रोहित कुमार सोनी, देहरादून: हिमालय की उत्पत्ति को लेकर तमाम अध्ययन किए जा रहे हैं. माना जाता रहा है कि इंडियन और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटों के टकराने (Collide) के बाद हिमालय बना. इसकी मुख्य वजह यही रही है कि देश की हिमालय श्रृंखला में जो मिग्माटाइट्स (Migmatites) नामक पत्थर मिला है, वो 20 से 25 मिलियन साल पुराना है. जिसके चलते इसी समय से हिमालय की उत्पत्ति मानी जा रही है. लेकिन हाल ही में अरुणाचल हिमालय के लोहित और दिबांग वैली में मिली मिग्माटाइट्स के अध्ययन से पता चला है कि ये मिग्माटाइट्स करीब 70 से 80 मिलियन साल पुराने हैं. जिसके चलते वैज्ञानिक अब मान रहे हैं कि इसी समय से ही हिमालय की उत्पत्ति शुरू हो गई थी.
दरअसल, देहरादून स्थित वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. विकास अदलखा और उनकी टीम की ओर से किए गए अध्ययन में यह बात सामने निकल कर आई है. वैज्ञानिकों ने अध्ययन में पाया है कि पूर्वी हिमालय में अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में इंडियन और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटों के टकराने से लाखों साल पहले ही भूगर्भीय गतिविधि देखी गई थी.
वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक विकास अदलखा से खास बातचीत (वीडियो- ETV Bharat)
इसके चलते करीब 70 से 80 मिलियन साल पहले हिमालय का निर्माण हुआ था. वाडिया संस्थान के वैज्ञानिक की ‘Synchronous Cretaceous Magmatism and Migmatization in the Lohit and Dibang valleys: easternmost Himalaya’ अध्ययन रिपोर्ट जर्नल ऑफ द जियोलॉजिकल सोसाइटी में पब्लिश हुई है.
हिमालय की उत्पत्ति पर नया अध्ययन (फोटो- ETV Bharat)
क्या हिमालय की उत्पत्ति इन प्लेटों के टकराने से पहले हो गई थी? वहीं, ईटीवी भारत से खास बातचीत में वैज्ञानिक संस्थान के डॉ विकास अदलखा ने बताया कि अरुणाचल प्रदेश में मौजूद हिमालय में अध्ययन कर एक रिपोर्ट जारी की है, जो ‘जर्नल ऑफ जियोलॉजिकल सोसायटी लंदन’ में प्रकाशित हुई है. अभी तक ये माना जाता रहा है कि इंडियन और यूरेशियन प्लेट के टकराने (Collide) के बाद हिमालय की उत्पत्ति हुई है.

हिमालय की उत्पत्ति को लेकर रिसर्च करते वैज्ञानिक (फोटो सोर्स- Wadia Institute of Himalayan Geology)
पूर्व में किए गए अध्ययन के अनुसार इंडियन और यूरेशियन प्लेट के टकराने की घटना करीब 55 मिलियन साल पहले हुई थी. इसी के बाद ही क्रस्ट थिकनिंग और रॉक्स का मुड़ाव व उसका उठना (Uplift) करीब 50 मिलियन साल पहले हुआ है. जिसका प्रमाण हिमालय क्षेत्रों में यानी पश्चिमी हिमालय और नेपाल हिमालय में मिलता है.
पश्चिमी हिमालय और नेपाल हिमालय में मुख्य रूप से हिमालय में मिग्माटाइट्स (Migmatites) नामक पत्थर मिलता है, जो पहले से ही मौजूद ग्रेनाइटिक रॉक्स के पार्शियल मेल्ट होने, फिर जमने के बाद ये मिग्माटाइट्स (Migmatites) बन जाता है. ग्रेनाइटिक रॉक्स से पार्शियल मेल्ट होने में 6 से 7 किलोग्राम प्रति वर्ग सेंटीमीटर प्रेशर और करीब 600 से 700 डिग्री तापमान व गहन विरूपण (Intense Deformation) से बनता है. जिसकी वजह से क्रस्ट थिकनिंग (Crust Thickening) होती है.

