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114 वर्षीय मैराथन धावक का सड़क दुर्घटना में निधन, पीएम मोदी ने जताया शोक


चंडीगढ़: अनुभवी मैराथन धावक फौजा सिंह की सोमवार को पंजाब के जालंधर में एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई. वह 114 वर्ष के थे. उनके निधन की पुष्टि लेखक खुशवंत सिंह ने की, जो पंजाब के पूर्व राज्य सूचना आयुक्त थे और उन्होंने फौजा सिंह पर ‘द टर्बन्ड टॉरनेडो’ शीर्षक से एक जीवनी भी लिखी थी.

जालंधर के एक पुलिस अधिकारी ने भी फौजा सिंह की मृत्यु की पुष्टि करते हुए कहा कि वह ब्यास गांव में टहलने निकले थे, तभी एक अज्ञात वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी. फौजा सिंह के सिर में चोटें आई, जसिके बाद उन्हें निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां शाम को उनकी मौत हो गई. जालंधर के आदमपुर पुलिस स्टेशन के एसएचओ हरदेवप्रीत सिंह ने बताया कि दुर्घटना के बाद चालक, जिसकी अभी पहचान नहीं हो पाई है, फरार हो गया. लेकिन चालक के खिलाफ लापरवाही से गाड़ी चलाने का मामला दर्ज किया गया है.

पीएम मोदी ने जताया शोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फौजा सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया. पीएम ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, ‘फौजा सिंह जी अपने अद्वितीय व्यक्तित्व और फिटनेस जैसे महत्वपूर्ण विषय पर भारत के युवाओं को प्रेरित करने के तरीके के कारण असाधारण थे. वह अविश्वसनीय दृढ़ संकल्प वाले एक असाधारण एथलीट थे. उनके निधन से मुझे बहुत दुख हुआ. मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और दुनिया भर में उनके अनगिनत प्रशंसकों के साथ हैं.’

वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स प्रमाणपत्र (ETV BHARAT)

कौन थे फौजा सिंह ?
1911 में एक किसान परिवार में जन्मे, फौजा सिंह चार भाई-बहनों में सबसे छोटे थे. वे सौ वर्ष की उम्र में मैराथन पूरी करने वाले पहले एथीलीट बने और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेते हुए कई रिकॉर्ड भी बनाए.

फौजा सिंह ने वृद्धावस्था में मैराथन दौड़ना शुरू किया और अपनी सहनशक्ति और एथलेटिक क्षमता के कारण उन्हें ‘टर्बन्ड टॉरनेडो’ का उपनाम मिला. वे 1990 के दशक में इंग्लैंड चले गए और बाद में पंजाब स्थित अपने पैतृक गांव में रहने लौट आए.

सौ वर्ष की उम्र में मैराथन पूरी करने वाले फौजा सिंह पहले एथीलीट बने

सौ वर्ष की उम्र में मैराथन पूरी करने वाले फौजा सिंह पहले एथीलीट बने (Eyv bharat)

वे 2012 के लंदन ओलंपिक में मशालवाहक भी थे. फौजा सिंह ने 1999 में चैरिटी के लिए मैराथन दौड़ने का फैसला किया. उनका पहला ऐसा चैरिटी कार्यक्रम समय से पहले जन्मे शिशुओं के लिए था.

अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेते हुए फौजा सिंह ने कई रिकॉर्ड भी बनाए

अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेते हुए फौजा सिंह ने कई रिकॉर्ड भी बनाए (Etv bharat)

2013 में, फतेहगढ़ साहिब के एक स्थानीय स्कूल में सम्मानित किए गए फौजा सिंह ने कहा कि उनका एक लक्ष्य सिख संस्कृति की समझ को बढ़ावा देना था. उन्होंने कहा, “मेरी दाढ़ी और मेरी पगड़ी ने दुनिया में मेरा सम्मान बढ़ाया है, और मैं ईश्वर में विश्वास करता हूं… यही कारण है कि मैं जीवन में अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर पाया. 114 पृष्ठों की यह जीवनी फौजा सिंह के जीवन के प्रति उत्साह और उनकी अजेय भावना को दर्शाती है.

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