सूर्य प्रकाश नौटियाल, उत्तरकाशी: धराली आपदा ने कई परिवारों को गहरा जख्म दिया है, जो शायद ही कभी भर पाए. आपदा के बाद कई लोग लापता हैं, जिनकी लगातार तलाश की जा रही है. इनमें उत्तर प्रदेश के सहारनपुर का तीन परिवार भी शामिल है, जिनका आपदा ने सुख, चैन सब छीन रखा है. न तो दिन को चैन है, न ही रात को नींद आ रही है.
आपदा के बाद सहारनपुर के तीन युवक लापता हैं. तीनों धराली में वेल्डिंग का काम करते थे. सहारनपुर के इन परिवारों की आंखों में अब भी उम्मीद की लौ जल रही है, शायद उनका कोई अपना मलबे से जिंदा निकल आए. इसी उम्मीद में वो पिछले 7 दिनों से उत्तरकाशी के मातली हेलीपैड पर डटे हुए हैं.
धराली में वेल्डिंग का काम करने वाले 3 युवक लापता: बता दें कि धराली आपदा के बाद अपनों की तलाश में परिजन दर-दर भटकने को मजबूर हैं. उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के जुखेड़ी गांव निवासी कपिल ने अपने परिवार की इस दर्दभरी दास्तां को उत्तरकाशी के मातली हेलीपैड पर पर बयां किया. उन्होंने बताया उनका छोटा भाई मुकेश कुमार (उम्र 22 वर्ष), चाचा मोनू का बेटा दीपांशु (उम्र 19 वर्ष), ननौता गांव निवासी आफताब (उम्र 18 वर्ष) तीनों धराली में वेल्डिंग का काम करते थे.
सैलाब में तबाह हुआ धराली (फाइल फोटो- Local Resident)
आखिरी बार भाई ने फोन पर कही थी ये बात: कपिल ने बताया कि ‘5 अगस्त की सुबह करीब 9 बजे मेरे पिता राम सिंह ने भाई मुकेश से फोन पर बात की थी. भाई ने बताया था कि यहां हल्की-हल्की बारिश हो रही है और वो काम पर जा रहा है.‘ यह कहते हुए कपिल की आंखें भर आती हैं कि उसी दिन दोपहर में खबर मिली कि धराली क्षेत्र में भयंकर आपदा आ गई है. ‘हमने मुकेश को फोन किया, लेकिन नंबर बंद मिला. फिर दीपांशु को कॉल की, वहां से भी कोई जवाब नहीं आया.‘

आपदा के वक्त का नजारा (फाइल फोटो- Local Resident)
परिवार का इकलौता बेटा है दीपांशु: कपिल ने बताया कि दीपांशु अपने परिवार का इकलौता बेटा है. दो महीने पहले ही मुकेश और आफताब के साथ धराली आया था. धराली में आपदा की वीडियो देखने के बाद हम लोग तत्काल सहारनपुर से रवाना हुए अगले दिन सुबह उत्तरकाशी पहुंचे. मन में एक ही आस थी कि शायद वो सब सुरक्षित मिल जाएं, लेकिन गगनानी से आगे धराली वाला रास्ता और सड़क टूट चुकी थी.

धराली में रेस्क्यू अभियान (फोटो- ETV Bharat)
हर आते हेलीकॉप्टर को देख जग जाती है उम्मीद: कपिल का कहना है कि ‘हम मातली हेलीपैड से आगे धराली नहीं जा पा रहे. 7 दिन से यही भटक रहे हैं, न दिन को चैन है, न रात को नींद.’ पांच दिनों में मातली हेलीपैड हर हेलीकॉप्टर की लैंडिंग उनके दिल की धड़कनें तेज कर देती हैं. जैसे ही दरवाजा खुलता है, उनकी आंखें हर चेहरे को टटोलती हैं. शायद इस बार मेरा भाई हेलीकॉप्टर से आया होगा, लेकिन हर बार निराशा ही हाथ लगती है.
“धराली आपदा में जो भी लोग लापता चल रहे हैं, उनकी तलाश की जा रही है. धराली आपदा में लापता लोगों की सूची तैयार की जा रही है. लापता लोगों के परिजनों से प्रशासन की टीम लगातर संवाद कर रही है.”– प्रशांत आर्य, डीएम उत्तरकाशी
आपदा प्रभावित क्षेत्र धराली की ऐसी है स्थिति: उत्तरकाशी जिलाधिकारी प्रशांत आर्य आपदा के बाद से ही धराली आपदा प्रभावित क्षेत्र में डटे हुए हैं. जो सर्च एवं रेस्क्यू अभियान के साथ ही राहत सहायता के वितरण से लेकर आधारभूत संरचनाओं को पटरी में लाने के काम का मॉनिटरिंग कर रहे हैं. जिसके चलते धराली में सर्च एंड रेस्क्यू अभियान से तेजी से चल रहा है.

उत्तरकाशी में हेलीकॉप्टर से रेस्क्यू (फोटो- ETV Bharat)
हर्षिल में बनी झील से पानी की निकासी का काम जारी: इसके अलावा प्रभावित परिवारों को सहायता राशि समय से प्रदान करने, रसद एवं जरूरतमंद सामान प्रभावित परिवारों को पहुंचाने का काम किया जा रही है. साथ ही सड़क मार्ग की बहाली से लेकर हर्षिल में बने अस्थायी झील से पानी की निकासी के लिए काम युद्धस्तर पर जारी है.

ग्राउंड पर डटे डीएम प्रशांत आर्य (फोटो- District Administration)
सेब बागवानों के नुकसान का किया जा चुका आकलन: बता दें कि बीती रोज डबरानी के पास ओएफसी लाइन कट होने के कारण नेटवर्क कनेक्टिविटी बाधित हो गई थी. हेली से भी रसद समेत अन्य जरूरतमंद सामान धराली पहुंचाया जा रहा है. किसानों और बागवानों के नकदी फसल व सेब के नुकसान का आकलन उद्यान, कृषि एवं राजस्व विभाग की ओर से किया जा चुका है. धराली में क्षतिग्रस्त सड़क मार्ग को सुचारू करने का काम भी जारी है.

आपदा प्रभावित क्षेत्र का निरीक्षण करते डीएम प्रशांत आर्य (फोटो- District Administration)
उत्तरकाशी से धराली तक सड़क की स्थिति: उधर, हर्षिल गाड़ में जमा मलबा हटाने के बाद गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग सोनगाड़ तक सुचारू हो जाएगा. सोनगाड़ में करीब 400 मीटर सड़क का हिस्सा पूरी तरह से ध्वस्त है. हालांकि, वर्तमान में गंगोत्री से धराली एवं हर्षिल से सोनगाड़ तक यातायात ट्रांशिप के माध्यम से सुचारू है. सोनगाड़ से डबरानी तक करीब 2 किमी पैदल मार्ग है, उसके बाद वहां से उत्तरकाशी के लिए सड़क मार्ग सुचारू है.
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