एशियन और इंडियन प्लेट को लेकर अध्ययन (फोटो सोर्स- Wadia Institute of Himalayan Geology)
फिर पहाड़ बनना शुरू होता है. ऐसे में अभी तक यह माना जाता रहा है कि 55 मिलियन साल पहले प्लेटों के बीच में टकराव हुआ. उसके बाद करीब 40 मिलियन साल पहले अपलिफ्ट शुरू हुआ. साथ ही करीब 20 मिलियन साल पहले मेजर अपलिफ्ट हुआ. वर्तमान समय में हिमालय क्षेत्र में जो मिग्माटाइट्स (Migmatites) मिलती है, वो करीब 20 से 25 मिलियन साल पुरानी मिलती है.
“हाल ही में किए गए अध्ययन के दौरान अरुणाचल प्रदेश की पहाड़ियों यानी लोहित और दिबांग वैली में मिग्माटाइट्स मिले हैं. इनकी जांच से पता चला कि ये मिग्माटाइट्स करीब 70 से 80 मिलियन साल पुरानी हैं. इसके साथ ही उस क्षेत्र में सबडक्शन रिलेटेड रॉक्स भी मिली हैं. सबडक्शन रिलेटेड रॉक्स, जब इंडियन प्लेट, यूरेशियन प्लेट के नीचे जा रही थी, उस दौरान ओशनिक लिथोस्पेयर (Ocean Lithosphere) मेल्ट हुए, फिर ये ठंडा होने के बाद जमीनी सतह पर आ गये.
ऐसे में इस तरह की ग्रेनाइट रॉक्स, जो करीब 70 से लेकर 154 मिलियन साल पुराने मिले हैं, जिससे पता चला कि सबडक्शन रिलेटेड रॉक्स का निर्माण और मिग्माटाइट्स (Migmatites) का निर्माण एक साथ हुआ. जिससे ये पता चला कि सबडक्शन के साथ ही अरुणाचल प्रदेश की पहाड़ियां लोहित और दिबांग की पहाड़ियां अपलिफ्ट होनी शुरू हो गई थी. जिससे यह पता चलता है कि इंडियन और यूरेशियन प्लेट के बीच टकराव होने से पहले ही हिमालय बनने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी.”- डॉ. विकास अदलखा, वैज्ञानिक, वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान
भारतीय हिमालय में अभी तक जो मिग्माटाइट्स (Migmatites) मिलते थे, वो करीब 20 से 25 मिलियन साल पुराने मिलते थे, लेकिन पहली बार अरुणाचल प्रदेश के हिमालय में 70 से 80 मिलियन साल पुराना मिग्माटाइट्स मिला है. जिसका कारण ये भी हो सकता है कि इंडियन और यूरेशियन प्लेट के टकराव के कारण जो क्रस्ट नजदीक आ गई है, उसे वैज्ञानिकों ने रिपोर्ट किया है.

हिमालय की चट्टानों का अध्ययन (फोटो सोर्स- Wadia Institute of Himalayan Geology)
यही वजह है कि इस क्षेत्र में इतना पुराना मिग्माटाइट्स मिलता है. हालांकि, तिब्बत हिमालय के कुछ क्षेत्रों में पुराने मिग्माटाइट्स मिले हैं, उसी तरह ही अरुणाचल हिमालय में भी मिले हैं. जिससे ये पता चला कि हिमालय की उत्पत्ति, इंडियन और यूरेशियन प्लेट के टकराव से पहले ही हो गया था.

