974 क्षेत्र पंचायत और 7,499 ग्राम पंचायत सीटों पर चुनाव हुए. मतगणना के बाद नैनीताल जिले की 27 जिला पंचायत सीटों के नतीजे तुरंत घोषित कर दिए गए. जिसमें बीजेपी के साथ निर्दलीय उम्मीदवारों ने जनता का समर्थन और वोट दोनों पाया.
पुष्पा से लेकर दीपा के आरोप: अब बारी थी 14 अगस्त को जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख को लेकर वोटिंग और मतगणना की. लेकिन उससे पहले 11 अगस्त को भी नैनीताल में तब हंगामा हो गया था. जब कांग्रेस प्रत्याशी पुष्पा नेगी ने ये आरोप लगाया था कि उनके नामांकन को रद्द करने की लगातार कोशिश की जा रही है. इतना ही नहीं, बीजेपी प्रत्याशी ने पुष्पा नेगी पर इसके बाद जमीन कब्जाने तक के आरोप लगा दिए और निर्वाचन आयोग से कहा कि उनके नामांकन पर आपत्ति दर्ज की जाए.
14 अगस्त का चुनाव: इस पूरे घटनाक्रम के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख के लिए 14 अगस्त को मतदान एवं मतगणना हुई. बाकी 12 जिलों में शांतिपूर्वक चुनाव संपन्न हुआ और शाम तक नतीजे भी आ गए. लेकिन नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख के लिए मतदान के दौरान भारी हंगामा हुआ और काफी ड्रामा भी चला.
चुनाव जीतने के लिए- BJP बनी किडनैपर
नैनीताल के जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में BJP के गुंडों ने बंदूक की नोंक पर कांग्रेस के 9 जिला पंचायत सदस्यों को किडनैप कर लिया। इसके साथ ही, उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी।
ये सभी सदस्य नेता विपक्ष @IamYashpalArya जी, उपनेता भुवन… pic.twitter.com/FpfRBplkri
— Congress (@INCIndia) August 14, 2025
उत्तराखंड में पहली बार चुनाव में देखने को मिला ये सब: वहीं, नैनीताल जिले में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में नया मोड़ तब आया, जब सीसीटीवी कैमरे में कुछ ऐसी तस्वीरें कैद हुईं जिसने हंगामा खड़ा कर दिया. नैनीताल में ही मतदान के दिन कांग्रेस ने आरोप लगाया के बीजेपी ने उनके 5 जिला पंचायत सदस्यों को जबरन उठाकर उनका अपहरण किया है. लगभग 10 से 12 अज्ञात लोग जिला पंचायत सदस्यों को खींचते हुए नजर आए थे.
इस वीडियो को न केवल उत्तराखंड बल्कि, पूरे देश ने अलग-अलग माध्यम से देखा. ऐसा पहली बार था, जब उत्तराखंड के किसी चुनाव में इस तरह के हालात बने हों. घसीटते हुए नेताओं को ले जाते हुए सीन को हर किसी ने देखा. इतना ही नहीं, कांग्रेसी नेता ने तो ये तक आरोप लगाया कि नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य के साथ कुछ लोगों ने हाथापाई भी की है. इसके बाद कांग्रेस ने जिला निर्वाचन अधिकारी के साथ पुलिस अधिकारियों के दफ्तर पर खूब धरना प्रदर्शन कर अपना विरोध दर्ज करवाया.
अपहरण की घटना को अभी कोई भूला ही नहीं था कि नैनीताल में ही मतदान के दौरान गोली चलाने का वीडियो भी सामने आ गया. जिसमें एक शख्स खुलेआम लोगों पर फायरिंग करता दिखा था. इस वीडियो के सामने आने के बाद तो न केवल नैनीताल पुलिस पर सवाल खड़े हुए, बल्कि ये सवाल भी खड़े होने लगे कि आखिरकार उत्तराखंड की शांति व्यवस्था और खूबसूरत वादियों को कौन बदनाम या कौन खूनी खेल खेल रहा है? अभी यह सब कुछ चल ही रहा था कि हाईकोर्ट की टेबल तक मामला पहुंच गया.
