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अफगानिस्तान में अमेरिकी डॉलर की तस्करी से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को नुकसान



कराची, 27 दिसंबर (आईएएनएस)। देश में चल रही राजनीतिक अशांति और अफगानिस्तान में अमेरिकी डॉलर की तस्करी के कारण पाकिस्तानी मुद्रा दबाव में है। मंगलवार को मीडिया की खबरों में यह बात कही गई।

द न्यूज के मुताबिक, एक्सचेंज कंपनीज एसोसिएशन ऑफ पाकिस्तान (ईसीएपी) के अध्यक्ष मलिक बोस्टन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, पाकिस्तान इस समय कई मोर्चो पर समस्याओं से निपट रहा है, राजनीतिक संकट पहला और सबसे बड़ा संकट है। डॉलर का संकट भी इसी से जुड़ा है।

बोस्टन ने दावा किया कि आधिकारिक और अनौपचारिक व्यापार, अफगान पारगमन व्यापार के दुरुपयोग, तस्करी और सीमाओं के माध्यम से लगभग 2 अरब डॉलर पाकिस्तान से अफगानिस्तान जाता है। ये कारक पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार पर बोझ डाल रहे हैं।

द न्यूज ने कहा, इस समय पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था अफगान पारगमन व्यापार के कारण अपूरणीय क्षति का सामना कर रही है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से अफगानिस्तान जाने वाले डॉलर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा अफगान पारगमन व्यापार से होकर गुजरता है। अफगान और पाकिस्तानी, दोनों व्यापारी इस राष्ट्र-विरोधी गतिविधि में शामिल हैं।

आयात बिल को कम करने के लिए सरकार ने कई विलासिता की वस्तुओं पर उच्च शुल्क लगा दिया।

बोस्टन ने कहा, हमारे व्यापारियों और आयातकों ने सोचा कि उन्हें पाकिस्तानी सरकार को 200 प्रतिशत शुल्क क्यों देना चाहिए। वे अफगानिस्तान पारगमन के नाम पर अपनी वस्तुएं यहां लाते हैं, हमारे बंदरगाह से अफगानिस्तान की यात्रा करते हैं और फिर छोटे ट्रकों में पाकिस्तान लौटते हैं। पाकिस्तान के कई आयातक जो इस क्रूर अभ्यास में भाग लेते हैं, वे आयात शुल्क का भुगतान करने में विफल रहते हैं, जिसकी कीमत हमें राष्ट्रीय स्तर पर चुकानी पड़ती है। सरकारी खजाने को अरबों रुपये की जरूरत है, लेकिन वे डॉलर को देश में प्रवेश करने से रोकते हैं।

द न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, जब अगस्त 2021 में अफगान तालिबान ने एक संक्रमण सरकार की स्थापना की, तो पाकिस्तानी रुपया 155 पर कारोबार कर रहा था, देश का विदेशी मुद्रा भंडार 22 अरब डॉलर था और इसका आयात बिल 4.5 अरब डॉलर था। आज रुपया इंटरबैंक बाजार में लगभग 225 और मुक्त बाजार में 235 प्रति डॉलर तक गिर गया है।

उन्होंने दावा किया कि हर महीने लगभग 3 अरब डॉलर पाकिस्तान भेजे जाते हैं। प्रेषण प्रवाह (रेमिटेंस फ्लो) अब घटकर 2 अरब डॉलर हो गया है।

बोस्टन ने कहा, सवाल है कि हर महीने 1 अरब डॉलर कहां जाता है? क्योंकि हम प्रत्येक डॉलर के लिए 225 रुपये का रेमिटेंस भुगतान कर रहे हैं, यह 1 अरब डॉलर प्रति माह अफगान ट्रांजिट का दृश्य बन गया है। हवाला/हुंडी ऑपरेटर प्रति डॉलर के लिए वे 270 दे रहे हैं।

–आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

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