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उत्तराखंड त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव, गजट नोटिफिकेशन जारी करने के बाद हाईकोर्ट जाएगा पंचायती राज विभाग


देहरादून: उत्तराखंड त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2025 पर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. नैनीताल हाईकोर्ट में आरक्षण को लेकर लगी याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने आरक्षण नियमावली का नोटिफिकेशन जारी नहीं होने पर पंचायत चुनावों पर रोक लगा दी है. इस मामले पर पंचायती राज विभाग आज गजट नोटिफिकेशन जारी करेगा.

दरअसल, उत्तराखंड में पंचायत चुनाव को लेकर अधिसूचना जारी की जा चुकी है. यानी कि प्रदेश में पंचायत चुनाव की आचार संहिता लगी हुई है. लेकिन इसी बीच नैनीताल हाईकोर्ट में पंचायती राज विभाग द्वारा जारी आरक्षण रोस्टर पर आपत्ति दर्ज करते हुए चार याचिकाकर्ताओं ने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दर्ज की. जिस पर सुनवाई करने के बाद नैनीताल हाईकोर्ट ने आरक्षण की इस प्रक्रिया पर रोक लगा दी. कोर्ट ने कहा कि आरक्षण को लेकर सरकार द्वारा गजट नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया है. इसलिए पंचायत चुनाव के आरक्षण को कोर्ट ने स्टे कर दिया.

कोर्ट के इस फैसले के बाद पंचायत चुनाव की प्रक्रिया पर भी सवालिया निशान खड़े हो गए हैं. हालांकि इस मामले पर पंचायती राज सचिव चंद्रेश यादव का कहना है कि कोर्ट ने गजट नोटिफिकेशन ना होने के चलते आरक्षण पर स्टे लगाया है. लेकिन विभाग आज ही रुड़की प्रेस से गजट नोटिफिकेशन जारी करने की प्रक्रिया करेगा और कल 24 जून को इस स्टे को नैनीताल हाईकोर्ट से खारिज करवाएगा.

राज्य निर्वाचन आयोग को आदेश का इंतजार: इस पूरे मामले पर राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार का कहना है कि इस मामले पर अभी राज्य निर्वाचन आयोग को कोई आदेश हाईकोर्ट से प्राप्त नहीं हुआ है. राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा हाईकोर्ट में मौजूद अपने अधिवक्ता से इस आदेश की कॉपी तत्काल उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है. उन्होंने कहा कि जैसे ही आदेश की कॉपी प्राप्त होती है, आदेश की भाषा का अध्ययन किया जाएगा. वहीं इसके अलावा आदेश की सीमाएं क्या हैं ? क्या यह चुनाव पर प्रभाव डाल रही है? इसको भी चेक किया जाएगा. इस तरह से आदेश का अध्ययन करके आगे की प्रक्रिया का फैसला किया जाएगा.

क्या आरक्षण पर रोक से रुकेंगे चुनाव: वहीं इसके अलावा सुशील कुमार ने कहा कि कोर्ट में चल रहे मामले को लेकर आयोग का पहले ही कहना था कि यह मामला आरक्षण तय करने वाले सरकारी विभाग और जांचकर्ताओं के बीच का है. इसमें राज्य निर्वाचन आयोग पार्टी नहीं है. इस तरह से प्रदेश में इस वक्त आचार संहिता लगी हुई है, जो कि राज्य निर्वाचन आयोग ही हटाने का अधिकार रखता है. इसे कोर्ट के आदेशों से नहीं हटाया जा सकता है.

उन्होंने यह भी कहा कि, संवैधानिक व्यवस्थाओं के अनुसार अलग-अलग परिपेक्ष में नियमों को देखा जाता है. यदि आरक्षण पर कोर्ट हस्तक्षेप करता है तो निश्चित तौर से इसका असर चुनाव पर भी पड़ेगा. लेकिन यह सब आदेश को पढ़ने के बाद और उसका अध्ययन करने के बाद ही सुनिश्चित हो पाएगा.

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