अंधाधुंध फायरिंग, कानून व्यवस्था ध्वस्त,
ये है नैनीताल के बेतालघाट उत्तराखंड में पंचायत चुनाव के हालात ।@INCUttarakhand @INCIndia pic.twitter.com/sYGVAo5cSZ— Yashpal Arya (@IamYashpalArya) August 14, 2025
फिल्मी रहा पूरा मामला, कोर्ट से पड़ी फटकार: कांग्रेस अपने कुछ नेताओं के साथ इस पूरे मामले को लेकर हाईकोर्ट में पहुंची, लेकिन हाईकोर्ट ने खुद ही इसका संज्ञान लेकर गंभीर टिप्पणी करते हुए पुलिस को फटकार लगाई. नैनीताल जिला पंचायत चुनाव परिणाम पर आगामी आदेश तक रोक लगा दी. इसके बाद 15 अगस्त को नैनीताल जिलाधिकारी एवं निर्वाचन अधिकारी वंदना सिंह ने हाईकोर्ट को आश्वस्त किया कि राज्य निर्वाचन आयोग पुनर्मतदान का अनुरोध कोर्ट से करेगी और इसके लिए 18 अगस्त की तिथि निर्धारित की गई.
कोर्ट ने अपनी टिप्पणी के दौरान अपहरण की घटना को लोकतंत्र के लिए शर्मसार बताया. इसके साथ कोर्ट ने इस पूरे घटनाक्रम के बाद चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर भी अपनी टिप्पणी की. इसी बीच 16 अगस्त को जो 5 जिला पंचायत सदस्य अपहरण हुए थे, उनका अचानक से एक वीडियो भी सामने आ गया. जिसमें वो अपहरण की बात को खारिज करते हुए अपनी मर्जी से घूमने जाने की बात कहते हुए नजर आए.

कथित अपहृत जिला पंचायत सदस्य (फोटो सोर्स- Uttarakhand Congress)
हालांकि, इस वीडियो के सामने आने के बाद कई लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रिया भी रही. कुछ ने इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बताया तो कुछ लोगों ने कहा कि राजनीतिक पार्टी के दबाव में वो इस तरह के बयान दे रहे हैं. पांचों ही सदस्यों को हाईकोर्ट में भारी सुरक्षा के बीच पेश किया गया, लेकिन कोर्ट ने पांचों के पांचों जीते हुए उम्मीदवारों को सुनने से यह कहकर मना कर दिया कि उनकी कहानी में कोई जान नहीं है. इसलिए उन्हें सुनना अपना समय बर्बाद करने जैसा होगा.
उत्तराखंड की राजनीति में आज का दिन एक और काला धब्बा बनकर दर्ज हो गया।
जिला पंचायत चुनाव के नतीजे आने से पहले ही गुंडई धामी सरकार इतनी बौखला गई कि उसने पुलिस की नाक के नीचे अपने गुंडे भेजकर कांग्रेस के चुने हुए सदस्यों का सरेआम अपहरण करवा दिया।यह सिर्फ कांग्रेस पर हमला नहीं है,… pic.twitter.com/C6PnU7lQpw
— Uttarakhand Congress (@INCUttarakhand) August 14, 2025
कोर्ट की टिप्पणी और बीजेपी की जीत: 18 अगस्त को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने इस पूरे मामले को लेकर नैनीताल पुलिस को भी खूब फटकार लगाई. नैनीताल पुलिस को कोर्ट में हाईकोर्ट ने कहा कि पुलिस ने अपना काम सही से नहीं किया. इतना ही नहीं कोर्ट ने तो सरकारी वकील के सामने पुलिस को लेकर कई तरह की बातें कहीं.
फिलहाल, 19 अगस्त को नैनीताल जिले के चुनावी परिणाम सभी के सामने आए. इस चुनावी परिणाम में बीजेपी ने जीत दर्ज की है. बीजेपी प्रत्याशी दीपा दर्मवाल ने कांग्रेस प्रत्याशी पुष्पा नेगी को हराया. जिसके बाद वो जिला पंचायत अध्यक्ष बन गई हैं. जबकि, उपाध्यक्ष पद पर कांग्रेस की देवकी बिष्ट को जीत मिली है. बीजेपी उम्मीदवार को जहां 11 वोट मिले तो वहीं कांग्रेस की उम्मीदवार को 10 वोट मिले. जबकि, एक वोट रद्द हुआ और 5 उम्मीदवार अपना वोट नहीं डाल पाए.
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