मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने 7/11 बम विस्फोट मामले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया है. 19 साल बाद अपना फैसला सुनाते हुए अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है. इससे राज्य सरकार को बड़ा झटका लगा है. इस मामले में हाईकोर्ट ने एक विशेष अदालत के फैसले को पलट दिया. विशेष अदालत ने पांच आरोपियों को मौत की सजा और बांकी को उम्रकैद की सजा सुनाई थी.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने आज 11 जुलाई 2006 को मुंबई में पश्चिम रेलवे की एक उपनगरीय लोकल ट्रेन में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों पर अपना फैसला सुनाया है. इन धमाकों ने मुंबई और पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. हाईकोर्ट ने 31 जनवरी 2025 तक के लिए यह फैसला सुरक्षित रखा था, जिसे आज सुनाया गया.
बॉम्बे हाईकोर्ट मामले में सभी बारह आरोपियों को बरी कर दिया. करीब एक दशक पहले एक विशेष अदालत ने पांच आरोपियों को मौत की सजा और शेष को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. न्यायमूर्ति अनिल किलोर और न्यायमूर्ति श्याम चांडक की विशेष पीठ ने कहा कि ‘अभियोजन पक्ष मामले को उचित संदेहों से परे साबित करने में पूरी तरह विफल रहा.’ अदालत ने अभियोजन पक्ष के लगभग सभी गवाहों के बयानों को विश्वास योग्य नहीं पाया.
अदालत के अनुसार विस्फोट के लगभग 100 दिन बाद भी टैक्सी चालकों या ट्रेन में सवार लोगों के लिए आरोपियों को याद रखने का कोई कारण नहीं था. बम, बंदूकें, नक्शे आदि जैसे साक्ष्यों की बरामदगी के बारे में न्यायालय ने कहा कि यह बरामदगी अप्रासंगिक है. मामले के लिए महत्वपूर्ण नहीं है, क्योंकि अभियोजन पक्ष विस्फोटों के लिए प्रयुक्त बम के प्रकार की पहचान करने में विफल रहा.
बारह अभियुक्तों में से एक की 2021 में कोविड-19 के कारण मृत्यु हो गई थी. अदालत जुलाई 2024 से इस मामले की सुनवाई कर रही थी. यह मामला 11 जुलाई, 2006 को हुए सिलसिलेवार बम विस्फोटों से संबंधित है. इसमें मुंबई की पश्चिमी रेलवे लाइन पर उपनगरीय ट्रेनों में सात बम विस्फोट हुए थे. इसमें 189 लोग मारे गए थे और 824 घायल हुए थे.