हिमालय को लेकर टेक्टोनिक फ्रेमवर्क (फोटो सोर्स- Wadia Institute of Himalayan Geology)
हिमालय की रॉक्स को जानिए: अरुणाचल प्रदेश के लोहित हिमालय के रॉक्स को लोहित प्लूटोनिक कॉम्प्लेक्स (Lohit Plutonic Complex) कहते हैं. इसी तरह के रॉक्स को ही तिब्बत के हिमालय में गैंगडीज बैथोलिथ (Gangdese Batholith), लद्दाख हिमालय में लद्दाख बैथोलिथ और काराकोरम हिमालय में काराकोरम बैथोलिथ कहते हैं.

अरुणाचल की पहाड़ियों पर रिसर्च (फोटो सोर्स- Wadia Institute of Himalayan Geology)
भारत में हिमालय की एक पूरी श्रृंखला है, जो करीब 2400 किलोमीटर लंबी है. इस हिमालय श्रृंखला में सिमिलर टाइप की जिओ केमिकल कैरेक्टेरिस्टिक (Characteristic) वाली रॉक्स वेस्टर्न हिमालय से लेकर लोहित की पहाड़ियों तक मिलती हैं, लेकिन पहली बार करीब 70 से 80 मिलियन साल पुराना मिग्माटाइट्स अरुणाचल प्रदेश की पहाड़ियों पर मिला है.

हिमालय बनने की प्रक्रिया (फोटो सोर्स- Wadia Institute of Himalayan Geology)
इंडियन प्लेट और यूरेशियन प्लेट के बीच घर्षण का सिलसिला जारी: हिमालय एक डायनेमिक माउंटेन बेल्ट है. जिसकी मुख्य वजह यही है कि इंडियन प्लेट का यूरेशियन प्लेट से घर्षण का सिलसिला जारी है. उत्तराखंड में मेन सेंट्रल थ्रस्ट के साथ ही देहरादून के मसूरी क्षेत्र के पास से ही मेन बाउंड्री थ्रस्ट गुजरता है. ऐसे इंडियन और यूरेशियन प्लेटों के बीच लगातार घर्षण होने की वजह से स्ट्रक्चर समय के साथ रिएक्टिव हो जाते थे.

वाडिया संस्थान के वैज्ञानिक विकास अदलखा (फोटो- ETV Bharat)
इसके साथ ही हिमालय में अन्य फॉल्ट का भी निर्माण कर देते हैं. जिसके चलते रॉक्स टूटते हैं. इसके अलावा इंडियन और यूरेशियन प्लेटों के बीच लगातार घर्षण होने से एनर्जी भी एकत्र होती है, जो भूकंप के जरिए निकलती है. ऐसे में यह प्रक्रिया हिमालय में चलती रहेगी.

हिमालय (फोटो- ETV Bharat)
देहरादून के आसपास एक्टिवेट हुआ था मेन बाउंड्री थ्रस्ट: माना जाता है कि हिमालय में सबसे पहले करीब 20 से 25 मिलियन साल पहले मेन सेंट्रल थ्रस्ट एक्टिव हुआ. जिसके साथ ही साउथ तिब्बत डिटैचमेंट सिस्टम एक्टिवेट हुआ. इसके बाद मसूरी और देहरादून के बाउंड्री के आसपास मेन बाउंड्री थ्रस्ट एक्टिवेट हुआ, जो करीब 9 से 11 मिलियन साल पहले एक्टिव हुआ.

अरुणाचल में मिले मिग्माटाइट्स (फोटो सोर्स- Wadia Institute of Himalayan Geology)
इसके अलावा देहरादून के मोहंड के आसपास मौजूद पहाड़ियां जिनको हिमालय की फ्रंटल रेंज कहा जाता है, वहां पर हिमालयन फ्रंटल थ्रस्ट है. हिमालयन फ्रंटल थ्रस्ट करीब 1 से 2 मिलियन साल पहले एक्टिव हुआ है. ऐसे में इंडियन और यूरेशियन प्लेट के बीच लगातार हो रहे कन्वर्जन की वजह से इन सभी थ्रस्ट फॉल्ट के आसपास एनर्जी एकत्र हो जाती है और समय के साथ-साथ रिलीज होती रहती है.
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