किरनकांत शर्मा, देहरादून: अभी हिमालय में बसे उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली में आपदा को आए हुए 10 दिन भी नहीं बीते थे कि एक और पहाड़ी राज्य में ठीक उसी तरह का मंजर देखने को मिला है. यह घटना जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ में देखने को मिली. जहां चशोती में बादल फटने से आई सैलाब में कई घर तबाह हो गए. हादसे में अब तक 30 लोगों की जान चली गई है. वहीं, इस घटना ने आपदा के एक और जख्म को हरा कर दिया है.
धराली में भी धार्मिक आयोजन के वक्त आया था सैलाब: जम्मू कश्मीर में मचैल माता मंदिर के मार्ग पर स्थित दूरस्थ गांव चशोती में बादल फटने से अचानक सैलाब आ गया. जानकारी के मुताबिक, धार्मिक यात्रा के लिए काफी लोग जुटे हुए थे. मौके पर टेंट लगाया था. इसके अलावा भक्तों के ठहरने की व्यवस्था भी की थी.
My thoughts and prayers are with all those affected by the cloudburst and flooding in Kishtwar, Jammu and Kashmir. The situation is being monitored closely. Rescue and relief operations are underway. Every possible assistance will be provided to those in need.
— Narendra Modi (@narendramodi) August 14, 2025
जब सैलाब आया तब लंगर लगा हुआ था. ऐसे में काफी लोग जुटे हुए थे. तभी बाढ़ की शक्ल में सैलाब आ गया और सब कुछ तबाह कर गया. अचानक से पानी के साथ आए मलबे ने किसी को संभलने तक का मौका नहीं दिया. यह घटना ठीक 10 दिन पहले उत्तराखंड के उत्तरकाशी के धराली में आए जल सैलाब की तरह ही था.
धराली में जल सैलाब से तबाही (फाइल फोटो- Local Resident)
मिलता जुलता है तबाही का मंजर: उस दिन जब धराली गांव में जल सैलाब आया, तब पूरे गांव में एक धार्मिक मेले हारदूधू का आयोजन हो रहा था. यह मेला हर साल आयोजित होता है. लेकिन 5 अगस्त की दोपहर करीब 1:30 बजे पानी और मलबे ने पूरे इलाके का भूगोल ही बदल कर रख दिया.

मचैल माता मंदिर के मार्ग पर तबाही (फोटो सोर्स- ANI)
खीर गाड़ में आए भयानक सैलाब ने कुछ मिनटों में ही पूरे धराली को तहस-नहस कर दिया था. खूबसूरत धराली कस्बा आज 30 फीट गहरे मलबे में पटा हुआ है. इस मलबे के लिए कई लोग आज भी दबे हुए हैं. धराली की त्रासदी की जांच जहां वैज्ञानिक अपने-अपने स्तर पर कर रहे हैं, तो वहीं सरकार भी यह जानने की कोशिश कर रही है कि आखिरकार इतनी बड़ी तबाही अचानक कैसे आ गई?

धराली में उस वक्त का मंजर (फाइल फोटो- Local Resident)
वैज्ञानिक बता रहे ये वजह: धराली हादसे के ठीक 10 दिन बाद वैसा ही हादसा जम्मू कश्मीर के लोगों के साथ भी हुआ. यहां लोग मचैल माता मंदिर में लंगर खाने के लिए इकट्ठा हो रहे थे, तभी अचानक से पानी के साथ मलबा आ गया. जिससे वहां लगे टेंट और उसमें मौजूद लोग चपेट में आए गए. अब तक 33 से लोगों की मौत की खबर है. हताहतों की संख्या बढ़ने की आशंका है. कई लोगों को तत्काल बचाया गया है. अभी भी 220 लापता बताए जा रहे हैं. बादल फटने और अचानक से सैलाब आने की यह घटना भी हूबहू उत्तराखंड में घटी घटना की तरह ही है.

चशोती में बादल फटने से तबाही (फोटो सोर्स- X@INCJammuKashmir)
“मानसून के दिनों में इस तरह की घटनाएं अब आम बात हो गई है. उत्तराखंड हो, या जम्मू कश्मीर या फिर हिमाचल प्रदेश, सभी पहाड़ी राज्यों के ऊपर ग्लेशियरों की एक बड़ी संख्या है. ऐसे में ग्लोबल वार्मिंग के कारण तेजी से पिघलने या ग्लेशियर वाले क्षेत्र में अत्यधिक बारिश होने की वजह से ग्लेशियरों का टूटना, ऐसी आपदाओं को बढ़ावा दे रहा है.”
– प्रोफेसर बीडी जोशी, भूवैज्ञानिक एवं पर्यावरणविद् –
भूवैज्ञानिक बीडी जोशी का कहना है कि रही बात जम्मू कश्मीर और उत्तराखंड में धार्मिक स्थलों या दिन में आपदा आने की तो इस पर वैज्ञानिक तौर पर कुछ कहा नहीं जा सकता. इतना जरूर है कि सभी हिमालय क्षेत्र में इस वक्त अच्छी खासी बारिश देखी जा रही है. बारिश का अत्यधिक पानी अपना रास्ता खुद बना रही है. सरकारों को चाहिए कि अब ऐसी जगह को चिन्हित करें, जहां पर नदी नालों के किनारे या उनके बीच में आबादी बसी हुई है.

किश्तवाड़ के चशोती में भारी नुकसान (फोटो सोर्स- ANI)
दिन के समय आपदा: बादल फटने की घटना क्योंकि दिन में हुई है, ऐसे में दोनों ही आपदाग्रस्त क्षेत्रों में रेस्क्यू अभियान तत्काल चलाया गया. इस बात की कल्पना ही की जा सकती है कि अगर इस तरह की घटनाएं अंधेरे में हों तो जान माल का कितना नुकसान हो सकता है. जैसा कि 2013 केदारनाथ में आपदा के दौरान हुआ. वहां तो किसी को संभलने का मौका तक नहीं मिला और हजारों लोग मौत के मुंह में चले गए.
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