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'फैंटम' और 'कोको' बने धराली आपदा पीड़ितों की उम्मीद, दिन भर लापता लोगों की कर रहे सर्च


उत्तरकाशी: 5 अगस्त 2025 को उत्तरकाशी के धराली में आई भीषण आपदा में सरकारी लिस्ट के अनुसार 66 लोग लापता हैं. मलबे में दबे लोगों की खोज का आज 12वां दिन है. अभी तक मलबे में दबे किसी व्यक्ति को नहीं ढूंढा जा सका है. दरअसल धराली में खीर गंगा कई चरणों में बाढ़ के दौरान ढेर सारा मलबा लाई थी. इस मलबे की कई परतों के नीचे लापता लोगों के दबे होने की आशंका है.

धराली सर्च ऑपरेशन में लगे हैं फैंटम और कोको: बड़े-बड़े बोल्डर और मलबे में दबे लोगों को तलाशने में काफी मुश्किल आ रही है. ऐसे में एसडीआरएफ द्वारा प्रशिक्षित दो विशेष स्निफर डॉग भी पूरे दिन खोजने में लगे हुए हैं. ‘फैंटम’ और ‘कोको’ उन लोगों के लिए आशा की किरण बनकर उभरे हैं, जो इस आपदा के बाद लापता हुए अपने परिजनों को ढूंढना चाहते हैं.

मलबे में दबे लोगों की तलाश कर रहे जर्मन शेफर्ड: जर्मन शेफर्ड ‘फैंटम’ और ‘कोको’ खीर गंगा से तबाह हुए धराली में भागीरथी के किनारे बारिश और ठंड की परवाह किए बगैर दिन भर मलबे को सूंघकर उसके नीचे दबे लोगों को ढूंढने की कोशिश में लगे हुए हैं. एसडीआरएफ के जवान उन्हें हर उस लोकेशन पर ले जाते हैं, जहां उन्हें आशंका होती है कि यहां कोई मलबे के नीचे दबा हो सकता है.

एनडीआरएफ ने क्या कहा: एनडीआरएफ के सहायक कमांडेंट आरएस धपोला ने बताया कि-

मलबे में दबे लोगों का पता लगाने के लिए ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) का इस्तेमाल किया जा रहा है. यह इलेक्ट्रिकल डिटेक्टर 40 मीटर तक दबे किसी भी वस्तु की जानकारी देता है. ये जानकारी मिलने के बाद जिस चीज को ढूंढ रहे हैं, उसके लिए खोदाई शुरू कर दी जाती है.
-आरएस धपोला, सहायक कमांडेंट एनडीआरएफ-

बोल्डर और मलबा हटाना चुनौती: एनडीआरएफ के सहायक कमांडेंट आरएस धपोला ने बताया कि रडार से पता चला है कि मलबे के नीचे लगभग 8 से 10 फीट नीचे लोग दबे हो सकते हैं. मलबे में बड़े-बड़े हार्ड बोल्डर और पत्थर के साथ मिक्स मलबा है, इसे हटाना चुनौती बन रहा है. उन्होंने बताया कि इसके बावजूद जहां पर GPR से संकेत मिल रहे हैं, वहीं पर खोदाई कर रहे हैं.

डीएम भी रोज ले रहे सर्च अभियान का जायजा: उत्तरकाशी के डीएम प्रशांत आर्या भी धराली आपदास्थल पर चल रहे सर्च ऑपरेशन का नियमित जायजा ले रहे हैं. डीएम ने कहा कि पानी की धार के लिए अवरोध बन रहा मलबा तेजी से हटाया जा रहा है. दलदली जमीन पर जहां मशीनों से ऑपरेट नहीं कर सकते हैं, वहां पर मैनुअली काम हो रहा है.

धराली की खीर गंगा में 5 अगस्त को आई थी बाढ़: गौरतलब है कि 5 अगस्त 2025 को धराली में खीर गंगा गाड़ से भीषण बाढ़ आई थी. दिन में करीब डेढ़ बजे आई बाढ़ की पहली आपदा ने अपने साथ लाए बड़े-बड़े बोल्डरों और मलबे से धराली को काफी नुकसान पहुंचाया था. इसके बाद भी कई चरणों में खीर गंगा में उस दिन बाढ़ आती रही. कई चरणों में आई खीर गंगा की आपदा ने धराली बाजार और सेब के बगीचों का अस्तित्व ही नष्ट कर दिया.

सर्च अभियान में लगे हैं 6 स्निफर डॉग: तभी से यहां सर्च ऑपरेशन चल रहा है. मलबे में खोज अभियान में सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, लोकल पुलिस और प्रशासन के लोग लगे हुए हैं. 6 स्निफर डॉग भी खोज अभियान में लगी टीमों की मदद कर रहे हैं. इनमें सेना के 2, एनडीआरएफ के 2 और एसडीआरएफ के 2 प्रशिक्षित स्निफर डॉग शामिल हैं.
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