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Uttarakhand News: Gangotri Highway Accident – गंगोत्री हाईवे हादसा – धरासू के पास यात्रियों की बस पलटी


गंगोत्री हाईवे पर धरासू के पास मध्यप्रदेश के यात्रियों की बस पलटी, 8 घायल, हादसे में बाल-बाल बचे 45 श्रद्धालु।

Gangotri Highway Accident: Bus Overturns Near Dharasu


चारधाम यात्रा के दौरान हुआ बड़ा सड़क हादसा, 45 यात्रियों की जान बाल-बाल बची

उत्तराखंड में चारधाम यात्रा के दौरान शुक्रवार की सुबह एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया, जब गंगोत्री हाईवे पर मध्यप्रदेश से आए तीर्थयात्रियों की बस अनियंत्रित होकर धरासू के पास पलट गई। बस में 45 यात्री सवार थे, जिनमें से आठ को मामूली चोटें आईं हैं। हादसा उस समय हुआ जब बस तीव्र मोड़ पर अपना नियंत्रण खो बैठी। गनीमत रही कि बस सड़क पर ही पलटी और खाई में नहीं गिरी, वरना यह घटना जानलेवा साबित हो सकती थी।


चारधाम यात्रा और श्रद्धालुओं की भीड़

हर साल लाखों श्रद्धालु करते हैं यात्रा

चारधाम यात्रा उत्तराखंड के धार्मिक महत्व की एक प्रमुख यात्रा है, जिसमें गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम शामिल हैं। हर साल लाखों श्रद्धालु देश के कोने-कोने से आकर इन धामों की यात्रा करते हैं। इसी क्रम में मध्यप्रदेश से आए 45 श्रद्धालु गंगोत्री धाम के दर्शन के लिए निकले थे।

हाईवे पर यातायात दबाव

चारधाम यात्रा के दौरान उत्तराखंड के हाइवे, विशेष रूप से गंगोत्री और यमुनोत्री मार्ग पर भारी यातायात रहता है। संकरी सड़कों, तीखे मोड़ों और लगातार चढ़ाई-उतराई के कारण यह मार्ग अत्यंत संवेदनशील बन जाता है। ऐसे में थोड़ी सी चूक भी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है।


कैसे हुआ हादसा?

धरासू और नालूपानी के बीच अनियंत्रित हुई बस

यह हादसा उत्तरकाशी जिले के धरासू और नालूपानी के बीच हुआ, जहां सड़कों की स्थिति सामान्यतः कठिन मानी जाती है। चश्मदीदों के अनुसार, मोड़ पर बस चालक का वाहन से नियंत्रण हट गया और बस सड़क पर पलट गई। हालांकि मौके पर मौजूद अन्य यात्रियों ने तुरंत शोर मचाया और कुछ स्थानीय लोगों की मदद से घायलों को बाहर निकाला गया।

पुलिस और प्रशासन की तत्परता

हादसे की सूचना मिलते ही धरासू पुलिस और राहत टीम मौके पर पहुंच गई। घायलों को तुरंत उत्तरकाशी के जिला अस्पताल भेजा गया, जहां सभी की हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है। स्थानीय प्रशासन ने राहत कार्य में तत्परता दिखाई और यातायात को सामान्य करने में मदद की।


यात्रियों के अनुभव और बयान

“एक पल को लगा सब खत्म हो जाएगा”

एक यात्री, जो बस में सवार था, ने बताया, “जब बस मोड़ पर पहुंची तो हमें लगा कि ड्राइवर नियंत्रण खो रहा है। जैसे ही बस पलटी, बस में चीख-पुकार मच गई। सब एक-दूसरे को ढूंढ रहे थे। हमें लगा अब हम नहीं बचेंगे, लेकिन ऊपर वाले की कृपा रही कि बस खाई में नहीं गिरी।”

परिवार और रिश्तेदारों को दी गई सूचना

घायलों के परिजनों को प्रशासन की ओर से संपर्क कर जानकारी दी गई है। कुछ परिजन तत्काल उत्तरकाशी पहुंचने की तैयारी में हैं। कई यात्री मानसिक रूप से अब भी इस हादसे से उबर नहीं पाए हैं।


उत्तराखंड में सड़क सुरक्षा की चुनौतियां

संवेदनशील पहाड़ी मार्ग और खराब सड़कों की स्थिति

उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में अधिकतर सड़कें संकरी, टूटी हुई और ढलान भरी हैं। साथ ही मानसून या अन्य मौसमी कारणों से अक्सर भूस्खलन और मिट्टी खिसकने की घटनाएं होती हैं। यह हादसा इस बात की याद दिलाता है कि पहाड़ी यात्रा कितनी जोखिम भरी हो सकती है।

पर्यटन बढ़ा, लेकिन सुरक्षा इंतज़ाम कम

पिछले कुछ वर्षों में धार्मिक पर्यटन के साथ-साथ एडवेंचर पर्यटन में भी बढ़ोत्तरी हुई है, लेकिन इसके अनुपात में सड़क सुरक्षा की व्यवस्थाएं नहीं बढ़ी हैं। बस और टैक्सी ऑपरेटरों को प्रशिक्षित ड्राइवर देने, सड़क किनारे सुरक्षा रेलिंग लगाने और नियमित वाहन जांच जैसे कदम उठाने की जरूरत है।


भविष्य के लिए क्या सबक?

सतर्कता और सावधानी है जरूरी

यात्रा के दौरान सावधानी बरतना सबसे जरूरी है। विशेष रूप से पहाड़ी इलाकों में वाहन चलाने वाले ड्राइवरों को विशेष प्रशिक्षण देना चाहिए। प्रशासन को भी यात्रा सीजन के दौरान विशेष पेट्रोलिंग और मार्ग नियंत्रण की व्यवस्था करनी चाहिए।

समूह यात्राओं में रखी जाए प्राथमिक चिकित्सा व्यवस्था

इस तरह की यात्राओं में प्राथमिक चिकित्सा किट, एंबुलेंस नंबर, स्थानीय पुलिस स्टेशन की जानकारी जैसे इंतज़ाम जरूरी हैं। यात्रियों को यात्रा से पहले इन चीजों की जानकारी दी जानी चाहिए।


निष्कर्ष: हादसा चेतावनी भी है और अवसर भी

गंगोत्री हाईवे पर हुआ यह हादसा एक बड़ा हादसा होते-होते बच गया। इससे यह स्पष्ट होता है कि सड़क सुरक्षा को लेकर यात्रियों और प्रशासन दोनों को अधिक जिम्मेदार और सजग होना होगा। धार्मिक आस्था के साथ यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।

यह हादसा एक चेतावनी है कि जब तक पहाड़ी क्षेत्रों में सुरक्षा मानकों को नहीं सुधारा जाएगा, तब तक यात्राएं जोखिम से भरी रहेंगी। प्रशासन, वाहन संचालक और यात्री – सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न दोहराई जाएं।


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